Monday, January 20, 2025
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शिक्षक ने खुद ही तैयार किया फर्जी पत्र, विभाग मौन

  • शिक्षक ने तैयार किया फर्जी पत्र, बीएसए को किया गुमराह
  • पत्र में खुद को बीएसए द्वारा फोन पर ट्रांसफर के कार्य में लगाने की बात लिखी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शिक्षा के पवित्र पेशे को किस तरह से मजाक बनाया जाता है, इसका एक और उदाहरण सामने आया है। जो शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त हुआ, उस शिक्षक ने पहले तो कभी किसी छात्र को शिक्षा नहीं दी। दूसरी ओर यह शिक्षक लगातार बीएसए को भी गुमराह करते हुए आ रहे हैं।

इन शिक्षक महोदय ने 2018 में एक पत्र तैयार करते हुए बताया कि वह काफी समय से बीएसए कार्यालय में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का कार्य कर रहे है, जबकि बीएसए की तरफ से ऐसा कोई आदेश इन्हें कभी दिया ही नहीं गया, शिक्षक ने फोन पर आदेश देने की बात कही है।

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शिक्षक विशाल गुप्ता द्वारा तैयार किये गए पत्र में बताया गया है कि उन्हें तत्कालीन बीएसए ने फोन पर आदेश दिया था कि वह अंर्तजनपदीय स्थानांत्रण में अपनी सेवा दे रहा है, जो कार्य समाप्ति तक देते रहेंगे, उसकी सेवा के लिए भेजे गए पत्र कोे स्वीकार किया जाए। शिक्षक विशाल गुप्ता द्वारा यह पत्र 15 फरवरी 2018 को बीएसए कार्यालय की फाइल में लगाया गया था। जिसके बाद इस प्रकरण ने भी काफी तूल पकड़ा था, मामले को लेकर जांच भी हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

तत्कालीन बीएसए द्वारा नहीं दिया गया कोई आदेश

तत्कालीन बीएसए मोहम्मद इकबाल ने कोई लिखित आदेश सहायक अध्यापक विशाल गुप्ता के लिए जारी नहीं किया। जबकि विशाल गुप्ता द्वारा फोन पर बीएसए द्वारा आदेश देने की बात अपने द्वारा तैयार किए गए फर्जी पत्र में लिखी है, लेकिन कोई भी अधिकारी जब तक लिखित आदेश जारी नहीं करते तो, विभाग का आदेश कैसे मान लिया जाए, लेकिन बीएसए द्वारा आदेश जारी नहीं होने के बाद भी यह शिक्षक लगातार मनमानी करते चले आ रहे हैं।

कैसे जारी होेता है वेतन? काम नहीं, वेतन नहीं का है नियम

किसी भी शिक्षक का वेतन तभी जारी होता है जब प्रपत्र संख्या नौ में उसकी सम्बद्धित विद्यालय में उपस्थिति दिखाई जाती है, लेकिन नंगली आजमाबाद व उससे पहले उच्च प्राथमिक विद्यालय मोरना में तैनाती रहते हुए कभी इन शिक्षक महोदय ने शिक्षा नहीं दी। साथ ही यह अपनी नियुक्ति के बाद से ही नाममात्र के लिए विद्यालय गये हैं तो ऐसे में प्रपत्र संख्या नौ में उनकी उपस्थिति कैसे हो सकती है।

जबकि विद्यालयों के रजिस्टरों में उन्हें बीएसए कार्यालय में अटैच दिखाया गया है। यानी वह स्कूल में उपस्थित हुए बिना ही लगातार प्रपत्र संख्या नौ के आधार पर तनख्वाह कैसे पा रहे हैं, यह बड़ा सवाल है। 23 जुलाई 2021 को बीएसए योगेन्द्र कुमार द्वारा एक आदेश जारी किया गया था। जिसमें कहा गया कि शासन द्वारा 14 जुलाई 2020 के शासनादेश के अनुसार कोई भी शिक्षक जो शिक्षा के लिए किसी दूसरे विद्यालय में सम्बद्ध है। उसे तत्काल निरस्त करते हुए मूल विद्यालय में भेजा जाए, लेकिन विशाल गुप्ता पर विभाग कुछ ज्यादा ही मेहरबान है और वह आज भी अपने मूल विद्यालय में पढ़ाने नहीं जाते है।

जिला बेसिक अधिकारी कार्यालय की लगी है मुहर

जो पत्र विशाल गुप्ता द्वारा बीएसए कार्यालय में लगाया गया है। उस पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का स्टाफ भी उन्हें पूरा संरक्षण दे रहा है। आखिर कार्यालय की मोहर कैसे उस पत्र पर लगी जो विशाल गुप्ता द्वारा तैयार किया गया। यह केवल विभाग को गुमराह करने का तरीका है। जिससे यह शिक्षक अपने फर्ज को अंजाम देने से बचते रहे।

इस समय बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी चल रही है। इसी वजह से विशाल गुप्ता को लेकर अभी कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी है। समय नहीं मिल पा रहा हैं। बोर्ड परीक्षा से निपटने के बाद इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
-योगेन्द्र कुमार, बीएसए, मेरठ

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