जी, हां! लचर सिस्टम और बीमार जिला अस्पताल, कुछ वैसा ही हो रहा हैं। लगता है सरकारी सिस्टम ने नहीं सुधरने की कसम खा ली हैं, तभी तो गंदगी से कूडेÞदान अटे पड़े हैं, लेकिन इनको साफ कराने की फुर्सत शायद जिला अस्पताल के जिम्मेदारों को नहंी हैं। यही वजह है कि संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता हैं। इसकी भी चिंता नहीं हैं। स्टेÑचर पर मरीज होता हैं, खींचने के लिए तीमारदार। ये तस्वीर एक दिन की नहीं, बल्कि हर रोज देखने को मिलती हैं। वार्ड ब्वाय तो हैं, मगर स्टेÑचर को तीमारदार ही थामे रहते हैं। स्टाफ यदि है तो वो कहां रहता हैं? इसका जवाब सिस्टम के पास नहीं हैं। दवाई लेने के लिए मरीजों की मारा-मारी रहती हैं। इस समस्या से निपटने के लिए ज्यादा खिड़की क्यों नहीं खोली जाती। मरीजों को कैसे राहत मिले? इसके बारे में भी सरकारी सिस्टम को मंथन करना होगा?
- बदहाल जिला अस्पताल: गंदगी का लगा अंबार तीमारदार खींच रहे स्ट्रेचर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्यारेलाल जिला अस्पताल में वैसे तो मरीजों का इलाज होता है, लेकिन इस समय अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है। यहां की बदहाली बयां करती तस्वीरें गवाह है कि यह अस्पताल खुद बीमार है। जिला अस्पताल में रोजाना दो से पांच हजार मरीज पहुंचते हैं।
जिनके इलाज के लिए शासन स्तर से सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं। इनमें मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी व वार्ड ब्वायों के साथ नर्सों की भी नियुक्तियां की जाती है, लेकिन अस्पताल में यदि किसी मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़े तो इसके लिए स्ट्रेचर का प्रयोग होता है।
जिला अस्पताल में स्ट्रेचर तो हैं, लेकिन उनको खींचने वाला स्टाफ कभी नजर नहीं आता है। तीमारदारों को ही अपने मरीजों को ले जाना पड़ता है, कई बार तो छोटे बच्चे भी स्ट्रेचर खींचते नजर आते हैं, जो साबित करते हैं कि जिला अस्पताल में किस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं मिलती है।
गंदगी का अंबार
जिला अस्पताल कैंपस की पिछली तरफ नगर निगम के बड़े-बडेÞ कूड़े भरने वाले कंटेनर रखे हैं। इन कंटेनरों में जिला अस्पताल का वेस्ट व गंदगी समेत सभी तरह का कूड़ा भरा जाता है। रोजाना कई टन कूड़ा अस्पताल से निकलता है जो इन कंटेनरों में भरा जाता है। नगर निगम की टीम की जिम्मेदारी है कि वह रोजाना इन कंटेनरों से कूड़ा निकाल कर ले जाए और उन्हें खाली करें, लेकिन इन कंटेनरों में जिस तरह से कूड़ा ऊपर तक भरा है।
उससे साफ नजर आ रहा है कि कई दिनों से यह कंटेनर खाली नहीं किए गए हैं। इनमें से उठती बदबू आसपास के पूरे क्षेत्र को दूषित कर रही है। इस समय कोरोना ने अपने पैर फिर से पसारने शुरू कर दिये हैं और सभी जानते हैं कि गंदगी कोरोना को फैलाने में मदद करती है, लेकिन न तो जिला अस्पताल न ही नगर निगम को इससे कोई सरोकार है।
दवाइयों के लिए लंबी कतार
जिला अस्पताल में दवाएं लेनें के लिए मरीजों के तीमारदारों की लंबी कतारे रोज लगती है। इनमें से ज्यादातर वह लोग होते हैं, जिनके मरीज जिला अस्पताल के वार्डों में भर्ती है। वहीं ऐसे मरीजो के तीमारदार भी घंटों लाइन में लगते हैं। जिनके मरीज तो यहां भर्ती नहीं है,
लेकिन दवाएं यहां से ही लेनी होती है। ऐसे में घंटों लाइन में लगने के बाद दवाइयां मिल रही है, जो यह बताने के लिए काफी है कि मरीजों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने के सरकार के दावें हावा हवाई है।
जिला महिला चिकित्सालय पहुंची गृह मंत्रालय की टीम
गृह मंत्रालय की टीम ने गुरुवार को जिला महिला चिकित्सालय का दौरा किया। टीम ने अस्पताल में पैदा होने वाले शिशुओं की संख्या व उनके लिए जारी किए जाने वाले जन्म प्रमाण पत्रों के रिकॉर्ड की जानकारी ली। बताया जा रहा है कि जांच के लिए आने वाली टीम ने जिला महिला चिकित्सालय में होने वाले बच्चों के जन्म को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने की हिदायत दी है। इसका उद्देश्य जनसंख्या की गिनती से जोड़कर देखा जा रहा है। रोज होने वाले जन्म की गिनती का रिकार्ड अस्पताल प्रशासन को स्वास्थ्य विभाग को देना होगा जिसकी मॉनिटरिंग की जाएगी।