Monday, February 17, 2025
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Saif Ali Khan Property: पटौदी खानदान की बढ़ी मुश्किलें,क्या सैफ अ​ली खान से छीन छाएगा नवाब का टाइटल? 15,000 करोड़ की संपत्ति पर होगा सरकार का कब्जा?

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। बीते 16 जनवरी 2025 को बॉलीवुड अभिनेता और पटौदी खान के नवाब कहे जाने वाले सैफ अली खान पर जानलेवा हमला हुआ था। जहां उनको काफी चौटें आई थी। वहीं, बीते दिन यानि मंगलवार को सैफ को अस्पताल से छुटृटी मिल गई हैं। लेकिन अब उनकी संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया है।

दरअसल, एक्टर सैफ अली खान के पास भोपाल में अरबों की प्रॉपर्टी है। उन्हें भोपाल का नवाब कहा जाता हैं। वहीं, उनका परिवार यहां राज किया करता था। लेकिन अब संपत्ति को लेकर विवाद ​हो गया है। कहा जा रहा है यह संपत्तियां शत्रु संपित्त घोषित हो गई है। गौरतलब हो कि इसमें अभी कईं उलझने हैं। क्योंकि ​यदि एक्टर की प्रॉपर्टी सरकार के पास चली जाती है तो उनका नवाब का टैग छीन जाएगा।

नवाब टाइटल को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई

वहीं, सरकार इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर अधिग्रहण करने की तैयारी में है। नवाब के टाइटल को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस विवाद की जड़ में 1949 में भोपाल रियासत का भारत में विलय और 1947 का भोपाल गद्दी उत्तराधिकारी अधिनियम है। इस अधिनियम के तहत नवाब का टाइटल अभी भी कायम है।

शत्रु संपत्ति कार्यालय ने आबिदा सुल्तान को नवाब का वारिस माना था। वहीं दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इस विवाद से भोपाल की कई ऐतिहासिक संपत्तियों का भविष्य अधर में लटक गया है। लाखों लोगों के घरों पर भी इसका असर पड़ सकता है।

विवाद में आया नया मोड

नवाब की संपत्ति को लेकर मामले में एक नया मोड़ आ गया है। केंद्र सरकार के दो अलग-अलग आदेशों के चलते यह मामला और उलझ गया है। एक तरफ सरकार नवाब की 15 हजार करोड़ की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करके अपने कब्जे में लेने की तैयारी कर रही है।

वहीं दूसरी ओर, नवाब के खिताब को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है। इस पूरी उलझन की वजह केंद्र सरकार के दो आदेश हैं, जो एक-दूसरे से मेल नहीं खाते।

किस से जुड़ा है ये मामला?

यह पूरा मामला 1949 में भोपाल रियासत के भारत में विलय से जुड़ा है। 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय हो गया था। लेकिन 1947 के भोपाल गद्दी उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नवाब का टाइटल अभी भी मान्य है।

इस अधिनियम में साफ लिखा है कि नवाब हमीदुल्ला खान की सबसे बड़ी संतान ही भोपाल की नवाब होगी, चाहे वह बेटा हो या बेटी। मर्जर एग्रीमेंट के आर्टिकल 7 के मुताबिक, भोपाल रियासत के उत्तराधिकारी को भारत सरकार मान्यता देगी।

इन पर अब केंद्र सरकार का हक होगा?

इसी आधार पर शत्रु संपत्ति कार्यालय ने नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को वारिस मानते हुए उन्हें भोपाल की नवाब माना था। इस हिसाब से अब यह टाइटल आबिदा के बेटे और पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शहरयार खान की सबसे बड़ी संतान को मिलेगा।

24 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति कार्यालय (मुंबई) ने भी एक सर्टिफिकेट जारी करके आबिदा को ही नवाब का वारिस माना था। क्योंकि आबिदा 1960 से पहले ही पाकिस्तान की नागरिक बन गई थीं, इसलिए 1960 तक नवाब की जो भी संपत्तियां थीं, वे शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गईं। इन पर अब केंद्र सरकार का हक होगा।

साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया

बता दें कि, 1961 में भोपाल नवाब के निधन के बाद केंद्र सरकार ने उनकी छोटी बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। क्योंकि उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान की नागरिक बन चुकी थीं। साजिदा सुल्तान के बाद उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी और फिर सैफ अली खान भोपाल के नवाब बने।

संपत्तियों को शत्रु संपत्ति की सूची से बाहर कर दिया

केंद्र के इन दो अलग-अलग फैसलों से भोपाल की कई ऐतिहासिक इमारतों और संपत्तियों का भविष्य अंधेरे में चला गया है। नूर-उस-सबाह मैनेजमेंट का कहना है कि राजस्व विभाग ने उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति की सूची से बाहर कर दिया था। 1962 में केंद्र सरकार की एक अधिसूचना के अनुसार, नवाब के निधन के बाद साजिदा सुल्तान को वारिस बनाया गया था, यानी सैफ अली खान ही असली नवाब हैं।

50% हिस्सा शत्रु संपत्ति घोषित हो सकता है

कहा जा रहा है कि, इस फैसले का भोपाल के लोगों पर भी बड़ा असर पड़ेगा। पुराने भोपाल का लगभग 50% हिस्सा शत्रु संपत्ति घोषित हो सकता है। 1960 तक नवाब की जो भी निजी संपत्ति थी, वह सब अब शत्रु संपत्ति मानी जाएगी। इसमें ऐशबाग स्टेडियम, बरखेड़ी, चिकलोद, सीहोर, रायसेन और इच्छावर की जमीनें भी शामिल हैं। पुराने भोपाल का लगभग आधा इलाका इस दायरे में आ सकता है।

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