Saturday, June 29, 2024
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जब आपका बच्चा बड़ा होने लगे

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Balvani


ऐसा लगता है कि यह कल ही की तो बात है, जब आपका नन्हा-मुन्ना आपकी गोदी में खेलता था। पर अब आपके सामने आपका वही बच्चा जो अब भी छोटा ही है, उम्र के ऐसे पड़ाव पर है जहाँ से वह जवानी की दहलीज पर कदम रखेगा, जिसे हम किशोरावस्था कह सकते हैं। इस उम्र में आकर बच्चे परेशान हो जाते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता है कि उनके शरीर में यह कैसे बदलाव हो रहे हैं और क्यों हो रहे हैं। ऐसे में आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं?

आपको क्या मालूम होना चाहिए?
किशोरावस्था शुरू होने की कोई तय उम्र नहीं होती। यह आठ साल की उम्र में भी शुरू हो सकती है या फिर पंद्रह साल के आस-पास। बच्चों की परवरिश के बारे में लिखी गयी एक किताब बताती है, ‘सभी बच्चों के शरीर में बदलाव एक ही उम्र में शुरू नहीं होते।’

किशोरावस्था के दौरान मन में उथल-पुथल मचती है। किशोर बच्चे इस बारे में बहुत सोचते हैं कि लोगों का उनके रंग-रूप के बारे में क्या खयाल है। जय नाम का लड़का कहता है, ‘मैं हर वक्त यह सोचता रहता था कि मैं कैसा दिखता हूं और लोगों के साथ कैसे पेश आता हूँ। जब लोग मेरे आस-पास होते थे, तो मैं यह सोचता था कि कहीं उन्हें मैं अजीब तो नहीं लगता।’ और अगर चेहरे पर कील-मुहांसे आ जाएं, तो फिर पूछो ही मत, तब तो किसी के सामने जाने की हिम्मत ही नहीं होती। सत्रह साल की कोमल कहती है, ‘मुझे ऐसा लगा, जैसे किसी ने मेरे चेहरे पर हमला बोल दिया हो। मुझे याद है कि मैं रोया करती थी और अपने आप को बदसूरत समझती थी।’

जो बच्चे किशोरावस्था में जल्दी कदम रखते हैं, उन्हें ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह बात खास तौर पर लड़कियों के मामले में ठीक बैठती है। जब उनके शरीर में कुछ बदलाव होने लगते हैं जैसे छाती उभरना वगैरह, तो लोग उन्हें तंग करते हैं। माता-पिता अपने किशोर बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं, इस बारे में लिखी गयी एक किताब कहती है, ‘उन्हें उन लड़कों की नजरों में भी आने का खतरा होता है, जो अब जवान हो चुके हैं।’

किशोरावस्था का मतलब यह नहीं है कि बच्चे समझदार हो गए हैं। बाइबल आप क्या कर सकते हैं?
किशोरावस्था शुरू होने से पहले ही बच्चों से बात कीजिए। शरीर में होनेवाले बदलावों के बारे में अपने बच्चों को पहले से बताइए। बाकी बदलाव शरीर में धीरे-धीरे होते हैं, लेकिन कुछ बदलाव अचानक होते हैं। इससे बच्चे परेशान हो जाते हैं या डर जाते हैं। इन विषयों पर बातचीत के दौरान उनसे ऐसे बात कीजिए जिससे उन्हें बुरा न लगे, बल्कि वे यह समझ पाएं कि बड़े होने के लिए ये बदलाव जरूरी हैं।

खुलकर समझाइए। जीवन नाम का लड़का कहता है, ‘जब मेरे माता-पिता ने मुझसे इस विषय में बात की, तो उन्होंने सीधे-सीधे नहीं, बल्कि घूमा-फिराकर की। काश, उन्होंने मुझसे इस बारे में खुलकर बात की होती!’ 17 साल की अखिला कहती है, ‘मेरी मां ने मुझे मेरे शरीर में हो रहे बदलावों के बारे में तो बताया, मगर काश उन्होंने मुझे यह भी समझाया होता कि मेरे मन में जो अलग-अलग खयाल आ रहे हैं, वे क्यों आ रहे हैं।’ इससे हम समझ पाते हैं कि चाहे किशोरावस्था के बारे में बात करना कितना भी अटपटा क्यों न लगे, फिर भी हमें अपने बच्चे से खुलकर बात करनी चाहिए।

ऐसे सवाल कीजिए, जिनसे बातचीत शुरू हो सके। इस बारे में बात शुरू करने के लिए उसके दोस्तों या सहेलियों के बारे में सवाल कीजिए। जैसे आप अपनी बेटी से ये पूछ सकते हैं, ‘क्या आपके स्कूल में किसी लड़की ने माहवारी के बारे में आपसे बात की है?’ ‘क्या आपके स्कूल के बच्चे उन लड़कियों का मजाक उड़ाते हैं, जो अब जवान लगने लगी हैं?’ आप अपने बेटे से यह पूछ सकते हैं, ‘क्या बच्चे उन लड़कों का मजाक उड़ाते हैं, जो बड़े नहीं हुए हैं?’ जब माता-पिता दूसरे बच्चों में हो रहे बदलावों के बारे में बात करते हैं, तो उनके अपने बच्चों के लिए खुलकर बात करना आसान हो जाता है। किशोरावस्था में सिर्फ शारीरिक और जज्बाती तौर पर ही बदलाव नहीं होते। इस दौरान आपका बच्चा तर्क करना भी सीखता है, जिससे वह बड़ा होकर अच्छे फैसले कर सके। यही सही वक्त है, जब आप अपने बच्चे में बुद्धि और समझ-बूझ बढ़ा सकते हैं।

हार मत मानिए। कई बार नौजवान अपने माता-पिता से इस विषय पर बात करने से हिचकिचाते हैं, इसलिए समझदारी से काम लीजिए। आप और आपके किशोर बच्चे (अंग्रेजी) नाम की किताब कहती है, ‘आपका किशोर बच्चा शायद यह जताए कि वह आपकी सुन नहीं रहा, उसे इन बातों में दिलचस्पी नहीं है, या फिर मुंह बनाकर आपके सामने बैठ जाए और यह जताए कि वह बोर हो रहा है, पर असल में वह आपकी हर एक बात पर ध्यान दे रहा होता है।’


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