Friday, July 5, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutआज ‘वीआईपी’ होंगे मजदूर, फिर 364 दिन बुनेंगे सिर्फ सपने

आज ‘वीआईपी’ होंगे मजदूर, फिर 364 दिन बुनेंगे सिर्फ सपने

- Advertisement -
  • न जाने कितने ही मई दिवस बीते, लेकिन नहीं बदल पाई श्रमिकों की किस्मत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ‘हमारे जिस्म की रूह हो तुम, बेख्याली में भी ख्याल हो तुम, नींद में सपना हो तुम, दिल की हर धड़कन हो तुम, कभी हंसाते हो तुम, कभी रुलाते हो तुम, लेकिन हर पल बहुत याद आते हो तुम’। जिंदगी की जद्दोजहद के बीच यह पंक्तियां एक परिवार द्वारा अपने उस मुखिया को उसकी हौंसला अफजाई के लिए समर्पित हैं, जो अपने बीवी बच्चों के भरण पोषण के लिए जंग का मैदान बन चुके इजराइल तक जाने के लिए तैयार बैठे हैं। मजबूरी की यह सिर्फ एक बानिगी भर है। कहा जाता है कि मजदूर को उसकी मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे देनी चाहिए, लेकिन आज सबसे ज्यादा मजबूर मजदूर ही है। न उसकी मजदूरी की किसी को परवाह है और न ही उसकी इज्जत की।

कहने को तो आज अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। दुनिया भर में आज भरी दोपहरी में काम करने वालों के लिए एसी रूम में बैठकर स्कीमें बनाई जाएंगी। कई जगह मजदूरों को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलेगा, लेकिन सवाल ये है कि बाकी के 364 दिन क्या इन बनने वाली स्कीमों का इम्प्लीमेंट (कार्यान्वयन) कराया जाएगा। आज इजराइल और फिलिस्तीन के बीच के हालातों से दुनिया वाकिफ है। वहां जाना मौत को दावत देने से कम नहीं। इसके बावजूद भारतीय मजदूर अपनी जान की परवाह किए बिना अपनों की परवरिश के लिए वहां जाने को तैयार है।

श्रमिकों के लिए क्या पूर्व में बनाई गर्इं स्कीमों पर अमल होता तो क्या आज इन मजदूरों को इजराइल जाने की जरुरत होती। शायद नहीं, लेकिन एक दिन के इन वीआईपी के लिए बाकी के 364 दिन तो अंधेरा जो है। आंकड़ों के अनुसार भारत में मजदूर दिवस पहली बार एक मई 1923 को मनाया गया। आज 100 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन आप यकीन मानिए कि मजदूर की स्थिति जस की तस है। जो योजनाएं 100 सालों में बनाई गर्इं आज वो कहां हैं, शायद योजनाएं बनाने वाला भी इनसे अंजान होगा।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments