- सड़क सुरक्षा सप्ताह शुरू, एडीजी कर रहे मॉनिटरिंग पर ट्रैफिक पुलिस बेखौफ
- डेयरी फार्म, बिजली बंबा बाइपास, टैंक चौराहा बने हैं उगाही के बड़े केंद्र
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाजपा संगठन के तमाम नेताओं की नाराजगी और जिले के प्रभारी मंत्री की फटकार के बाद भी ट्रैफिक पुलिस की उगाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को ही सड़क सुरक्षा सप्ताह शुरू हुआ और इस बार स्वयं एडीजी डीके ठाकुर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ऐसे में यातायात पुलिस की शहर के जाम जैसे हालातों से निपटने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पर शायद यातायात पुलिस को यह सब मंजूर नहीं है। उसे शहर में वाहनों से वसूली की ऐसी लत लग चुकी है जिसे छुड़ाना असंभव सा हो गया है।
आज से सड़क सुरक्षा सप्ताह शुरू हुआ, लेकिन यातायात पुलिस अपने ठिकानों पर वसूली नहीं थमी। यातायात पुलिस के कुछ ठिकाने तो ऐसे हैं, जहां सुबह से शाम तक और फिर रात में स्पेशल टास्क बनाकर वसूली होती है। दिन में छोटे वाहन उनके शिकार बनते हैं तो रात में ट्रक। अफसर भले ही अवैध वसूली की बात से इंकार करें पर मौके पर सब कुछ वैसा ही नजारा देखा जा सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कुछ प्वाइंट्स तो वाहनों से अवैध वसूली की पहचान बन गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा बदनाम कैंट का डेयरी फार्म, रुड़की रोड, टैंक चौराहा व कंपनी गार्डन का कंकरखेड़ा कट और बिजली बंबा बाइपास के इलाके हैं।
ये हैं बदनाम चेकिंग प्वाइंट
कैंट का डेयरी फार्म का इलाका अवैध उगाही के लिए सबसे ज्यादा बदनाम है। यहां तैनात टैÑफिक स्टाफ से बचकर निकला किसी भी वाहन चालक के लिए असंभव है। दरअसल, यहां चक्रव्यूह बनाकर उगाही वाला स्टाफ खड़ा होता है। यहां दो बाइक हमेशा स्टैंडबाई पर रहती है। यदि कोई भागने का प्रयास करे तो उसको दबोचा जा सके। ऐसा ही बिजली बंबा बाइपास है। यहां यातायात पुलिस पूरे दिन उगाही में लगी रहती है। यहां चालकों को एक कोठरीनुमा कमरे में ले जाकर सौदेबाजी की जाती है। गांधी बाग पर दो चेकिंग प्वाइंट हैं। इनमें एक टैंक चौराहा तो दूसरा चर्च वाला चौराहा। तड़के से ही यहां अभियान शुरू हो जाता है।
बाहरी और लोकल का मिटा दिया अंतर
आमतौर पर पहले बाहरी गाड़ियां ट्रैफिक के उगाही करने वाले स्टॉफ के निशाने पर हुआ करती थीं। बाहरी नंबर की कोई भी गाड़ी देखकर पूरा स्टॉफ गोश्त पर गिद्ध की मानिंद झपट पड़ता था। सबसे पहला काम गाड़ी की चॉबी निकालने का किया जाता था। उसके बाद एक टैÑफिक कर्मी ड्राइवर की बगल वाले सीट पर जा बैठता था। उसका काम यह समझाना होता है कि गाड़ी सीज करानी है या फिर आगे निकलना है।
इसके बाद ड्राइवर या परिचालक तमाम पेपर लेकर चेकिंग स्टॉफ के पास जाता, लेकिन सब कुछ ओके होने के बाद कुछ ना कुछ ऐसी कमी निकाल दी जाती जो उगाही का जरिया बन जाती। इतना ही नहीं बाहरी व लोकल का फर्क मिटने से पहले आमतौर पर बाहरी नंबर की गाड़ियों वाले ऐसे रास्तों से निकलने का प्रयास करते थे, जहां उगाही बाज ट्रैफिक पुलिस का स्टाफ ना मिले।
तड़के की उगाही सादे वस्त्रों में
यातायात पुलिस का वाहनों से वसूली के लिए तड़के सड़कों पर उतरने वाला स्टाफ सादे वस्त्रों में रहता है, लेकिन साथ में वर्दीधारी एक होमगार्ड के जवान को जरूर रखता है। ताकि इशारे से गाड़ी रुक सकें। कई बार सादावर्दी वालों को देखकर ट्रक वाले इशारे पर रुकते नहीं। इसलिए उन्हें रोकने के लिए वर्दी वाले होमगार्ड को साथ रखा जाता है। वैसे उगाहीबाज स्टाफ की बॉडी लैग्वेज अलग होती है। आमतौर पर जहां भी ये नजर आते हैं, इनके इशारे पर गाड़ियां रुक जाती है।
फजीहत के बाद भी हालात जस के तस
अवैध उगाही को लेकर ट्रैफिक पुलिस की कई बार फजीहत हो चुकी है, लेकिन फिर भी हालात जस के तस बने हुए हैं। कुछ समय पहले कैंट विधायक ने जीरो माइल्स चौराहे पर ट्रक से उगाही करते हुए रंगे हाथों ट्रैफिक स्टाफ को पकड़ा था। भाजपा की एक एमएलसी भी उगाही करते पकड़ चुकी हैं। भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल ने जिले के प्रभारी मंत्री से यातायात पुलिस की अवैध उगाही को लेकर शिकायत की थी। प्रभारी मंत्री ने अफसरों को आड़े हाथों भी लिया और उगाही पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। अफसोस, इस फटकार का भी कोई असर नहीं हुआ।
शहर के बाहरी छोर पर भी नजर
शहर में ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग के नाम पर उगाही चरम सीमा पर है। जिसको लेकर वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यातायात पुलिस ने उगाही के लिए अपना दायरा बढ़ा दिया है। अब शहर ही नहीं, बाहरी छोर परतापुर के मोहिउद्दीनपुर पर भी वसूली शुरू हो गयी है। यह ऐसा क्षेत्र है जो जिले को गाजियाबाद बार्डर से जोड़ता है। हजारों वाहन यहां से गुजरते हैं। वसूली के लिए यह सबसे मुफीद जगह है।
ये इलाके सबसे बदनाम
यातायात पुलिस की अवैध उगाही की यदि बात करें तो हरिद्वार-देहरादून की ओर आने वाली जो गाड़ियां मोदीपुरम फ्लाईओवर से होकर एनएच-58 पर चढ़ती हैं। उनको यहीं पर रोका जाता है। अक्सर चेकिंग के नाम पर यहां बाहरी गाड़ियों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।