Tuesday, July 9, 2024
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निगम के दो अवर अभियंता सस्पेंड

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  • सड़क का गलत प्राक्कलन तैयार करने पर हुई कार्रवाई

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सड़क निर्माण करने के लिए गलत प्राक्कलन बनाने के मामले को शासन ने बेहद गंभीरता से लिया है। शासन ने तत्काल प्रभाव से नगर निगम के दो अवर अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया तथा इनकी विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले पांच अभियंताओं के खिलाफ भी शासन स्तर से कार्रवाई की जा चुकी हैं। इसके आदेश भी शासन ने दिए थे। विशेष सचिव धर्मेंद्र प्रताप सिंह का एक पत्र नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा के पास पहुंचा, जिसमें शासन ने तत्काल प्रभाव से अवर अभियंता राजेंद्र सिंह और अवर अभियंता पदम सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

पदम सिंह अवर अभियंता नगर निगम गाजियाबाद में तैनात है राजेंद्र सिंह भी अन्यत्र तैनाती पर हैं। वार्ड-35 गुप्ता कॉलोनी की सीसी सड़क निर्माण के कार्य में अनियमितता बरतने पर यह कार्रवाई हुई है। यह कार्रवाई गठित की जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। आरोप है कि 340 मीटर के स्थान पर निरंतर 600 मीटर दर्शाते हुए प्राक्कलन तैयार किया गया। इसमें यह दोनों अवर अभियंताओं को पूर्ण रूप से दोषी माना गया है। इतनी महत्वपूर्ण परिमाप के सापेक्ष लगभग ढाई सौ मीटर की दूरी प्राक्कलन में अधिक दर्शाया जाना अभियंत्रण की दृष्टि से बड़ा ब्लेंडर है, जो कि अक्षम्य अपराध है। इस बात को शासन ने भी अपने आदेश में लिखा हैं।

लंबाई की अनुचित परिमाप के कारण प्रार्थना संबंधी सभी विशिष्टता त्रुटिपूर्ण हो जाना स्वाभाविक है। उक्त दूरी 600 मीटर लंबाई के हिसाब से कार्य का हनुमान 2.28 करोड़ निर्धारित हुआ। यदि उक्त दूरी सही मापी जाती तो 340 मीटर के अनुसार अनुमानित लागत 40प्रतिशत तक कम हो जाती एवं उक्त धनराशि से जनहित में अन्ययंत्र कोई सिविल कार्य कराए जा सकता था। इसके लिए अभियंताओं का उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है, जिसमें प्रस्तावित कार्य की लंबाई के लिए संपूर्ण दायित्व अवर अभियंताओं का निर्धारित किया गया है।

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वैसे इससे पहले निगम के एक्सईएन विकास कुरील समेत पांच अभियंताओं के खिलाफ शासन ने विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं, जिसकी जांच फिलहाल अपर आयुक्त महेंद्र प्रसाद कर रहे हैं। शासन से हो रही कार्रवाई के बाद भी भ्रष्ट अफसरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से नहीं हटाया गया हैं। ऐसे में और भी भ्रष्टाचार किये जा सकते हैं। क्योंकि इस मामले से ही नगर निगम की शासन स्तर से खासी किरकिरी हो गई हैं। एक्सईएन और इस अवर अभियंताओं की टीम के कार्यकाल में जो भी कार्य हुए हैं, उन पर भी सवाल उठ रहे हैं।

घंटाघर से तारापुरी तक बनाये गए नाले की दीवार के मामले में भी भ्रष्टाचार हुआ। उसकी भी जांच होती हैं तो भ्रष्टाचार का राजफाश हो जाएगा। इस तरह से नगर निगम में निर्माण विभाग ने तमाम कार्यों में कुछ निश्चित ठेकेदारों के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया हैं, जिनके खिलाफ शिकंजा कसा जाना चाहिए। भ्रष्टाचारी अभियंताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए, इसकी मांग पार्षद और मेयर सुनीता वर्मा भी कर चुकी हैं।

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