Saturday, September 28, 2024
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विटामिन डी जरूरी है स्वास्थ्य के लिए

Sehat 2

 


नीतू गुप्ता

पिछले कुछ सालों में भारतीयों में विटामिन डी की कमी बढ़ती जा रही है कारण लोगों का अधिक समय चारदीवारी में गुजारना जैसे एसी आफिसों में काम करना, घर में कूलर, एसी में बैठना, सोना, टीवी देखना, वीडियो गेम खेलना, कंप्यूटर पर सर्फिंग करना आदि। विटामिन डी ही एक ऐसा विटामिन है जो मुफ्त में मिलता है। वैसे विटामिन डी की जरूरत हर उम्र में होती है लेकिन बढ़ती उम्र में इसकी जरूरत बढ़ती जाती है इसे बनाने की क्षमता कम होती जाती है।

दुनिया भर में विटामिन डी की कमी आम है। विटामिन डी की कमी में, शरीर कम कैल्शियम और कम फॉस्फेट को अवशोषित करता है। चूंकि हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम और फॉस्फेट भरपूर मात्रा में उपलब्ध नहीं होते, इसलिए विटामिन ऊ की कमी से हड्डी का विकार हो सकता है जिसे बच्चों में रिकेट्स या वयस्कों में आॅस्टियोमलेशिया कहा जाता है। आॅस्टियोमलेशिया में, शरीर हड्डियों में कैल्शियम और अन्य मिनरलों को भरपूर मात्रा में जमा नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होती हैं।

एक गर्भवती महिला में, विटामिन डी की कमी से भ्रूण में भी इसकी कमी होती है, और नवजात शिशु में रिकेट्स विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। कभी-कभी, ये कमी काफी गंभीर होती है जिससे महिलाओं में आॅस्टियोमलेशिया होता है। विटामिन ऊ की कमी से आॅस्टियोपोरोसिस बिगड़ जाता है।
विटामिन ऊ की कमी से रक्त में कैल्शियम का स्तर कम हो जाता है। कैल्शियम के घटे स्तर को बढ़ाने की कोशिश करने के लिए, शरीर ज्यादा पैराथाइरॉइड हार्मोन बना सकता है। हालांकि, जैसे ही पैराथाइरॉइड हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है (एक स्थिति जिसे हाइपरपैराथायराइडिज्म) कहा जाता है, रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाने के लिए यह हार्मोन हड्डी के कैल्शियम को बाहर निकालता है। पैराथाइरॉइड हार्मोन की वजह से भी पेशाब में ज्यादा फॉस्फेट बाहर निकलता है। हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम और फॉस्फेट दोनों आवश्यक हैं। ऐसा होने पर, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

विटामिन डी की कमी के लक्षण

-मांसपेशियों में कमजोरी।

-जोड़ों में दर्द।

-मार्निंग सिकनेस।

-शारीरिक कमजोरी।

क्यों जरूरी है विटामिन डी

विटामिन डी हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित रखता है। यह हड्डियों की मजबूती के लिए और तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) की प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। विटामिन डी की शरीर में उचित मात्र होने पर हाई ब्ल्ड प्रेशर का खतरा कम रहता है।
विटामिन डी की कमी के कारण

उम्र बढ़ने के साथ सूर्य की किरणों से विटामिन डी का निर्माण 75 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वैसे विटामिन डी की कमी के कारण निम्न हैं।

-एयरकंडीशन में अधिक समय तक रहना।

-रात्रि की पारी में काम करना।

-धूप में त्वचा टैनिंग या सनबर्न होने के डर से बाहर न निकलना।

-बाहर सक्रियता में कमी।

कैंसर से पीड़ित लोगों में

-सर्दियों में विटामिन डी का स्तर कम होना क्योंकि शरीर कपड़ों से ढका रहता है।

-जो लोग धार्मिक, सामाजिक व अन्य कारणों से शरीर को ढक कर रखते हैं।

-मोटे लोगों में विटामिन डी की मात्र कम होती है क्योंकि यह विटामिन वसा में घुलनशील होता है।

-गहरे रंग के लोगों में विटामिन डी का निर्माण कम होता है।

विटामिन डी के स्रोत

विटामिन डी का प्रमुख स्रोत सूर्य की किरणें हैं। इसके अतिरिक्त सप्लिमेंट जो दवा के रूप में लेने पड़ते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से भी विटामिन डी की कमी कुछ हद तक कम हो जाती है जैसे कॉड लिवर आॅयल, दूध, अंडे, चिकन, मशरूम, मछली आदि। 10 से 15 मिनट शरीर की खुली त्वचा पर प्रतिदिन अल्ट्रावायलेट किरणें पड़ने से विटामिन डी की आवश्यकता पूरी हो जाती है।

-बिना डाक्टर की सलाह के सप्लीमेंट न लें।

-टेस्ट कराने से पता चलता है

-विटामिन डी की शरीर में कमी की मात्रा को जानने के लिए विटामिन डी का टेस्ट कराएं। 40 वर्ष की उम्र के बाद प्रतिवर्ष इस टेस्ट को कराएं ताकि स्थिति कंट्रोल में रह सके।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

-बच्चों में विटामिन डी की कमी से हड्डियों का रोग रिकेट हो जाता है -जिसमें हड्डियां कमजोर होकर आसानी से टूटने लगती हैं।

-इसकी कमी से आस्टियोपोरोसिस हो जाता है जो कैल्शियम के अवशोषण में रूकावट बनता है।

-विटामिन डी की कमी से इंसुलिन का निर्माण बाधित होता है जो टाइप 2 डायबिटीज को गंभीर बनाता है।


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