- अमृत सरोवर योजना के तहत संतृप्त किया जाना था खरखौदा क्षेत्र का गांव हाजीपुर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिला मुख्यालय से महज दस किलो मीटर की दूरी पर मौजूद खरखौदा ब्लाक के गांव हाजीपुर के तलाब को सूबे की योगी सरकार की अमृत सरोबर योजना से तृप्त होने का आज भी इंतजार है। यह तालाब पूछ रहा है कि उसके हिस्से का अमृत कौन पी गया। इसकी प्यास बुझाना तो दूर की बात अभी तो तालाब के सीने पर जिनका खूंटा गड़ा है, पहली चुनौती तो उन्हें उखाड़ने की है। मसलन जिन्होंने इस यहां अवैध कब्जे कर पक्के निर्माण कर लिए हैं उन अवैध निर्माणों को हटाने की जंग लड़ना है, जंग में यदि हाजीपुर का यह सरोवर बचा लिया गया तो देर से ही सही इसे अमृत तो मिल ही जाएगा।
ऐसा नहीं कि हाजीपुर गांव का केवल सरोबर ही प्यासा है। गांव की यदि बात करें तो भले ही सिस्टम चलाने वाले विकास के दावों की बरसात करते हों, लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि हाजीपुर गांव विकास की बरसात तो दूर यह गांव विकास की एक बूंद तक को यह गांव तरस रहा है। को भी तरस रहा है।
महज हाजीपुर ही अपवाद नहीं
अमृत सरोवर या फिर बकौल सीडीओ अटल भूजल योजना के तहत जनपद की प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक तलाब का निर्माण कराया जाना था, लेकिन पूर्व के कितने तलाब ऐसे हैं जो गांव के दबंगों के कब्जे में हैं और उन्हें कब्जा मुक्त करने का क्या प्लान है इस पर काम करने के फिलहाल नए तालाबों की बात की जा रही है।
दावा तो यह करने का था
प्रदेश भर के गांवों के तालाबों को लेकर पांच माह पूर्व सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि प्रदेश के गांवों में 16 लाख सरोवर बनाए जाएंगे तथा करीब 24 हजार की खुदाई की भी जानकारी तब दी गयी थी। साथ ही यह भी कि हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब। इनके किनारों पर हरियाली। बैठकर सुकून के कुछ घंटे गुजरने के लिए जगह-जगह लगी बेंचे। कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृत महोत्सव पर बन रहे अमृत सरोवरों का।
हर अमृत सरोवर खूबसूरत हो और यह गांवों का पर्यटन स्थल बने। इसके लिए सीएम योगी की सरकार एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी ऐलान किया। इसके तहत जो अमृत सरोवर सबसे अच्छे होंगे। उनके निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों,अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा। अमृत सरोवरों के किनारे हरियाली हो इसके लिए 21 सितंबर को पौधरोपण का सघन अभियान का भी ऐलान किया गया।
इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा 80 हजार होमगार्ड के जवान पौधरोपण में भाग लेंगे। इसके लिए गड्ढे मनरेगा से खोदे जाएंगे। निशुल्क पौधे वन विभाग उपलब्ध कराएगा। ये अमृत सरोवर, सबकी मदद से सबके लिए और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर बनाने का भी दावा किया गया। पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशालाएं और मंदिर जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का होता था।
इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। यही वजह है कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या अमृत सरोवरों के निर्माण की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको जनता से जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करते रहे हैं। अमृत सरोवरों की रिकॉर्ड संख्या के निर्माण के पीछे यही वजह है।
16 लाख सरोवर
पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर के निर्माण का लक्ष्य था। बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवरों का निर्णय लिया गया है। इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख 16 हजार के करीब हो जाएगी। भविष्य में ये सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाएंगे। बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की समस्या का भी हल निकलेगा।
यूपी सरकार अब तक 24583 से ज्यादा खेत-तालाब खुदवा चुकी है। पांच साल का लक्ष्य 37500 खेत तालाब निर्माण की है। इनका निर्माण कराने वाले किसानों को सरकार 50% का अनुदान देती है। इस समयावधि में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है। 10656 के निर्माण का काम चल रहा है। 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किये जा चुके हैं।
जमीनी हकीकत
गांव के सरोवर के अलावा चले स्कूल की ओर अभियान चलाने वाला सिस्टम के अफसरों को इस गांव की पाठशाला के बाहर पसरी गंदगी नहीं दिखाई देती, बच्चे भले ही बीमार हो जाएं। स्कूल के आसपास गंदगी के अंबार के बाद अभिभावकों ने भी बच्चों को स्कूल भेजना कम कर दिया है। एक तरफ केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार एक साथ मिलकर प्रदेश के सभी गांवों की कायापलट करने का काम कर रही है।
वही उत्तर प्रदेश के कई जिले में कई गांव केंद्र सरकार व राज्य सरकार की योजनाओं से वंचित भी हैं। मेरठ ब्लॉक के गांव हाजीपुर का हाल देख सभी ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली है। हाजीपुर ग्राम पंचायत मेरठ ब्लॉक के अंतर्गत आती है। ग्राम हाजीपुर अपनी मुफलिसी पर रोता नजर आ रहा है। हाजीपुर गांव में करीब तीन हजार वोटर है। गांव में दो सरकारी स्कूल भी हैं, लेकिन इस गांव की कायापलट की बात तो दूर है।
गांव में एक भी तालाब ऐसा नहीं जिसमें गांव की पानी निकासी की जा सके। गांव में एक तालाब है। तो उसे वहां के भैंस पालने वाले दूधियो ने कूड़े करकट से भर दिया है। पूरे गांव की नालियों में कूड़े करकट की गंदगी के कारण गांव की पूरी नालियां चौक हो गई है। जिसके कारण गांव का पानी सड़कों पर भर गया है। गांव में बने उच्च प्राथमिक विद्यालय के सामने गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है।
जिससे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है। वही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि सामने पड़ी गंदगी से बुरी महक आती है। जिससे कई बच्चों को कई बार उलटी और बुखार भी हो गया है। यहां अधिकारी आते हैं, लेकिन बजाए समस्या की तह तक जाने के केवल खानापूर्ति की जाती है।
ठेकेदारों का अटका है भुगतान, कैसे हो नया काम
हाजीपुर गांव में पहले जो काम कराए गए हैं उनको कराने वाले ठेकेदारों की भुगतान की बड़ी रकम गांव की पंचायत या कहें कि प्रशासन पर अटकी हुई है। हालत यह हो गयी है कि भुगतान अटका होने की वजह से ठेकेदार नये काम के ठेके लेने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं।
नाम न छापे जाने की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि प्रशासन पर अटकी पेमेंट निकालना अब आसान काम नहीं रह गया है। वही दूसरी गांव विकास सचिव छवि चौधरी ने बताया कि जो काम पूर्व में कराए गए हैं उनमें से कुछ भुगतान अटका हुआ है। बजट आने के बाद यह भुगतान करा दिया जाएगा। प्रशासन के निर्देशानुसार ही काम कराए जाएंगे।
ये कहना है सीडीओ का
जिला मुख्य विकास अधिकारी शशांक चौधरी से जब खरखौदा ब्लाक के गांव हाजीपुर पर अवैध कब्जे को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसके लिए पहले ही एसडीएम से रिपोर्ट तलब कर ली गयी है। जहां कब्जे हैं वहां विधिक कार्रवाई अमल में लायी जा रही है।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि अटल भूजल योजना के तहत जनपद के खरखौदा व मवाना ब्लाक में काम चल रहा है। इस योजना के तहत विभिन्न माध्यमों से राशि मुहैय्या करायी जाएगी।