जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: नवरात्र की शुरुआत होने के साथ ही बाजारों में आर्थिक गतिविधि रफ्तार पकड़ने लगी है। करीब सात महीने सुनसान रहे बाजारों में ग्राहकों की चहल-पहल नजर आने लगी है। कोरोना महामारी के कारण बेरोजगार होकर अपने घरों में बैठे कामगार भी अच्छे दिनों की उम्मीद में अपने गृह जनपदों से दिल्ली-एनसीआर का रुख करने लगे हैं।
ऐसा पहली बार है कि त्योहारों के सीजन में वह दिल्ली लौट रहे हैं क्योंकि, इस बार उनके पास रोजगार नहीं है। कामगारों को काम देने वाले दुकानदार भी उनकी वापसी पर खुशी जता रहे हैं। कुछ दुकानदार तो उन्हें ट्रेन व बसों
का किराया भेजकर वापस बुला रहे हैं।
छठ पर्व पर फिर चले जाएंगे वापस
कोरोना संक्रमण के डर से अब तक पूर्वांचल से आने वाली बसों व ट्रेनों में यात्रियों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन बाजारों में भीड़ बढ़ने के साथ ही कामगार दोबारा लौटने लगे हैं। पूर्वांचल से दिल्ली की ओर आने के लिए बड़ी संख्या में ट्रेनें चलाई गई हैं, जिनसे कामगार वापस पहुंच रहे हैं।
आनंद विहार बस अड्डे पर भी पूर्वांचल के यात्रियों की संख्या काफी बढ़ गई है। हालांकि, गांवों में काफी समय से खाली बैठे कुछ कामगार दोबारा थोड़ी बहुत कमाई के बाद छठ महापर्व पर अपने घर लौट जाएंगे।
गांव में नहीं मिल रहा था काम
लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग परिवार समेत दिल्ली-एनसीआर से अपने गांवों को चले गए थे। उनके पास जो थोड़ी बहुत जमापूंजी थी वह गांव जाने पर खत्म हो गई।
वहां अधिकतर लोगों को मनरेगा योजना के अलावा कोई दूसरा काम नहीं मिल रहा था। इसलिए दिल्ली-एनसीआर में वापसी करना उनकी मजबूरी बन गया था।
लॉकडाउन में भी भेजते रहे पूरी तनख्वाह…
अपने कर्मचारियों के साथ नंदिनी फैब्रिक्स की मालकिन नंदिनी
सरोजनी नगर बाजार में कपड़ों की दुकान में काम करने यूपी के कासगंज जिले के हरिशंकर बताते हैं कि लॉकडाउन लगने के बाद वह परिवार समेत गांव चले गए। फिर भी उनके दुकान मालिक अशोक रंधावा उन्हें तनख्वाह भेजते रहे। ग्राहकों की भीड़ बढ़ने पर दुकान मालिक ने उन्हें दोबारा ट्रेन का टिकट देकर वापस बुला लिया है।
लाजपत नगर बाजार में बड़े ब्रांड के कपड़ों की दुकान चलाने वाली नंदिनी सचदेवा बताती हैं कि लॉकडाउन के समय उनके कर्मचारी भी गांव चले गए थे। इस दौरान वह कर्मचारियों को तनख्वाह भेजती रहीं। अक्तूबर के पहले सप्ताह से बाजार में भीड़ बढ़ने से कर्मचारियों को वापस बुला लिया।
उनके रहने खाने तक का इंतजाम किया गया है। नंदिनी का कहना है कि दुकान में कामगारों के बगैर कारोबार पूरी तरह अधूरा है। बाजार में करीब 900 छोटी-बड़ी दुुकानें है, जहां 400 से अधिक पूूर्वांचल के कामगार हैं। इनमें से 50 फीसदी वापस लौट आए हैं।
शादी के मौसम से कमाई की उम्मीद
दुर्गा पूजा, दशहरा, दीवाली और छठ पूजा के बाद शादियां शुरू हो जाएंगी। इसे देखते हुए लाजपत नगर, सरोजनी नगर, गांधी बाजार, चांदनी चौक समेत अन्य बाजारों में पहले की तरह रौनक लौटने की उम्मीद जताई जा रही है। त्योहारों के बाद शादियों की तैयारी के लिए खरीदारी करने लोग घरों से बाहर निकलने शुरू हो जाएंगे।
कोरोना संक्रमण रोकना चुनौतीपूर्ण
बाजारों में बढ़ रही भीड़ को देखते हुए प्रशासन के लिए भी कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना काफी चुनौतीपूर्ण है। इसलिए अधिकारी सभी बाजारों के पदाधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। इनमें दुकानदारों से सख्ती से सामाजिक दूरी का पालन कराने और मास्क के बगैर किसी को सामान न बेचने की अपील की गई है।
कामगारों ने कहा…
कई साल से जो बचत कर रहे थे वह गांव जाने पर खर्च हो गई है। धीरे-धीरे हालत सुधरने के बाद वापस लौटना जरूरी था, नहीं तो घर खर्च तक चलाना मुश्किल हो जाता। – अमित
कोरोना संकट की वजह से गांव में भी कोई रोजगार नहीं था। कई महीनों तक घर खाली बैैठने के बाद वापस दिल्ली लौटकर जिंदगी पटरी पर दोबारा लाना चुनौतीपूर्ण है। – सचिन
अपने इलाके में काम करने पर उतना मेहनताना नहीं मिलता है। इसलिए दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में वापस लौटना मजबूरी बन गई है। – राजेश यादव