आप अपनी खुशी को बाहर किसी विशेष स्थिति में सीमित न करें। और आप दूसरों को मत देखें। अगर ये दो काम कर सकें तो आप बहुत आनंद से रह सकेंगे। नहीं तो किसी नौकरी में रहो, किसी भी डिपार्टमेन्ट में रहो, अंतत: दुखी ही रहोगे। जब तक दूसरों को देखते रहोगे, जब तक महत्वकांक्षाओं में रहोगे, दुखी रहोगे। जीवन का मजा यह है कि आप अपनी खुशी को बाहर किसी विशेष स्थिति में सीमित न करें। और आप दूसरों को मत देखो। जीवन का मजा यह है कि आप अपने कार्य करते हैं, आप अपने काम बहुत अच्छे ढंग से करते हैं, बुद्धि को लगाते हैं, शरीर से श्रम करते हैं, और श्रम करने में आनंद होता है, चीजों में आनंद नहीं होता।
पदवियों में अपने आनंद को नहीं ढूंढते, यह पदवी होगी तो आनंद होगा; यह पदवी नहीं होगी तो आनंद नहीं होगा; जिस दिन मैं यह बन जाऊं तभी आनंद मिलेगा; यह नहीं होगा तो सुख नहीं होगा; अब अगर इस तरह की शर्तों के साथ तुम जीओगे तो दुखी ही रहोगे। याद रहे, क्रोध वह अग्नि है जिससे सिर्फ अपना नाश होता है, दूसरे का नहीं। दूसरे का अगर आपके क्रोध के कारण जरा-सा नाश होता है तो याद रहे, आपकी शामत आई। वह उतने जोर से आपसे बदला ले लेगा। जब भी आप कभी अपने क्रोध को दूसरों के ऊपर फेंकते तो सामने वाला भी कोई महावीर या बुद्ध नहीं है, सामने वाला भी आपके जैसा ही है। आपके किए वार का बहुत उचित जवाब दे देगा। अगर आपसे बड़ा है तो उसी समय दे देगा, अगर आपसे छोटा है तो मौके की तलाश करेगा, जब वह बड़ा हो जाएगा बदला ले लेगा। तो एक दूसरे को हम नाहक पीड़ा देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि दूसरों को भूल जाइए। इससे आप स्वयं को पीड़ा देते हैं। इस बात को स्वीकार कर लें कि मुझे क्रोध से सच में बाहर आना है और महत्वकांक्षा को छोड़ना है।