जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस दौरान पूर्व सरकारों को ऐसी महान हस्तियों को यह सम्मान न देने को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने मौजूदा भाजपा सरकार के इस फैसले को जमकर सराहा।
उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के पद पर रहते हुए जब मुझे पता चला कि भारत के पांच सपूतों को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ दिया जा रहा है, तो मन में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। देश और दुनिया उन्हें बहुत अच्छे से जानती है। चौधरी चरण सिंह का पूरा जीवन गांवों और किसानों के लिए समर्पित था। वे ईमानदारी के प्रतीक थे।
‘वे अपने सिद्धांतों से कभी नहीं डिगे’
उन्होंने कहा कि मैं चौधरी चरण सिंह से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सका, लेकिन 1977 में जब वे राजस्थान आए, तो मैं जयपुर से श्रीगंगानगर गया और उनका आशीर्वाद लिया। वे किसानों के प्रति समर्पित थे और उनके सर्वमान्य नेता थे। उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी। उनका किसानों के प्रति लगाव था। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने सिद्धांतों से कभी नहीं डिगे।
‘इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं’
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती कि भारत के उपराष्ट्रपति और एक किसान का बेटा होते हुए जब मुझे इसकी जानकारी मिली तो मैंने बिना समय बर्बाद किए मैंने इसे राज्यसभा के सदस्यों के साथ साझा किया। मैं सदन सभी वर्गों द्वारा किए गए स्वागत से अभिभूत हूं।
‘ऐसे लोगों का सम्मान करना प्रशंसा का विषय’
उन्होंने कहा कि वे किसानों से कहा करते थे- किसान अर्थव्यवस्था में योगदान देने के साथ-साथ भारत की राजनीति की रीढ़ भी हैं। आज मुझे खुशी है। किसानों के बच्चे रोजगार के मामले में बहुत आगे हैं, गांवों में कितना बदलाव आया है। एक तरह से चौधरी साहब के सपने आज साकार हो रहे हैं। इतनी बड़ी शख्सियत का इतना बड़ा सम्मान, वह भी ऐसे दौर में जब भारत अपने अमृत काल में है। ऐसे लोगों का सम्मान करना हम सभी के लिए प्रशंसा का विषय है।
‘सरकार के इस कदम से भारत रत्न का सम्मान बढ़ा’
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके लिए भारत रत्न की घोषणा बहुत देरी से की गई? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि एक अवसर था, पहले की सरकारों को पुरस्कार देना चाहिए था। सरकार के इस कदम से भारत रत्न का सम्मान बढ़ा है। इसके लिए सरकार और प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहिए। पहले जब पद्म पुरस्कार दिए जाते थे तो क्या दृष्टिकोण था? आज जब पद्म पुरस्कार दिए जाते हैं तो लोग एक स्वर में कहते हैं- ‘सही मिला’। ऐसी शख्सियत (चौधरी चरण सिंह) को जब इतनी देरी से भारत रत्न दिया जाता है तो थोड़ा दुख होता है, लेकिन वह दर्द आज कम हो गया है। आज चौधरी साहब को भारत रत्न मिला और आप कल्पना कर सकते हैं करोड़ों किसानों, ग्रामीणों को चैन की नींद आएगी।
एमएस स्वामीनाथन पर भी बोले धनखड़
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘एमएस स्वामीनाथन को देखिए, हमने वह युग देखा है जब देश में गेहूं का आयात किया जाता था। उन्होंने एक क्रांति ला दी। नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री रहे, उन्हें एक विद्वान-राजनेता कहा जाता था। जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, स्वामीनाथन के पास किसानों के लिए एक बड़ा विचार था। मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि आज जो प्रगति हो रही है, उसका केंद्र बिंदु वे ही हैं। हर गांव में सड़क होने से किसानों को फायदा होता है। हर घर में बिजली, नल, शौचालय होने से किसानों को फायदा होता है। अगर किसान सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें, तो वे अर्थव्यवस्था का और भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएंगे।
‘लोगों की पसंद के पीछे कोई संदेश?’
यह पूछे जाने पर कि क्या अब भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले लोगों की पसंद के पीछे कोई संदेश है? उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत 5000 साल पुरानी है। इन 5000 वर्षों में कुछ नैतिक मूल्य स्थापित हुए हैं, कुछ मानक तय कर दिए गए हैं। अगर आप पिछले दौर में जाएं तो किसे सम्मानित किया गया? जिनका समाज में मर्यादित आचरण था। जो समाज का कल्याण चाहते थे। भारत रत्न की गरिमा बहुत बढ़ गई है। जब ऐसे महान व्यक्तित्वों का सम्मान किया जा रहा है तो हर भारतीय के मन में एक ही बात है- अब मापदंड बदल गए हैं। मापदंड में अब राष्ट्रवाद है, आदर्शवाद है, मापदंड का मूल्यांकन अब राष्ट्रहित, किसान हित, गरीब हित में है।