Friday, July 11, 2025
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आनंद और समृद्धि क्या है?

Sanskar 6


SHRI SHRI RAVISHANKARआनन्द की स्थिति में रहना कितना मुश्किल है और आनन्द से मुक्त होना भी इतना मुश्किल है। आनन्द की स्थिति में आने वाले कई अवरोध हैं, कई चीजें तुम्हारे रास्ते में आती हैं, तुम सोचते हो कि तुमने इसे पा लिया है और आखिर में यह तुम्हारी मुट्ठी में है और तभी यह फिसल जाता है। तुम इसके कितने करीब आ गये थे। यह ऐसा है कि तुम्हें प्यास लगती है। तुम अपनी अंजुलि में पानी भर लेते हो, लेकिन तभी कुछ ढीली अंगुलियों से पानी बिखर जाता है। जीवन कितना आश्चर्यजनक है- पहली प्नाथमिकता स्वयं और आत्मज्ञान को दें। यह अतिमहत्वपूर्ण है। तुम्हें वास्तव में पूर्ण होने के लिए बहुत कौशल की आवश्यकता होती है। इतने अधिक प्रतिरोध व इतने अधिक आकर्षण हैं जो दिमाग को भ्रमित कर देते हैं। हर वस्तु दिमाग को आनन्ददायी स्थिति में तल्लीन रहने से अलग रखना चाहती है। दृढ़ प्नतिज्ञ रहें, एक सूत्रीय बनें। कुछ लोग बाहरी तौर पर अच्छे होते हैं, परन्तु अन्दरूनी तौर पर बुरे। कुछ लोग बाहरी तौर पर बुरे होते हैं, परन्तु अन्दरूनी तौर पर अच्छे। कुछ लोग विनम्र होते हैं, जो कहते हैं, हैलो आप कैसे हैं? बाहरी तौर पर वे काफी अच्छे लगते हैं, परन्तु अन्दरूनी तौर पर जिद्दी।
परमात्मा आपके व्यवहार का ख्याल नहीं करता। परमात्मा ख्याल करता है कि आप भीतर क्या अनुभव करते हैं। क्या आप भीतर से स्वतंत्र हैं अथवा जकड़े हुए हैं? परन्तु विश्व को आपकी अन्दरूनी भावना का ख्याल नहीं रहता। वह केवल आपके बाहरी व्यवहार का ध्यान रखता है। आप अन्दर से कैसे हो दिव्यता सिर्फ इस बात का ख्याल रखती है। आप भीतर से जिद्दी नहीं हैं, परन्तु भीतरी तौर पर फूल के समान हैं, तब अपने आप बाहरी तौर पर सज्जन हो जाएंगे न कि जिद्दी। यह आपके भले के लिए है कि आप बाहरी तौर पर भले ही रूखे हों, परन्तु भीतर से सज्जन। बजाय इसके कि आप बाहर से सज्जन लगें और भीतरी तौर पर रूखे हों। अत: कुछ दिन केवल यह सोचें, कुछ दिन के लिए मैं अपनी अन्तरात्मा का सही मायने में ख्याल रखूंगा, मैं रूखेपन की हर धार को काट दूंगा और एक नाजुक फू ल की तरह भीतर से बनूंगा।
वे क्या चीजें हैं जो तुम्हें भीतरी तौर पर रूखा बनाती हैं?

इसका एक कारण यह है कि तुम सोचते हो कि मुझसे कोई प्यार नहीं करता। आप निश्चित तौर पर जानें कि आप चाहे जाते हैं। यह पृथ्वी तुमसे प्यार करती है। और यही वजह है कि आप सीधे खड़े रह पाते हैं। पृथ्वी का प्यार इसका गुरुत्वाकर्षण बल है। हवा आपसे प्यार करती है। यही वजह है कि सांस तुम्हारे भीतर प्नवेश करती है, भले ही तुम सोये हुए हो, यह तुम्हारे फेफड़ों में विचरण करती है। परमात्मा तुम्हे बहुत गहराई से बेहद प्यार करते हैं। एक बार तुम यह जान लो, तो तुम तनावरहित रहोगे। यदि तुम यह नहीं जानते कि तुम परमात्मा के प्यारे हो, तभी असुरक्षा की भावना होती है। असुरक्षा की भावना से लोभ बढ़ता है। लोभ बढ़ने पर स्वार्थ हावी हो जाता है और इसी से आता है गुस्सा। क्रोध से वासना बढ़ती है और वासना सभी प्रकार के दुखों का कारण है।ये आपकी सुखद आन्तरिक अनुभूति को नष्ट कर देते हैं संतोष की मुस्कान खो जाती है। यदि मुस्कराहट और संतोष भाव समाप्त हो जाएं, तो स्वास्थ्य चौपट हो जाता है। और केवल तभी जब स्वास्थ्य चौपट हो जाये, मनुष्य को लगता है कि उन्हें कुछ करना चाहिए। तब तक लोग यह नहीं देखते कि वे कहां हैं और क्या हैं और जीवन क्या है। केवल याद करो कि ध्यान करने से पहले, प्नाणायाम करने से पहले तुम्हारे मन की स्थिति क्या थी। क्या तुम अपने को मन की उस स्थिति से जोड़ सकते हो, जो आज से पांच या दस वर्ष पूर्व थी? नहीं। यही वह बात है जहां हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। शान्त भाव में प्नतिभा सरलता से आती है। अंत: प्रेरणा आती है, शांति महसूस होती है। प्यार उमड़ता है। समृद्धि आती है आपको इससे अधिक और क्या चाहिए?

समृद्धि का क्या लक्षण है?

सामान्यत: यह समझा जाता है किसी मनुष्य को मनचाही जगह जाने की आजादी हो। जब भी जाना चाहें तो जा सकें, वही समृद्ध व्यक्ति है। अब हम जरा एक समृद्ध व्यवसायी के बारे में सोचें। क्या उसके पास इस हेतु पर्याप्त समय है, ताकि वह जो चाहे वह कार्य कर सके? एक उद्योगपति को लें। क्या आप समझते हैं कि वह मनचाही जगह हेतु स्वतंत्र है, जब कभी वह ऐसा चाहे? उसके पास करोड़ों डॉलर बैंक में हैं, परन्तु उसका व्यवसाय उसके गले में रस्सी की तरह बंधा हुआ है। उसे समय पर एकाउंट दाखिल करना होता है। यदि वह कहीं चला भी जाए तो उसका सेलफोन बजता रहता है। यह उसे नाश्ता भी ढंग से नहीं करने देता। क्या आप अभी यह समझते हैं कि वह समृद्ध है? क्या उसे इस बात की आजादी है कि वह मनचाहा कार्य कर सके? नहीं।

हम सोचते हैं फलां-फलां इतना समृद्ध है उसके पास बहुत से डॉलर हैं। यदि वह सफल व्यवसायी है, तो क्या आप समझते हैं कि वह इस धनराशि को लेकर बैठा रहेगा? नहीं। वह बैंक जाकर और नब्बे लाख का कर्ज लेगा। अब इस दस लाख डॉलर वाले व्यक्ति ने नब्बे लाख डॉलर कर्ज ले लिया है। क्या वह समृद्ध है या गरीब? मैं सामान्त: फै क्टरी के कामगारों से यही कहता हूं। कभी वे सोचते हैं कि वे गरीब हैं, क्योंकि उन्होंने एक हजार डॉलर या एक हजार रुपया कर्ज ले रखा है। वे कहते हैं, ओह मुझे 1000 डॉलर या 1000 रुपये कर्ज लेना पड़ा, अगर मैं अमीर हो गया, तो मुझे कर्ज नहीं लेना पडेÞगा। मैं कहता हूं अच्छा तुमने अपने परिवार के लिये कर्ज लिया है, परन्तु हमारे मालिक ने अपनी कम्पनी के लिये लाखों रुपये कर्ज लिया है। इसका मतलब एक-सा है। तो कौन हुआ अमीर- वह व्यक्ति जिसने अधिक कर्ज लिया है, या जिसने थोड़ा कर्ज लिया है?


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