- करीब आधा दर्जन स्थानों पर हर रोज लगता है भयंकर जाम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वाया मेरठ दिल्ली-देहरादून हाइवे पर जगह-जगह अवैध रूप से बना दिए गए मौत के कट को लेकर एनएचएआई के स्थानीय अफसरों की लापरवाही किसी बडेÞ बबाल का कारण बनेगी। हाइवे पर परतापुर से लेकर मोदीपुरम फ्लाईओवर पर जगह-जगह अवैध कट बना दिए गए हैं। किसी एक स्थान पर नहीं बल्कि पूरे हाइवे पर ऐसे अवैध कट देखने को मिल जाएंगे। इन अवैध कट का यूज आसपास के लोग शार्टकट के रूप में सड़क की एक साइड से दूसरी साइड जाने के लिए करते हैं।
बाइपास से होकर जो भी हल्के भारी वाहन गुजरते हैं आमतौर पर पूरी स्पीड में होते हैं। इनमें ज्यादातर वाहन बाहरी होते हैं। जितने भी बाहरी राज्यों व जिलों के वाहन होते हैं, वो बाइपास से फर्राटा भरते हुए निकलते हैं। इन वाहनों के चालकों को इस बात का इलम नहीं होता है कि इस बाईपास पर जगह-जगह लोगों ने रोड क्रास करने के लिए कट बनाए हुए हैं। बाहरी वाहन तो पूरी स्पीड से हाइवे से निकलते हैं।
हादसों को न्योता
सड़क क्रास करने के लिए जगह-जगह अवैध रूप से बनाए गए हाइवे के ये कट हमेशा ही हादसों को न्योता देते नजर आते हैं। हाइवे पर बनाए गए डिवाइडर पर जगह-जगह हरे भरे पेड़ लगे हैं। रोड क्रॉस करने वाले अक्सर इन पेड़ों के बीच बाइक या स्कूटी या फिर पैदल ही खड़े हो जाते हैं। वो झांक कर देखते रहते हैं कि कोई वाहन तो नहीं आ रहा। रोड क्लीयर मिलता है तो हाइवे क्रॉस करने लगते हैं,
कई बार ऐसा हुआ है कि जब लोग बीच हाइवे पर होते हैं, उसी दौरान अचानक फर्राटा भरते हुए वाहनों का रेला आ निकलता है। यदि वाहन चालक तेजी व समझदारी दिखाते हुए बे्रक ना ले तो न जाने कितने लोगों की जान चली जाए। इसलिए इन्हें मौत के अवैध कट कहा जाता है।
देखकर भी अनदेखी
जो मौत के कट हाइवे पर बना दिए गए हैं एनएचएआई का जो दल मेनटिनेंस का काम देखता है वो भी मौत के कटों पर खड़े होकर रोड क्रॉस करने वालों को कभी भी रोकने का प्रयास नहीं करते। कई बार तो एनएचएआई का दल हाइवे पर काम करता रहता है
और उन्हीं के सामने से लोग मौत के इन कटों से हाइवे पार करते देखे जा सकते हैं। इन कटों को लेकर यदि शीघ्र ही एनएचएआई के स्थानीय अफसरों की नींद नहीं टूटी तो बड़ा हादसा हो जाएगा और हाइवे पर हादसे का मतलब शहर की शांति व्यवस्था के लिए बड़े खतरे को दावत देना है।