जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में 37 साल बाद किसी पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने का इतिहास रचने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने नेतृत्व वाली दूसरी सरकार के छह महीने का कार्यकाल रविवार को पूरा कर लिया। इस दौरान उन्होंने मंत्रियों के असंतोष, तबादलों को लेकर किरकिरी जैसी चुनौतियों को पार किया तो एजेंडे पर भी लगातार आगे बढ़ने का संदेश दिया। जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए और उत्साह से काम करने का भरोसा देने की कोशिश की है।
माफिया और अपराधियों के खिलाफ पहले कार्यकाल से शुरू अभियान में बुलडोजर का प्रहार योगी 2.0 के पहले छह माह में और ज्यादा दमदार दिखा। सरकार ने प्रभावी पैरवी से मुख्तार अंसारी जैसे माफिया को पहली बार एक के बाद एक दो मामलों में सजा दिलाई तो उपद्रवियों एवं दुष्कर्मियों पर और शिकंजा कसने वाले दो कानूनों के निर्माण का रास्ता साफ कराकर कानून-व्यवस्था व भयमुक्त समाज के आश्वासन पर कोई समझौता न करने का भरोसा दिलाया। यही नहीं, आजमगढ़ एवं रामपुर संसदीय सीट के उपचुनाव जीतकर 2024 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से रणनीतिक मोर्चे पर अहम कामयाबी हासिल की।
सरकार ने रोजगार के क्षेत्र में कई फैसले लिए तो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे जैसे कामों से जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का संदेश दिया है तो बाढ़ व सूखे को लेकर सीएम व सरकार की सक्रियता भी दिखाई है। धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों को उतरवाकर और नोएडा के एक प्रकरण में श्रीकांत त्यागी को गिरफ्तार कर बिना भेदभाव के तत्काल कार्रवाई का संदेश दिया है।
मगर ऐसा नहीं है कि सरकार के सामने चुनौतियां नहीं आईं। नौकरशाही के रवैये व पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे तो मंत्रियों का असंतोष भी सामने आया। तबादलों पर अंतर्कलह सुनाई दी तो उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का अपने ही विभाग के अपर मुख्य सचिव से सार्वजनिक हुए मतभेदों ने साख पर सवाल भी खड़े किए। मंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे ने भी मुश्किलें बढ़ाईं, मगर सरकार इन सबसे पार पाने में सफल हुई। सीएम योगी ने सभी मंडलों में मंत्रियों को उतारकर यह संदेश दिया कि सरकार को जनता के सरोकारों का ख्याल है तो समस्याओं के निराकरण का इरादा भी।