- निर्दलीय प्रत्याशियों ने बिगाड़ा चुनावी गणित
जनवाणी संवाददाता |
मवाना: नगर निकाय चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीकी की ओर बढ़ रहा है। वैसे-वैसे ही राजनीतिक पार्टी के कद्दावर नेताओं ने बागियों को मनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में उम्मीदवारों ने जहां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं, दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। मवाना के साथ महाभारत कालीन तीर्थ नगरी में अध्यक्ष पद के लिए विधायक के सगे रिश्तेदार चुनावी मैदान हैं। महाभारत की धरती पर हार या जीत कई दिग्गजों का कद तय कर देगी।
मवाना और हस्तिनापुर की नगर निकाय के अध्यक्ष के चुनाव के मतदान की तिथि 11 मई निर्धारित है। इस बार सभी राजनीतिक दलों से बागी बने उम्मीदवारों ने निर्दलीय प्रत्याशियों के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद जनसंपर्क भी तेज कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशी घोषित होने वालों ने भी अपने नामांकन दाखिल किए हैं, लेकिन पार्टी से बागी हुए उम्मीदवारों के इस कदम से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है।
जिससे शीर्ष नेतृत्व ने नेताओं को भेजकर बागी प्रत्याशियों को मनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में दोंनो जगहो पर निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। मवाना से भाजपा से अखिल कौशिक को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल प्रत्याशी भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी कर भितर आघात कर रहे हैं।
हालाकि भितर आघात करने वाले इन प्रत्याशियों कोे मनाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन उनकी कोशिश कामयाब होती नजर नहीं आ रही दिग्गजों की माने तो भाजपा के साथ अन्य पार्टियों में चल रहा भितर आघात निर्दलीय प्रत्याशियों के पक्ष में बहुमत बनाता नजर आ रहा है।
कयादत की कमान उठाने को उत्साहित है युवा
फलावदा: अपना प्रतिनिधि चुनने के प्रति अवाम का नजरया बदलने लगा है। माहौल की नजाकत देखकर सियासत में युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है।बदलाव की बयार लाने के लिए नगर पंचायत के चेयरमैन और सभासद पद पर चुनाव लड़ रहे करीब 78 उम्मीदवारों में अधिकांश युवा चेहरे संघर्षशील है।कस्बे में चल रहे सत्ता संग्राम में चुनाव प्रचार अभियान गति पकड़ रहा है।
वोट के लिए दिनरात एक करके दर-दर भटक रहे उम्मीदवारों में अधिकतर युवा चेहरे दिखाई दे रहे हैं। युवा शक्ति पूरे उत्साह से जनसंपर्क अभियान में जुटी हुई है। नगर में कुल तेरह वार्ड है तथा प्रत्येक वार्ड में करीब पांच-पांच प्रत्याशी सभासद पद का चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार अध्यक्ष पद के लिए खड़े उम्मीदवारों की भी फौज मैदान में है। चेयरमैन पद पाने के लिए दर्जन भर लोग मुकद्दर आजमा रहे हैं।
खास बात यह है कि अधिकतर प्रत्याशी निर्दलीय है। दरअसल, फलावदा के इतिहास में सिंबल पर निकाय चुनाव में किसी दल को फतह मयस्सर नहीं हुई। सियासी दलों को हमेशा निर्दलियों के आगे मुंह की खानी पड़ी है। इस बार नई उम्मीद से बीजेपी, बसपा, कांग्रेस अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा रही है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अपना कोई उम्मीदवार ही नहीं उतारा है।
चुनाव में सियासी पार्टियों के अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार है, लेकिन अधिकतर प्रत्याशी युवा ही हैं। कस्बे में चल रहे हैं चुनाव में सियासी धुरंधरों की जिम्मेदारी युवाओं ने ही संभाल रखी है। स्थानीय युवा वर्तमान दौर में सियासत की दिशा और दशा बदलने के लिए प्रयास कर रहे हैं। वे कयादत की कमान संभालने की जद्दोजहद में पूरी ऊर्जा लगाए हुए हैं।
करनावल से जुड़ी पूर्व विधायक की ‘साख’
सरूरपुर: नगर निकाय चुनाव में जहां कुछ प्रत्याशी अपनी जीत की राह आसान मान रहे हैं तो वहीं कुछ प्रत्याशियों की राह में मुश्किलें भी खड़ी हैं। प्रत्याशियों के अलावा यहां पूर्व भाजपा विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। कस्बा करनावल में पूर्व चेयरमैन सतीश कुमार कि पैरोकारी करके पार्टी से टिकट दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले भाजपा के सिवालखास के पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई की प्रतिष्ठा पिछले चुनाव में जमानत जब्त करवाने वाले सतीश चेयरमैन के चुनाव से जुड़ गई है।
पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई वैसे भी पार्टी की ओर से करनावल के चुनाव प्रभारी नियुक्त हैं। जिसके बाद उनकी देखरेख में हो रहे चुनाव के कारण और भी उनकी साख सतीश चेयरमैन के चुनाव से जुड़ गई है। भाजपा हाईकमान के निर्देश पर चुनाव प्रभारी बनाए गए पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई फिलहाल कस्बे में सतीश चेयरमैन को चुनाव लड़ाने के लिए टीम के साथ डेरा डाले हुए हैं। खुद पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई भाजपा कार्यकतार्ओं के साथ उन्हें चुनाव जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत भी कर रहे हैं।
हालांकि यह तो आने वाले चुनाव परिणाम बताएगा कि चेयरमैन की राह आसान होगी या फिर मुश्किल, लेकिन पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई का यह चुनाव कद और पद के साथ भविष्य की राजनीति भी तय करेगा। हालांकि पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई खुद इस राह को आसान मानकर जीत पक्की बता रहे हैं तो वहीं पिछली बार के चुनाव में अपनी जमानत तक जब्त तक करवाने वाले पूर्व चेयरमैन सतीश भी पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई की अगुवाई में आत्मविश्वास विश्वास से लबरेज हैं।
वहीं, दूसरी ओर पूर्व विधायक जितेंद्र सतवाई की राह में उनकी ही पार्टी के बगावत चुनाव लड़ रहे लोकेंद्र सिंह रोड़ा बन गए हैं। मजबूत दावेदारी और टीम वर्क के साथ दूसरी बार फिर सतीश को धूल चटाने के लिए लगे लोकेंद्र सिंह सतीश के लिए काफी मुश्किल पैदा कर रहे हैं। लोकेंद्र सिंह भी भाजपा के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के सहयोग का दावा ठोक कर मजबूत प्रत्याशी बता रहे हैं। वैसे भी पिछली बार के चुनाव में लोकेंद्र सिंह ने भाजपा प्रत्याशी रहते हुए पूर्व चेयरमैन सतीश कुमार से ज्यादा वोट हासिल कर सतीश की जमानत जब्त करवा दी थी।
लेकिन इस बार भी सतीश और लोकेंद्र के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। वहीं दूसरी ओर सतीश के भतीजे की पत्नी मीनू भी उनके खिलाफ परिवारिक बगावत करके चुनावी मैदान में जोर पकड़ती जा रही है,आने वाले समय में वे भी सतीश के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। अब इसमें देखना होगा कि कौन बाजी मार पाता है और कौन मात खाता है,
लेकिन इन्हीं दो प्रत्याशियों के भाग्य के साथ पूर्व विधायक जितेंद्र की साख भी अब करनावल के चुनाव से जुड़ गई है। इसके अलावा सतीश चेयरमैन के चुनाव से इसी कस्बे के निवासी व सरूरपुर भाजपा मंडल अध्यक्ष पवन शर्मा की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। उनके गृह कस्बे में यदि सतीश को मात मिलती है तो उनके लिए भी आने वाले समय में पद बचा पाना मुश्किल होगा।
कब किसको कितने वोट मिले?
करनावल में वर्ष 2017 के चुनाव में जहां पुष्पा देवी ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर 2836 वोट पाकर कब्जा जमाया था तो उनके प्रतिद्वंदी लोकेंद्र सिंह 1383 वोट पाकर दूसरे नंबर पर थे। जबकि पूर्व चेयरमैन और उधम के कट्टर प्रतिद्वंदी माने जाने वाले सतीश कुमार तीसरे मात्र 1070 वोट पाकर जमानत भी जब्त करवा बैठे थे। इसके साथ ही आठ अन्य और प्रत्याशियों जिनमें सोहनवीरी, बृजपाल, सुभाष, मुकेश, धर्मपाल, सुमित्रा देवी सतपाल और सीमा आदि की भी जमानत जब्त हुई थी।