भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत एक रोड एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हो गए। इस समय उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है और वह खतरे के बाहर हैं लेकिन इस हादसे ने सबका ध्यान खींचा है। घटना स्थल पर मौजूद लोगों और जो वीडियो फुटेज सामने आई है, उसके अनुसार पंत तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहे थे और अपने गाड़ी को कंट्रोल नहीं कर पाए। पंत के एक्सीडेंट के बाद से तेज रफ्तार के कहर और सड़क दुर्घटनाओं पर नए सिरे से देश में चर्चा शुरू हो गई है। बीते सिंतबर को उद्योगपति साइरस मिस्त्री और उनके दोस्त जहांगीर पंडोले की उस समय मौत हो गई जब उनकी मर्सिडीज कार पालघर जिले में सड़क के डिवाइडर से टकरा गई थी। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना से कुछ सेकंड पहले कार 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी जबकि पुल पर डिवाइडर से टकराते समय इसकी गति 89 किमी प्रति घंटे थी। जब आप कहीं घूमने जाते होंगे तो अपकी नजर शहर के चौराहे या हाइवे के पास लगे एक बोर्ड पर जरूर गई होगी जिसपर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा होता है- दुर्घटना से देर भली। हमेशा आपसे कहा जाता है कि आप गाड़ी धीरे चलाएं। दैनिक जनवाणी संवाद
इसके बावजूद कई लोग सड़कों पर तेज रफ्तार कार या बाइक चलाने से बाज नहीं आते और इसके चलते सड़क दुर्घटनाएं भी बहुत होती हैं। वास्तव में देश के हाईवे और एक्सप्रेसवे पर अक्सर दिखने वाला स्पीड थ्रिल्स बट किल्स का संदेश भी लोगों को सचेत नहीं कर पा रहा है। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि हाईवे और एक्सप्रेसवे पर वाहन ड्राइविंग की गति बेकाबू होती जा रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2021 में तेज गति सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण रही।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में तेज गति से वाहन चलाने के कारणदेश में कुल 4,03,116 सड़क दुर्घटनाएं बीते वर्ष दर्ज की गई। 7,000 से अधिक लोगों की मौत बीते वर्ष तेज गति से वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में हुई। 8,797 लोगों ने कर्नाटक में बीते वर्ष तेज गति के कारण जान गंवाई।
यह देश में दूसरी सर्वाधिक संख्या रही। कुल दुर्घटनाओं में 1,03,629 दुर्घटनाएं लापरवाह ड्राइिवंग और ओवरटेकिंग से हुईं। बीते वर्ष नशे में वाहन चलाने के कारण 27.1 फीसदी लोगों की जान उत्तर प्रदेश में गई। पूरे देश में यह सबसे अधिक संख्या है। देश में 1.9 फीसदी मार्ग दुर्घटनाएं शराब पीकर वाहन चलाने के कारण हुईं। इनमें 2,935 लोगों ने जान गंवाई। 11,419 लोगों की मौत तेज गति के कारण वाहन चलाने से तमिलनाडु में हुई, जो देश में सर्वाधिक है।
देश में लापरवाही से वाहन चलाने के कारण वर्ष 2021 में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। यह संख्या 11,479 रही। वाहन में तकनीकी खराबी औ? खराब मौसम भी भारत में सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत का कारण बने। बीते वर्ष देश में खराब मौसम के कारण 5,405 और वाहन में खराबी के कारण 2,935 लोगों की जान गई।
भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ‘रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया-2020’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कुल 1,20,806 घातक दुर्घटनाओं में से 43,412 राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 30,171 राज्य राजमार्गों पर और 47,223 अन्य सड़कों पर हुईं। सबसे चिंताजनक बात ये है कि इन घातक दुर्घटनाओं में सबसे अधिक युवा चपेट में आए।
रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए जिसमें 1,31,714 लोगों की जान गई और 3,48,279 लोग घायल हुए। हर एक सौ सड़क हादसे में 36 लोगों की जान गई जो कि साल 2019 के 33 के मुकाबले कहीं अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था। सड़क पर होने वाले हादसे के कारण पीड़ित और उसके परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है। असामयिक मौतों, चोटों और विकलांगताओं के कारण संभावित आय का नुकसान भी होता है।
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में 76 प्रतिशत का कारण तेज रफ्तार है। सरकारी आंकड़े खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। चिंताजनक ये कि हादसों में सर्वाधिक जान गंवाने वालों में तेज रफ्तार का शौकीन युवा वर्ग है। दुर्घटनाओं में मरने वालों में 40 प्रतिशत लोग 18 से 35 आयु वर्ग के हैं। झारखण्ड में बीते वर्ष सड़क हादसों में 406 लोगों ने जान गंवाई। इनमें ज्यादातर हादसे ड्रंक एंड ड्राइव और लापरवाही के कारण हुए।
बीती जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो एक महिला तेज रफ्तार वाहन चलाने वाले लोगों को नसीहत दे रही थी। महिला ने वीडियो में युवाओं को सीख देते हुए कहा कि हर साल, 1 लाख युवा हर साल जान गंवाते हैं लापरवाह ड्राइविंग के कारण। महिला ने आगे कहा कि एक बच्चे को पालकर बड़ा करने में 25 साल लगते हैं और महज 25 सेकेंड में लापरवाह ड्राइविंग के कारण वह एक लाश में बदल जाता है। उस मां पर क्या बीतती होगी उस मां पर जो अपने जाते हुए बेटे की पीठ तो देखती है लेकिन आते हुए बेटे का मुंह नहीं देख पाती है।
देश में यातायात नियमों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी परिवहन एवं पुलिस विभाग के पास है। दोनों ही कर्मियों व संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। देश में सड़कों का तेजी से जाल बिछने के बाद अब नए सिरे से वाहनों की गति सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिएं, जिससे रफ्तार के कहर से अनमोल जीवन बचाएं जा सकें।