Friday, May 30, 2025
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बजट से होंगे मालामाल या होगा बुरा हाल?

SAMVAD


23 1मोदी सरकार 2024 के लिए एजेंडा सेट कर रही है और विपक्ष भी अपनी पिच तैयार कर रहा है। आज बजट के जरिए सरकार ने अपनी अर्थनीति देश के सामने रख दी। इस अर्थनीति के बैकड्रॉप में राजनीति भी है। सरकार ने मिडिल क्लास को खुश करने वाला दांव चल दिया है। किसान के खलिहान और गरीब की थाली के लिए अपनी थैली खोल दी है। अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। केंद्रीय बजट से आम आदमी से लेकर उद्योग जगत को भी कई उम्मीदें हैं, कोरोना महामारी के बाद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था जी 20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है, हालांकि,देश की इकोनॉमी की रिकवरी तेज करने, कर्ज के बोझ में कमी लाने, मध्यम वर्ग को राहत देने और राजकोषीय घाटा कम करने जैसी बड़ी चुनौतियां हैं।साल 2023 उस समय को दिखाता है जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है।आने वाले 25 सालों में 2047 का साल आएगा, जो हमारी स्वतंत्रता का 100वां साल होगा..

व्यक्तिगत कर में मोदी सरकार ने नौकरीपेशा वर्ग को बड़ी राहत दी है।अब नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख तक की सालाना आय टैक्स-फ्री हो गई है। यह छूट पहले 5 लाख तक थी। पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर छूट की सीमा अब 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख तक कर दी गई है। वहीं टैक्स स्लैब में भी बदलाव हुआ है। अब 0 से 3 लाख रुपये-0-3 से 6 लाख रुपये 5 प्रतिशत, 6 से 9 लाख रुपये 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपये 20 प्रतिशत, 15 लाख से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा। नए टैक्स सिस्टम में अब ज्यादा इंसेंटिव दिए जा रहे हैं। इससे टैक्सपेयर्स बिना किसी संकोच के पुराने से नए टैक्स रीजीम में शिफ्ट कर सकेंगे जिनकी आमदनी 7 लाख रुपये तक है, उन्हें एक रुपये भी टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन उनकी आमदनी 7 लाख से एक रुपये भी बढ़ जाती है तो उन्हें टैक्स देना होगा

‘सबका साथ-सबका प्रयास के जरिए ‘जनभागीदारी’ की जरूरत को ध्यान में हुए अमृत काल के लिए मजबूत वित्तीय क्षेत्र के साथ एक तकनीक-संचालित एवं ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था को दिशा देने वाला यह बजट है। इनमें समावेशी विकास, अंतिम मील तक पहुंच, अवसंरचना एवं निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र इन मुद्दों का समावेश है। देश के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास बेहद जरूरी है। सड़क, रेल, बिजली, स्वास्थ, शिक्षा और खेती से जुड़े महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया गया निवेश मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही व्हीकल स्कैपिंग पॉलिसी को बढ़ावा देने के लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। किसानों के लिए अनेक नई योजनाओं जैसे 2,200 करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर स्वच्छ योजना कार्यक्रम, वैकल्पिक उर्वरकों और उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम योजना का प्रावधान किया गया है।

दूसरी तरफ मैडम वित्तमंत्री की बहुत तारीफ हो रही है। 41 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला और 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन।देश की जनसंख्या कितनी है? देश में अमीर कितने हैं? सिर्फ दो? या दो सौ? या दो हजार या दो लाख? कर्मकांड, आस्था, राजनीति और भक्ति, राष्ट्रवाद को छोड़े बिना अर्थव्यवस्था को भी समझें। अर्थशास्त्री के छात्र और शिक्षक हमें अर्थशास्त्र समझा दें तो बेहतर। दुनिया मंदी की चपेट में हैं। छंटनी की बहार है और हमारे बच्चों ने पिछले तीन दशकों से कुछ नहीं सीखा आईटी और कम्प्यूटर के सिवाय। अब बच्चों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी से होगा रोजगार सृजन? स्टार्ट अप से? संविदा नौकरी से? फाइव जी से? आर्टिफिशियल टैलेंट से? आॅनलाइन क्लास का नतीजा यह है कि स्कूली बच्चे भी प्रेम में आत्महत्या कर रहे हैं। लिव इन में बुराई नहीं है। लेकिन ब्रेक अप के बाद गर्ल फ्रेंड के खिलाफ हिंसा,अपराध? नशे का शिकंजा? किसानों को कर्ज से होगा कृषि विकास और विकास एनजीओ और पीपीपी के भरोसे?

सात लाख की आय तक इनकम टैक्स नहीं देना होगा। स्वागत है। जनता मालामाल हो गई। स्थाई नौकरी कितने करोड़ लोगों की है? 15 लाख से ऊपर जिनकी आय है, उन्हें सिर्फ 30 प्रतिशत टैक्स देना है। कुछ समझे? पर्यटन विकास की महिमा जोशीमठ की देवी महिमा से नहीं समझे? महंगाई कितनी घाटी? बजट घाटा का क्या हुआ? व्यापार संतुलन? वित्तीय घाटा? मुद्रा स्फीति? पीपीपी मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग होम से चिकित्सा कितनी

सस्ती,कितनी सुलह होगी? शिक्षा,ऊर्जा,परिवहन और किराने का खर्च घटेगा? इंफ्रा में निवेश का आशय क्या है?
अगले वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में मनरेगा जैसी जन लोक कल्याणकारी एवं अति महत्वाकांक्षी योजना के बजट में 30,000 करोड रुपए की कटौती करना यह साबित करता है कि यह बजट भूमिहीन किसानों गरीब मजदूरों एवं वंचित वर्ग के हितों के विपरीत बजट है। इसी प्रकार कृषि एवं किसान कल्याण कोष की राशि में बढ़ोतरी करने के बजाए इस वर्ष 7500 करोड रुपयों की कटौती की गई है साथ ही किसानों की सर्वाधिक आवश्यकता की जरूरत यूरिया के लिए बजट में गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 23000 करोड रुपयों की कटौती की गई है।


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