Tuesday, May 6, 2025
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Chhath Puja 2024: कब से हुई थी छठ पर्व की शुरूआत? यहां जानें इस त्योहार से जुड़ी सभी अहम बातें..

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में छठ पर्व का भी विशेष महत्व बताया गया है। यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। वहीं, छठ का पर्व देशभर में 7 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस त्योहार पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान बताया गया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि छठ का त्योहार कब से शुरू हुआ है? तो चलिए आज हम आपको बताएंगे इस त्योहार के बारे में बहुत सी बातें। दरअसल, इसके बारे में पौराणिक कथाओं से जानकारी मिलती है।

दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में भगवान श्रीराम, द्वापर में दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। इसके अलावा छठी मैया की पूजा से जुड़ी एक कथा राजा प्रियंवद की भी है, जिन्होंने सबसे पहले छठी मैया की पूजा की थी। ऐसे में आइए जानते हैं सूर्य उपासना और छठ पूजा का इतिहास।

क्या कहती हैं कथा?

एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियंवद नि:संतान थे। उन्होंने महर्षि कश्यप को अपना दुख बताया। ऐसे में महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। इस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियंवद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई थी। इसके सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन उनका पुत्र मृत पैदा हुआ था।

यह देखकर राजा बहुत दुखी हुए और मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान पहुंचे और अपना प्राण भी त्यागने लगे। तभी ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और राजा प्रियंवद से कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है। तुम मेरी पूजा करो और लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करो। इसके बाद राजा प्रियंवद ने पुत्र की कामना करते हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर विधि-विधान से माता का व्रत किया। इसके फलस्वरूप राजा प्रियंवद को पुत्र प्राप्त हुआ।

श्रीराम ने भी किया था व्रत

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे। लेकिन भगवान राम पर रावण के वध का पाप था, जिससे मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ कराया गया। तब ऋषि मुग्दल ने श्रीराम और माता सीता को यज्ञ के लिए अपने आश्रम में बुलाया।

मुग्दल ऋषि के कहे अनुसार, माता सीता ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना की और व्रत भी रखा। इस दौरान राम जी और सीता माता ने पूरे छह दिनों तक मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर पूजा-पाठ किया। इस तरह छठ पर्व का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है।

द्रौपदी ने भी की थी छठ व्रत की शुरूआत

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ व्रत के प्रारंभ को द्रौपदी से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि द्रौपदी ने पांच पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन लिए छठ व्रत रखा था और भगवान सूर्य की उपासना की थी। इसी के परिणामस्वरूप पांडवों को उनका खोया हुए राजपाट वापस मिला था।

दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे। वह प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। इस प्रकार देखा जाए तो सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह प्रतिदिन स्नान के बाद नदी में जाकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे।

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