नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी के स्वरूप की पूजा होती है। देवी कात्यायनी महिषासुर का वध करने वाली शक्ति स्वरूपा मानी जाती हैं। इनकी पूजा से न केवल भय का नाश होता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। कात्यायनी देवी की उपासना से विशेष रूप से विजय, सफलता, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा से जीवन में साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। उनके चरणों में श्रद्धा और भक्ति से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
मां का स्वरूप
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं,इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है।
पूजा का महत्व
देवी कात्यायनी को ब्रजभूमि की आराध्य देवी माना जाता है। श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोपियों ने इनकी पूजा की थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर देवी को पुत्री रूप में प्राप्त किया, इसलिए इन्हें ‘कात्यायनी’ कहा जाता है। इनकी पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, विशेष रूप से विवाह संबंधी बाधाओं का निवारण होता है। देवी भक्तों को शत्रु भय से मुक्त कर पराक्रम और आत्मबल प्रदान करती हैं।
पूजा विधि
दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में सुगन्धित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए। मां को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भक्त देवी के मंत्रों का जाप करते हैं और उनकी स्तुति करते हैं। अंत में देवी की आरती करें और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
देवी कात्यायनी के मंत्र
ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||
बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नमः।।
कात्यायनी मंत्र
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।
देवी कात्यायनी की कृपा से होते है लाभ
- विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं।
- शत्रु नाश करती हैं और भय से मुक्त करती हैं।
- शक्ति, साहस और पराक्रम प्रदान करती हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती हैं।