Thursday, June 19, 2025
- Advertisement -

खुला खेल तो ज्वाइंट डिपो से हटने लगीं गाड़ियां

  • डंपरों के साथ आठ बूस्टर ट्रकों की भी ली गई थी आपूर्ति
  • बूस्टर ट्रकों पर लगाई नंबर प्लेटें, तीन को गुपचुप हटाया
  • गेट को रखा जाता है बंद, एंट्री के बाद ही रहा है प्रवेश
  • बैक्सी कंपनी की फंस गई डील, अधिकारियों में बैचेनी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: करोड़ों के गबन की परत दर परत खुली तो अधिकारियों में बैचेनी बढ़ गई है। डंपरों के साथ-साथ नगर निगम ने आठ बूस्टर ट्रकों की भी आपूर्ति ली थी। पोल खुलने के बाद ज्वाइंट डिपो से तीन बूस्टर ट्रकों को गुपचुप तरीके से हटा दिया गया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बूस्टर ट्रकों पर तो नंबर प्लेटें लगा दी गई हैं, जबकि डंपरों पर अभी टैम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन नंबर ही डला है। भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने अपने इस ज्वाइंट डिपो पर पहरेदारी बढ़ा दी है। गेट को 24 घंटे बंद रखने का फरमान दिया गया है और इसका पालन भी किया जा रहा है। उधर अपनी करोड़ों रुपये की डील फंस जाने के बाद बैक्सी लिमिटेड के अधिकारी भी बैचेन हैं। अपनी रकम को निकालने के लिए वह जुगाड़ में लग गये हैं।

11 14

घोटाले का पर्याय बन चुके नगर निगम में हमेशा घोटाले की नई से नई पटकथा रचने के लिए यहां के अधिकारी कुचक्र करते रहते हैं। यहां पर अधिकारियों को इस उम्मीद पर भेजा जाता है कि जनता की सेवा से जुड़े सीधे विभाग के होने की वजह से वह जनता की सेवा करेंगे। लेकिन होता इसके ठीक उलट है। अधिकारी यहां आकर जब जनता की सेवा के लिए आने वाली धनराशि का जखीरा देखता है तो उसका ईमान डगमगा जाता है। फिर तो वह इस निगम को दीमक की तरह चाटने में लग जाता है। समाज सेवा के नाम पर आने वाले अधिकारी अपनी जेबें भरने में लग जाते हैं।

इसके बाद हर छोटे से लेकर बड़ी तक की खरीद में पहले यह देखा जाता है कि कितना कमीशन मिल रहा है। कई सौदों में तो आधे-आधे पर मामला फाईनल ाहेता है। जहां कमीशन मिलता है, उस कंपनी को काम करने की इजाजत मिल जाती है। नहीं तो बाकी कंपनियां इधर से उधर चक्कर ही काटती रह जाती हैं। कहने को तो यहां 90 पार्षदों की भारी भरकम फौज है। लेकिन यह पार्षद नये और नगर निगम नियमावली से अंजान होने का फायदा सीधे यहां के घाघ अधिकारी उठाते हैं।

12 14

पार्षदों और महापौर को तो सिर्फ स्टाम्प की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इनको सिर्फ खरीद के मसौदे पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दी जाती है। इसके बाद क्या सामान आ रहा है, और डील किस सामान की हुई है। इससे पार्षदों को कोई सरोकार नहीं रह जाता है। पार्षद अपने वार्ड की छोटी-मोटी समस्याओं में उलझकर रह जाता है। जबकि अधिकारी पूरे शातिराना तरीके से बड़े घोटाले को अंजाम देने में लग जाते हैं।

खुद अधिकारियों ने ही मंगाये महेन्द्रा डंपर

अब नगर निगम में ताजा मामला डंपरों की खरीद से जुड़ा हुआ है। साढेÞ चार करोड़ रुपये से अशोक लीलैंड के 10 डंपरों की खरीद का मामला फाईनल हो जाने के बाद जब इस कंपनी ने मनमाफिक कमीशन नहीं दिया तो नगर निगम के अध्ािकारियों ने आपूर्ति कर्ता कंपनी बैक्सी लिमिटेड के साथ मिलकर महेन्द्रा ब्लेजर की आपूर्ति ले ली। सब कुछ शांति से निपट भी जाता, यदि यह डंपर सीधे नगर क्षेत्र में भेज दिये जाते, लेकिन बैक्सी लिमिटेड ने इन डंपरों को पहले दिल्ली रोड वाहन डिपो भेजा।

नगर निगम के अधिकारी दावा करते हैं कि उन्होंने अशोक लीलैंड के डंपरों का आर्डर किया था, लेकिन अधिकारियों के दावे में बड़ा झोल यह है कि यदि बैक्सी लिमिटेड ने मनमुताबिक कंपनी के डंपर नहीं दिये थे तो इन डंपरों की आपूर्ति लेने की जरूरत ही क्या थी? साफ जाहिर है कि अधिकारियों की अपनी सांठगांठ थी। उनकी ही सहमति के आधार पर बैक्सी लिमिटेड ने महेन्द्रा ब्लेजर की खरीद की। इसलिए पोल खुलने के बाद इन डंपरों को सरस्वती लोक के ज्वाइंट डिपो पर भेज दिया गया।

डंपरों के साथ आठ बूस्टर ट्रक की भी आपूर्ति

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब नगर निगम ने 10 डंपरों की आपूर्ति ली थी, तो उसके साथ ही आठ बूस्टर ट्रकों की भी आपूर्ति ली गई थी। यह बूस्टर ट्रक आयशर कंपनी के थे। इनकी खासियत यह है कि यह कूड़े के डंपरों को कूड़े समेत ट्रक में पलट लेते हैं। फिर खाली डंपरों को नीचे छोड़ देते हैं। इन बूस्टर ट्रकों का भी परिवहन विभाग मेरठ में रजिस्ट्रेशन करा लिया गया था।

इनका नंबर यूपी-15जी 9529 सीरिज में शुरू हुआ है। परिवहन विभाग ने इन बूस्टर ट्रकों का महेन्द्रा ब्लेजर डंपरों की भांति रजिस्ट्रेशन कर लिया था। बस बूस्टर ट्रकों में तो आॅटोमेटेड नंबर प्लेट की पेस्टिंग हो गई। जबकि महेन्द्रा डंपरों पर नंबर प्लेट अभी फीड नहीं हो सकी है। जबकि उनकी नंबर प्लेट एलॉट हो चुकी है।

13 14

तीन बूस्टर ट्रकों को ज्वाइंट डिपो से हटाया

भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार कर रहे जनवाणी ने नगर निगम अधिकारियों के इस घोटाले का पूरा राज फाश कर दिया है। इस सौदे में मुख्य भूमिका नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर स्वास्थ्य अनुभाग की है। स्वास्थ्य अनुभाग में अपनी मनमर्जी के अधिकारी की तैनाती इसी वजह से की गई है। ताकि अपने खेमे के अधिकारी की आड़ लेकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा सके। लंबे समय से यह खेल चल भी रहा है। लेकिन दैनिक जनवाणी ने इस पूरे खेल को जनता के सामने उजागर कर दिया है। इसका नतीजा यह निकला कि तीन बूस्टर ट्रकों को रविवार को ज्वाइंटर डिपो से हटाकर अन्यत्र भेजा गया है।

अभी डिपो में ही खड़े हैं पांच बूस्टर ट्रक

नगर निगम के महेन्द्रा ब्लेजर डंपरों के साथ आये आठ आयशर बूस्टर ट्रकों की भी आपूर्ति लेकर उनको सरस्वती लोक के ज्वाइंट डिपो में खड़ा किया गया है। इनमें से तीन बूस्टर ट्रक हटा दिये गये हैं। जबकि पांच बूस्टर ट्रक अभी इसी ज्वाइंट डिपो में ही खड़े हैं। पहले यह बूस्टर ट्रक ज्वाइंट डिपो में सबसे आखिर में खड़े किये गये थे। लेकिन रविवार को यह सभी बूस्टर ट्रक यार्ड में सबसे आगे कर दिये गये हैं। अभी पांच बूस्टर ट्रक भी सबसे आगे ही खड़े हैं।

डंपरों को पुरानी गाड़ियों की आड़ में छुपाया

नगर निगम अधिकारियों ने महेन्द्रा ब्लेजर डंपरों की पोल खुलने के बाद उनको छुपाने का जो काला कारनामा अंजाम देना शुरू किया है। वह उसको पूरे अंजाम तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। अब जनता के सामने इन डंपरों की पोल न खुले। इसलिए इन डंपरों को ज्वाइंट डिपो में टीन शेड में सबसे पीछे की तरफ खड़ा किया गया है। इन डंपरों के आगे पुराने ट्रक और दूसरे बड़े वाहन खड़े कर दिये गय हैं। ताकि यह छुपे रहें तथा जब यह अधिक धूल में भर जायें तो फिर इनको ऐसे ही सड़कों पर दौड़ा दिया जायेगा।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: सड़क पर कचरा गिराते दौड़ रही निगम की गाड़ी, बीमारी का बढ़ा खतरा

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: शहर में नगर निगम की कचरा...

Meerut News: पिटाई से क्षुब्ध प्रेमी ने लगाई आग, प्रेमिका फांसी पर झूली

जनवाणी संवाददाता |मेरठ: फाजलपुर अनूपनगर में प्रेमिका के परिजनों...

Meerut News: आगामी चार दिन बारिश से रहेगी राहत, प्रदूषण में भी आ रही गिरावट

जनवाणी संवाददाता |मोदीपुरम: मौसम विभाग ने आगामी चार दिन...
spot_imgspot_img