Tuesday, September 23, 2025
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ग्रैंड-5 में फिर से काम शुरू, मेडा अफसर खामोश

  • सेटिंग से चल रहा हैं ग्रैंड-5 में अवैध निर्माण

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ग्रैंड-5 के मालिकों का दुस्साहस तो देखिये कि अवैध निर्माण करने के मामले में थाने में मेडा इंजीनियर की तरफ से तहरीर दे रखी हैं, फिर भी अवैध निर्माण किया जा रहा हैं। ध्वस्तीकरण के भी आदेश हैं। इसमें एफआईआर तो दर्ज नहीं हुई, लेकिन अवैध निर्माणकर्ता ने सेटिंग का खेल कर रात-दिन निर्माण किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक इसकी शिकायत पहुंच गई हैं,

लेकिन अवैध निर्माणकर्ता का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा हैं। इसमें एनजीटी का भी किसी तरह का भय इंजीनियरों को नहीं हैं। एनजीटी ने स्पष्ट कर रखा है कि ग्रीन वर्ज में किसी तरह का निर्माण नहीं होने दिया जाए, लेकिन यहां तो खुलेआम ग्रीन वर्ज में गै्रैंड -5 में निर्माण चल रहा हैं, जिसको रोका-टोका नहीं जा रहा हैं। ये तहरीर और ध्वस्तीकरण आदेश ग्रैंड-5 के छह माह पहले हुए थे।

तब कुछ नहीं बिगड़ा तो अब फिर से बड़ा अवैध निर्माण आरंभ कर दिया गया। प्रवर्तन जोनल प्रभारी अर्पित यादव ने बताया कि छह माह पहले ध्वस्तीकरण के आदेश हुए थे। तब हाथ से अवैध निर्माण उनकी मौजूदगी में गिराया गया था। अब फिर से जांच कराई हैं, जिसमें अवैध निर्माण होते हुए मिला है। इसके बाद ही जोनल अधिकारी ने इंजीनियर मनोज सिसौदिया को फिर से ग्रैंड-5 का जो निर्माण ग्रीन वर्ज में किया गया हैं, उसके ध्वस्तीकरण के आदेश दिये हैं।

इंजीनियर के स्तर पर इसमें बड़ा खेल चल रहा हैं। जब मेडा सख्त है तो फिर ग्रीन वर्ज में निर्माण क्यों होने दिया जा रहा हैं। छह माह पहले भी इसमें अवैध निर्माण चला, जिसमें सरकारी दस्तावेज में ध्वस्तीकरण के आदेश हुए और ये फाइल बंद कर दी गई। यहीं तो खेल इंजीनियर कर रहे हैं। अब फिर अवैध निर्माण चल रहा हैं, फिर से लीपापोती का काम चल रहा हैं। ये प्रभावशाली व्यक्ति का निर्माण हैं, जिसके चलते इसे अभयदान दिया जा रहा हैं।

होटल करीम मुस्लिम व्यक्ति का था, जिसके चलते उसे पर सील लगा दी गई और ध्वस्तीकरण के आदेश भी कर दिये हैं। निर्माण किसका हैं? इसे देखकर मेडा के इंजीनियर काम कर रहे हैं। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का निर्माण हैं तो उसे देखकर भी अनदेखा कर दिया जाता हैं। यही तो खेल चल रहा हैं। इसके पीछे बड़े व्यक्ति का हाथ होना चाहिए। इसी तरह से न्यूटिमा का मामला चला था,

जिसकी पार्किंग में लैब और मैनेजमेंट का आॅफिस चल रहा हैं। वहां भी दबाव बना तो अभयदान दे दिया गया। इस तरह से मेडा के इंजीनियरों का दोहरा चरित्र सामने आ रहा हैं। इसको लेकर शहर में तरह-तहर की चर्चाएं चल रही हैं। बड़े व्यक्ति का आप पर हाथ है तो इंजीनियर भी मौन हो जाता हैं। फिर चाहे जितना अवैध निर्माण किया जा सकता हैं।

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