जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: वैश्विक शोधकर्ताओं की एक टीम गुरुवार को चीन के उस शहर में पहुंची, जहां कोरोना वायरस महामारी का पहली बार पता चला था। टीम वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए जांच करेगी। टीम यह भी पता करेगी कि क्या चीन ने वायरस से संबंधित खोजों को रोकने की कोशिश की है।
इस टीम को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वुहान भेजा गया है। इस 10 सदस्यीय टीम को महीनों के राजनयिक टाल-मटोल के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने मंजूरी दे दी थी।
वैज्ञानिकों को शक है कि चीन के दक्षिण पश्चिम में वायरस ने चमगादड़ या अन्य जानवरों के जरिए मनुष्यों के शरीर में प्रवेश किया होगा। 2019 से अब तक वायरस के कारण 1.9 मिलियन लोगों की मौत हो गई है। ऐसी शिकायते हैं कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने यह बीमारी फैलने की अनुमति दी। चीन का कहना है कि वायरस विदेश से आया था, संभवतः आयातित समुद्री भोजन पर लेकिन वैज्ञानिक इस तर्क को अस्वीकार करते हैं।
A World Health Organization (WHO) team of 10 international experts that will investigate the origins of #COVID19 pandemic, to arrive in China shortly. Visuals from Wuhan airport.
(Source: Reuters) pic.twitter.com/foz8dDaoPG
— ANI (@ANI) January 14, 2021
डब्ल्यूएचओ की टीम में संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, रूस, नीदरलैंड, कतर और वियतनाम के वायरस और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह वे चीनी वैज्ञानिकों के साथ ‘विचारों का आदान-प्रदान’ करेंगे, लेकिन उन्होंने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि क्या उन्हें सबूत इकट्ठा करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। उन्हें दो सप्ताह के क्वारंटीन के साथ-साथ गले के स्वैब परीक्षण और कोविड-19 के लिए एक एंटीबॉडी परीक्षण से गुजरना होगा।
हालांकि 10 सदस्यीय टीम क्वारंटीन में रहते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चीनी विशेषज्ञों के साथ काम करना शुरू करेंगे। ट्रंप प्रशासन द्वारा वायरस के प्रसार के लिए बीजिंग को दोषी ठहराए जाने के बाद चीन ने एक अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को खारिज कर दिया था। वायरस ने 1930 के दशक के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा बुरे दौर में धकेलने का काम किया। ऑस्ट्रेलिया द्वारा अप्रेल में एक स्वतंत्र जांच की मांग करने पर बीजिंग ने ऑस्ट्रेलियाई बीफ, शराब और अन्य सामानों के आयात को रोककर जवाबी कार्रवाई की थी।