देश भयंकर सांप्रदायिकता के दौर में प्रवेश कर गया है। यहां के होनहार युवाओं को हिंसा,धार्मिक उन्माद, लड़ाई झगड़े, दंगे-फसाद में ढकेल दिया गया है। पहले हम उन्नत राष्ट्र बनाने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान, उद्योग, उच्च शिक्षण संस्थान, साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल के क्षेत्र में शोधों को अभिप्रेरित कर रहे थे लेकिन अब इन संकीर्णताओं में पडकर अपने भविष्य को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
हमारे पर्व त्योहार शान्ति, भाईचारे व सौहार्द के प्रतीक होते हैं। यही कारण है कि इन पर्व त्योहारों के प्रति आम जनता का उत्साह अभी भी देखते बनता है। इसी नैसर्गिक उत्साह को विखंडनकारी ताकतें युवाओं को दिग्भ्रमित एवं ब्रेनवाश कर दूसरे समुदाय प्रति नफरत फैलाने में उपयोग कर रही हैं। पिछले दिनों धार्मिक जुलूसों पर पत्थरबाजी, हिंसा, आगजनी व गोलीबारी की घटनाओं ने यहां के करोड़ों अमन पसंद लोगों को गहरी चिंता में डाल दिया है। इससे अब आनेवाले पर्व त्योहारों को डर के साये में मनाने की विवशता बढ़ने लगी है।
पहली बार किसी फिल्म को लेकर उन्माद का माहौल बनाया गया है जबकि यहां ठाकुरों, ब्राह्मणों, जमींदारों को लेकर बहुत सी फिल्में बनी लेकिन उसे केवल मनोरंजन के रूप में ही लिया गया था। ऐसे भी भारत में गरीबों, दलित, पिछड़ों के उत्पीड़न की लंबी कहानी रही है। अब देश उन चीजों से ऊपर उठकर सोच रहा है लेकिन पुन: मध्ययुगीन बर्बर युग में ले जाने की चेष्टा हमारे लिए काफी नुकसान देह साबित हो सकती है। सबसे ज्यादा व्यापार उद्योग के कुप्रभावित होने की संभावना रहती है।
भारत विविधताओं भरा देश है। भौगोलिक दृृष्टिकोण से भी देश को पर्वत, पठार,मैदान, तटीय क्षेत्र, मरुभूमि, द्वीप समूह में बांटा गया है। इन क्षेत्रों की जलवायु, वातावरण भी एक समान नहीं है।यहाँ रहने वाले लोगों का जन जीवन भी इस वातावरण से प्रभावित होता है। लोगों का रहन-सहन,खानपान, पोशाक, रीति रिवाज, धर्म, मान्यता, आस्था,जीविका आदि हर चीजों में विविधता मिलती है। ये चीजें भारत की अपनी विशिष्ट पहचान भी हैं।
हिंदुत्व एक जीवन शैली है। जिन लोगों को पसंद है, वे पालन करें लेकिन जो लोग नास्तिक के रूप में जीना चाहते हैं, उनका भी स?मान होना चाहिए। गांवों में धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते हैं तो लोगों की भक्ति भावना दिखती है। वे दूसरे समुदाय के प्रति सहिष्णु होते हैं। इसी प्रवृत्ति को हमें नफरती माहौल के प्रति ताकत के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हर जगह जाकर वहीं के रीतिरिवाजों के अनुसार ड्रेस पहनकर उस संस्कृति को लोगों के सामने लाते हैं। इन चीजों को अपने मन की बात में शामिल कर नफरती माहौल को प्रेम में बदल सकते हैं।
युवा वर्ग हमारे देश के भविष्य हैं। उनकी शिक्षा, रोजगार व अवसरों का प्रबंध करना हमारी जि?मेदारी है। उनके अंदर उच्च कोटि के मानवीय मूल्यों, संवेदनाओं का विकास कर ही देश को समृद्ध बनाया जा सकता है।
इन सब के बावजूद अधिकांश जगहों पर शांति बनी रही। जुलूसों के दौरान मुस्लिमों ने भी सहयोग किया और शर्बत पानी की व्यवस्था की। लोग गले भी लगे। यह सुखद अहसास देता है लेकिन उन्हें भी पत्थरबाजी जैसी घटनाओं को रोकने का पहल करना चाहिए। वोट बैंकों की नीति ने दंगों एवं तुष्टिकरण को अधिक प्राथमिकता दी। बहरहाल हमें समझना है कि देश की एकता, संप्रभुता बनी रहे। देश रहेगा तो हम सब राजनीति भी करते रहेंगे।
अंबुज कुमार