कृषि क्षेत्र की विकास दर में कमी की संभावना, 1.8 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर झ्र राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक, बेमौसम और औसत से कम बारिश के चलते 2023-24 में करीब सभी खरीफ फसलों पर असर पड़ा है. इससे उत्पादन में गिरावट आई है. वहीं, रबी फसलों के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2023-24 के तीन शेष महीनों में भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. जबकि एक साल पहले देश का ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत था. विशेषज्ञों का कहना है कि माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, उत्खनन और सर्विस सेक्टर में बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से विकास दर में तेजी आएगी. लेकिन किसानों के लिए चिंता का विषय है. खरीफ फसल के उत्पादन में गिरावट आने और रबी फसल का रकबा सिकुड़ने से कृषि सेक्टर की विकास दर एक साल पहले के 4 प्रतिशत घटकर इस वर्ष 1.8 फीसदी पर पहुंच सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के आंकड़ों में बदलाव हो सकता है. इसका मुख्य कारण यह है कि ये अनुमान पिछले 5-6 महीनों के आंकड़ों के आधार पर जारी किए जाते हैं. ऐसे में कृषि सेक्टर की विकास दर को लेकर अंतिम तस्वीर फरवरी महीने में आ.सकती है
बेमौसम बारिश का फसलों पर असर
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक, बेमौसम और औसत से कम बारिश के चलते 2023-24 में करीब सभी खरीफ फसलों पर असर पड़ा है. इससे उत्पादन में गिरावट आई है. वहीं, रबी फसलों के रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले गिरावट आई है. खास कर मिट्टी में नमी कम होने के कारण किसानों ने इस बार काफी कम रकबे में चने की बुवाई की है. यही वजह है कि कृषि, बागवानी और मछली पालन सेक्टर का जीवीए वित्त वर्ष 2024 में 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 12.1 प्रतिशत था।
चावल उत्पादन में गिरावट
इस साल चावल के उत्पादन में 3.79 प्रतिशत की गिरावट आई है. इससे चावल का प्रोडक्शन गिरकर 1,063.1 लाख टन रह सकता है. जबकि पिछले साल चावल का अंतिम अनुमान में 1,105.0 लाख टन था. वहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुमान से पता चलता है कि इस साल चना, मूंग, उड़द, सोयाबीन और गन्ने के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।