Sunday, December 22, 2024
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700 करोड़ पीवीवीएनएल की उधारी, कैसे हो उगाही?

  • बकाये राजस्व की वसूली के लिए सख्त है लखनऊ
  • स्टाफ को फोन घुमाओ अभियान में करना पड़ा रहा मुसीबतों का सामना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: 700 करोड़ की उधारी-कैसे हो उगाही, करीब 700 करोड़ की उधारी की उगाही करना पश्चिमांचल पावर कारपोरेशन के लिए मुसीबत बना हुआ है। 700 करोड़ की इस उधारी में केवल घरेलू उपभोक्ता और नलकूप यानि जो उधारी किसानों पर बकाया है, सिर्फ वो शामिल है। इसमें कामर्शियल उगाही यानी इंडस्ट्रीज शामिल नहीं हैं। इसको उगाही करना रेत में सूई तलाशने सरीखा साबित हो रहा है।

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यह रकम मेरठ और बागपत दोनों जनपद को मिलाकर है। इस बड़ी रकम की उगाही के लिए पीवीवीएनएल अफसर तमाम कवायदें कर रहे हैं, लेकिन काम इतना आसान भी नहीं है। इसके लिए तमाम कवायदें की जा रही है कि किसी प्रकार से यह बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा कराई जा सके। मेरठ जनपद की यदि बात की जाए तो यहां पर करीब सात लाख उपभोक्ता हैं, इसके इतर बागपत में करीब तीन लाख उपभोक्ता हैं।

लखनऊ का जबरदस्त दबाव

मेरठ व बागपत के उपभोक्ताओं पर 700 करोड़ की इस बड़ी रकम की उगाही के लिए लखनऊ से लगातार दबाव बना हुआ है। बीते सप्ताह लखनऊ में हुई प्रदेश भर के पावर अफसरों की समीक्षा बैठक में सबसे ज्यादा जोर रिकवरी मसलन राजस्व बढ़ाने पर दिया गया। दो टूक कह दिया गया कि यदि बिजली चाहिए तो रिकवरी बढ़ाई जाए। इतना ही नहीं शत प्रतिशत रिकवरी के सख्त निर्देश दिए हैं। रिकवरी मे कमी को लेकर कोई साफ सफाई मंजूर नहीं यह तमाम अंचलों के एमडी को बता दिया गया है।

वक्त मिलते ही फोन घुमाओ

रिकवरी बढ़ाने के लिए लखनऊ ने पावर अफसरों को वक्त मिलते ही फोन घुमाने की हिदायत दी है। मेरठ व बागपत जनपद में मिलाकर कुल 10 लाख उपभोक्ता हैं। रिकवरी में इजाफ करने के लिए लखनऊ ने पीवीवीएनएल को फोन घुमाओ स्कीम दी है। इसके तहत पावर स्टेशनों के स्टाफ को जिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं जमा किया है उनको लगातार काल कर बिल जमा करने का आग्रह करने को कहा गया है।

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इस काम में पावर स्टेशन के एसडीएओ से लेकर लाइन मैन तक की जिम्मेदारी तय की गयी है। साथ ही यह भी फीड बैक मांगा गया है कि कितने उपभोक्ताओं का काल किया गया है। फोन घुमाओ अभियान मे पावर स्टेशन के सभी कर्मचारियों के शत प्रतिशत योगदान का आग्रह किया गया है।

मुसीबत कम नहीं

700 करोड़ की रिकवरी के लिए जो अभियान लखनऊ ने जारी किया है उसमें भी कम सिरदर्दी और मुसीबत नहीं है। दरअसल हो यह रहा है कि जिनको भी पीवीवीएनएल की उधारी जमा करने के लिए पावर का स्टाफ जिन्हें काल करता है उनमें से ज्यादातर नंबर या तो रांग बताए जाते हैं या फिर स्वीच आॅफ आते हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि केवल फोन घुमाने तक की बात होती तो भी गनीमत थी,

रांग नंबर और स्वीच आॅफ के अलावा कई ऐसे भी मामले हैं कि भारी भरकम बिल के वाले कुछ केसों में लोग संपत्ति बेचकर चले गए हैं। कुछ मामलों में किराएदार घर खाली कर चले गए हैं। हालांकि जिन मामलों में किराएदार बगैर बिल जमा कराए घर खाली कर चले गए हैं उनमें तो संपत्ति मालिक से रिकवरी का विलप्ल खुला है, लेकिन काम इतना आसान भी नहीं है।

इसके लिए प्रयास जारी है

पीवीवीएनएल चीफ इंजीनियर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि रिकवरी के लिए फोन घुमाओ अभियान जोरशोर से चलाया जा रहा है। रिकवरी बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसके लिए प्रयास जारी हैं।

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