- कर्मचारी किसानों पर बकाया कस रहे तंज, रसूखदारों को ब्लैक में बेच रहे कर्मचारी यूरिया
जनवाणी संवाददाता |
सरूरपुर/रोहटा: पहले ही आर्थिक संकट और मिलों पर बकाया से जूझ रहे किसानों के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो चली है। अपनी फसलों को मेहनत के बूते बचाने की जद्दोजहद में लगे किसानों को सरकार की ओर से बड़ा झटका लगा है। सहकारी समितियों पर पिछले एक महीने से यूरिया व डीएपी खत्म हुआ पड़ा है, लेकिन समिति के अधिकारी किसानों को लॉलीपोप देकर दूसरे थर्ड क्लास सब्सीट्यूट उत्पाद देखकर तसल्ली दे रहे हैं।
जिससे किसानों की चारा धान और एक की फसल बबार्दी के कगार पर पहुंच चुकी है। सरूरपुर और रोहटा ब्लॉक एक महीने से भी ज्यादा से यूरिया डीएपी समाप्त हो चुकी है। सहकारी समिति के कर्मचारी समिति का ताला खोलकर बैठ जाते हैं और पूरे दिन मटरगश्ती करने के साथ किसानों पर बकाया वसूली का चाबुक चलाकर उन्हें परेशान करने के सिवाय कुछ नहीं रहे हैं। समितियों पर यूरिया व अन्य कीटनाशक उत्पादों को लेने के लिए जा रहे किसानों को बैरंग लौटना पड़ रहा है।
पिछले 14-15 जून से तमाम सहकारी समितियों पर ताला पड़ा हुआ है और यहां यूरिया डीएपी के लाले पड़े हुए हैं। बताया गया है कि चोरी-छिपे देर सवेर आने वाली यूरिया व डीएपी की गाड़ी क्षेत्र के बड़े रसूखदार किसानों को देने के साथ सेटिंग से ऊंचे दामों में बेच दी जाती है। जबकि मचले और छोटे किसान यूरिया डीएपी की किल्लत से जूझ रहे हैं। आए दिन समिति पर जाकर यूरिया डीएपी की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मयस्सर नहीं हो रहा है।
इस संबंध में किसानों का कहना है कि समिति के कर्मचारी उन्हें सब्सीट्यूट नैनो यूरिया आदि घटिया किस्म के उत्पाद इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। इससे जहां किसानों की समय के साथ बबार्दी हो रही है तो वहीं यूरिया डीएपी उपलब्ध नहीं होने से किसानों की बुवाई भी पड़ रही है। यही नहीं धान और चारे की फसल बबार्दी की कगार पर पहुंच रही है।
ईंख का उत्पादन भी इस बार कम रहने की संभावना है। किसानों का कहना है कि यदि समय पर बारिश के साथ यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल नहीं किया गया तो 50% फसल समय के अनुरूप नहीं हो पाएगी। इससे किसान बबार्दी की कगार पर पहुंच जाएंगे और उत्पादन घटेगा। जिससे किसानों के उत्पादन घटने के साथ महंगाई बढ़ने की काफी संभावनाएं बढ़ जाएगी।
जानकार किसानों का कहना है कि यदि सरकार ने इस और अभी ध्यान नहीं दिया तो किसान बड़े संकट से गुजर रहे होंगे तो वही आने वाले समय में सरकार को भी इस मुसीबत का सामना करना पड़ेगा। उधर, इस संबंध में सहकारी समितियों पर रहने वाले कर्मचारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि समितियों पर एक आध गाड़ी यूरिया पहुंचती है।
जिसे किसान हाथों हाथ उठा लेते हैं। ब्लैक और रसूखदार ओं को देने के बाद पर कर्मचारी चुप्पी साध रहे हैं कि कर्मचारियों कहना कि समिति पर कर्मचारियों के बैठना भी दूभर हो चला है। किसान लगातार यूरिया व डीएपी के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वे उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
ये बोले-किसान
निवासी किसान ओमवीर का कहना है कि उनकी ईंख की फसल दी यूरिया डीएपी नहीं मिलने से पूरी तरह से बबार्दी की कगार पर पहुंच गई है। पशुओं के लिए चारा भी समय पर खाद नहीं मिलने से बढ़ नहीं पा रहा है। इससे में भारी नुकसान हो करने की संभावना है।
किसान हर्रा निवासी मुजम्मिल का कहना है कि वे लगातार सहकारी समिति पर यूरिया व डीएपी लेने के लिए डीजल ट्रैक्टर ले जाते हैं, लेकिन बैरंग लौटना पड़ रहा है। उनकी बुराई पकड़ रही है और फसल तबाह हो रही। किसान नासिर अली का कहना है कि यूरिया डीएपी की किल्लत से दो-चार होना पड़ रहा है। फसल बबार्दी की कगार पर है, लेकिन वे महंगी और दूसरे उत्पादक डालने पर मजबूर हो चले हैं। इससे वह बबार्दी की कगार पर पहुंच रहे।
किसान तोहिद अली का कहना है कि डीएपी और यूरिया की किल्लत सरकार की देन है। सरकार किसानों की बबार्दी पर तुली हुई है आय दोगुनी करने के बजाए किसान बबार्दी की कगार पर पहुंच रहे हैं। जसड़ सुल्तान नगर निवासी बड़े किसानों में शुमार मतीन पंवार का कहना है कि यूरिया और डीएपी की किल्लत से किसान संकट में हैं। सरकार जानबूझकर किसानों की बबार्दी पर तुली हुई है।
किसान पाइप आई करके अपनी मेहनत से फसल सींचता है, लेकिन सरकार समय पर यूरिया खाद तक उपलब्ध नहीं करा रही है। इससे किसान प्रधान देश में किसान बबार्दी की कगार पर है। जैनपुर निवासी किसान अशफाक का कहना है कि यूरिया डीएपी की किल्लत सरकार की जान बूझकर साजिश है। इसे किसान बर्बाद हो और उद्योगपति कामयाब हो जाएं उन्होंने कहा कि है सोची समझी साजिश के तहत भाजपा सरकार किसानों की बबार्दी पर तुली है।