नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। फरवरी महीने की शुरूआत हो चुकी है। साथ ही इस वर्ष यह माह शिव परिवार की पूजा को समर्पित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन विधि विधान से शंकर जी की उपासना की जाती है, इस दौरान महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए उपवास भी रखती हैं। वहीं इस साल फरवरी माह में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है, क्योंकि यह शिव पार्वती के मिलन का महीना है।
दरअसल, फरवरी माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, इसलिए भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्तों को कई अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इन सभी में पहला मौका प्रदोष व्रत है जो 9 फरवरी के दिन रखा जाएगा। ऐसे में आइए जानते है इस दिन के शुभ योग और पूजा विधि के बारे में…
कब है प्रदोष व्रत ?
फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत यानी माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 फरवरी को शाम 7 बजकर 25 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 10 फरवरी को शाम 8 बजकर 34 मिनट पर है। ऐसे में फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत 9 फरवरी के दिन रखा जाएगा। इस दिन रविवार होने के कारण यह रवि प्रदोष कहलाएगा।
पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार रवि प्रदोष व्रत पर महादेव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 25 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग बन रहा है जो शाम 5: 52 मिनट तक रहेगा। इस दौरान विष्कुम्भ योग का भी निर्माण होगा जो दोपहर 12:06 मिनट तक है।
राहुकाल:16:43-18:06
अभिजीत मुहूर्त: 12:13:-12:57
अमृतकाल:07:58-09:33
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी लें।
- चौकी पर शिव-पार्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें।
- अब शिवलिंग का शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें।
- शिव जी को फूल, बेलपत्र और भांग चढ़ाएं।
- माता पार्वती को फूल अर्पित करें।
- अब दीया जलाएं और महादेव के मंत्रों का जाप करें
- शिव चालीसा का पाठ करें
- अब आरती करते हुए शिव जी को मिठाई का भोग लगाएं।
- अंत में पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे और प्रसाद वितरित कर दें।
शिव जी की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
मां पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता…
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता…
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता…
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता…
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता…
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता…
देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता…
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
जय पार्वती माता…।