- योगी के बजट में लकड़ी उद्योग को कुछ खास नहीं, होजरी उद्योग भी किनारे लगा
मुख्य संवाददाता |
सहारनपुर: योगी आदित्यनाथ सरकार के वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट छह लाख 15518 हजार करोड़ का है। इसमें तमाम सहूलियतों की बात कही जा रही है। विरोधी दल तल्ख प्रतिक्रिया कर रहे हैं तो तमाम लोग बजट को जनलुभावन बता रहे हैं।
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जानकारों का कहना है कि योगी का यह बजट सन 2024 के लोक सभा चुनाव के मद्देनजर तैयार किया गया है। फिलहाल, सहारनपुर के लकड़ी उद्योग को इस बजट में कुछ भी खास नहीं मिला। होजरी उद्योग भी किनारे ही लगा है।
यह बताने की जरूरत नहीं कि प्रदेश के विधानमंडल के बजट सत्र में तीन दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के बाद आज गुरुवार को योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया।
करीब 11 बजे बजट को जब पटल पर रखा गया तो तमाम लोग टीबी से चिपके रहे। अन्य माध्यमों के जरिये बजट की खूबियों और खामियों को देखा-सुना गया। उस पर प्रतिक्रियाएं भी चलने लगीं। जैसा कि वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि हमारी सरकार के पिछले कार्यकाल के पहले वर्ष में प्रदेश के 86 लाख लघु और सीमान्त किसानों के फसली ऋण का मोचन कराया गया। गन्ना मूल्य भुगतान में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। अगर अब पश्चिम की बात करें तो यहां करोड़ों रुपये चीनी मिलों पर बकाया हैं।
किसान संगठन इस मुद्दे पर नाखुश नजर आए। हालांकि, सरकार ने पेराई सत्र 2017-2018 से 2021-2022 तक के सापेक्ष 16 मई , 2022 तक 01 लाख 72 हजार 745 करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जो एक कीर्तिमान है। इसमें पहले वर्षों की 10 हजार 662 करोड़ रुपए की धनराशि भी शामिल है।
यह धनराशि वर्ष 2012 से 2017 के मध्य हुये गन्ना मूल्य भुगतान से हजार 500 करोड़ रुपए अधिक है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से 250 करोड़ किसानों को 6000 रुपए वार्षिक आर्थिक सहायता दिलाकर उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। यह भी बता दें कि प्रदेश के इतिहास में ऐसा 37 वर्षों के बाद ऐसा हुआ है जब किसी पार्टी को लगातार दो बार प्रदेश की जनता ने सरकार बनाने के लिये चुना हो। भाजपाई इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं।
उधर जानकारों का कहना है कि विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं जैसे- मेडिकल डिवाइस पार्क, बल्क ड्रग पार्क, धनवन्तरि हेल्थ पार्क, अमृतसर- कोलकता इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर, आईआईटी, जीएनएल ग्रेटर नोएडा, फिल्म सिटी की स्थापना, मेगा फूड पार्क, ट्रांस गंगा सिटी प्लास्टिक सिटी, गारमेन्ट पार्क, लॉजिस्टिक्स हब, टॉय पार्क, हस्तशिल्प पार्क, फ्लैटेड फैक्टरियां विकास का मानक गढ़ेंगी।
यही नहीं, प्रदेश के सभी जनपदों के उत्पादों एवं पारम्परिक शिल्पों के समग्र विकास के लिए संचालित ‘एक जनपद- एक उत्पाद’ (ओडीओपी) के प्रभावी क्रियान्वयन से प्रदेश से होने वाला निर्यात 88 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन, सहारनपुर के लकड़ी उद्योग की दुर्दशा दूर नहीं हुई है। इस बजट में सहारनपुर को कुछ खास नहीं मिला, जबकि यहां का होजरी उद्योग भी मशहूर है।