- चौराहों पर तैनात यातायात पुलिस कर्मियों पर सवाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने की जिम्मेदारी यातायात पुलिस पर है। इसके लिए शहर के सभी प्रमुख चौराहों व सड़कों पर इनकी तैनाती रहती है, लेकिन यातायात पुलिसकर्मियों की नजर केवल उन वाहनों पर होती है, जो दूसरी जनपद या राज्य के होते है। इन वाहनों की सघन तालाशी ली जाती है। इसके बाद ही इन्हें जाने दिया जाता है। मेरठ को दूसरे जिलों से जोड़ने वाली सड़कों जैसे गढ़ रोड, मवाना रोड, रुड़की रोड, सरधना रोड, बड़ौत रोड, बागपत रोड, दिल्ली रोड, किला रोड व हापुड़ रोड वह प्रमुख सड़कें हैं।
जिनसे गैर जनपद के वाहन शहर में प्रवेश करते हैं। वहीं, इन सड़कों पर तैनात यातायात पुलिसकर्मी किसी दूसरे जिले या राज्य के वाहन का प्रवेश होते ही उसे रोकने के लिए दौड़ पड़ते हैं। हालांकि यह इनकी जिम्मेदारी भी है, लेकिन कई बार इन वाहनों में यात्रा करने वाले परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, खासकर ऐसे परिवार जिनके साथ महिलाएं व छोटे बच्चे भी होते हैं।
वहीं, चर्चा ये भी रहती है कि दूसरे जनपद के वाहनों से वसूली भी की जाती है। गैर जनपद के वाहनों की चेकिंग को लेकर एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि एनसीआर में 15 साल से ऊपर के वाहनों को चलाने पर प्रतिबंध है। जिसको लेकर ऐसे वाहनों के कागजात जांचने जरूरी हो जाते हैं, जो बाहरी राज्य या जिले के होते हैं। वैसे हम मेरठ नंबर के संदिग्ध वाहनों की भी चेकिंग करते हैं, जो हमारी ड्यूटी है।
फैंटेसी वर्ल्ड वाटर पार्क पर कार्रवाई से आखिरकार क्यों बच रही पुलिस ?
परतापुर थाना क्षेत्र स्थित फैंटेसी वार्ल्ड वाटर पार्क में मोदीनगर के रहने वाले बैंक मैनेजर की मौत होने के 72 घंटे बाद पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन हुआ कुछ नहीं। जबकि वाटर पार्क हमेशा से ही विवादों में घिरा रहता है, लेकिन इसके संचालकों के खिलाफ भी कभी कोई कर्रवाई नहीं हुई। रविवार की घटना के बाद पुलिस ने जिन तीन लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।
उनमें एक 2017 में मेरठ के चौधरी चरणसिंह कारावास के जेलर रहे एके सिंह भी है। बताया जा रहा है कि जेलर के रुतबे के सामने पुलिस नतमस्तक हो गई है। पुलिस इस कदर रिटायर्ड जेलर के प्रभाव में है कि गुरुवार को जिन तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। उनमें से केवल दो दिल्ली निवासी विजय जैन व बुलंदशहर निवासी नजाकत के ही नाम उजागर किए। जबकि नोएडा के रहने वाले रिटायर्ड जेलर एके सिंह का नाम छिपाने की पूरी कोशिश की गई।
बताया जा रहा है कि रिटायर्ड जेलर आठ-दस दिन में एक बार वाटर पार्क का जायजा लेने आते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी इसी वाटर पार्क के सुरक्षाकर्मियों पर महिलाओं से छेड़छाड़ का आरोप लगा था, जबकि जिलधिकारी के आदेश पर एडीएम सिटी ने तीन सदस्यों की जांच कमेटी का गठन किया था, लेकिन कमेटी ने जांच के नाम पर कुछ नहीं किया। अब परतापुर पुलिस भी वाटर वर्ल्ड संचालकों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर जांच तक करने से बच रही है।