- अपने उपकरणों की सुरक्षा में करोड़ों रुपये खर्च करता है ऊर्जा निगम
- आम उपभोक्ताओं ने अर्थिंग से किया किनारा, फेस और न्यूटल तारों पर डाल रखा है पूरा भार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्राणी और उपकरणों की बिजली के करंट से सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी अर्थ के तार को लगाने से आम उपभोक्ता मुद्दत से किनारा किए हुए हैं। यह लापरवाही कभी-कभी बहुत बड़ी जनहानि और अर्थ हानि का कारण बन जाती है।
कुछ दशक पहले तक बिजली विभाग उपभोक्ताओं के घरों तक तीन तार भेजकर कनेक्शन दिया करता था। जब इसके खतरनाक परिणाम आना शुरू हुए, तो विभाग ने जांच कराई।
जिसमें यह बात निकलकर सामने आई कि अधिकांश उपभोक्ताओं ने अपने परिसर में अर्थ के तार के लिए फिटिंग ही नहीं कराई है। इसका एक परिणाम यह हुआ कि अर्थ और न्यूटल तारों के भेद को मिटाकर रख दिया गया और इनमें से कोई एक तार लेकर उससे न्यूटल का काम लिया जाने लगा। इसके चलते विभाग ने अपनी नीति में यह कहकर परिवर्तन कर लिया कि उपभोक्ता के घरों तक फेस और न्यूटल के दो तार लगाना ही काफी है।
अगर उपभोक्ता को प्राणी और अपने उपकरणों को जोखिम से बचाना है, तो वह अपने खर्च से अर्थ का तार लगा सकता है। किसी भी फिटिंग करने वाले मैकेनिक ने फेस, न्यूटल और अर्थ के तीन तारों को लेकर घरों में फिटिंग कराने की सलाह देने के बजाय तीसरे तार को इन्वर्टर से जोड़ने को प्राथमिकता दे रखी है। जबकि तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि प्राणी और उपकरणों की सुरक्षा के लिए हर घर में अर्थिंग की व्यवस्था बेहद जरूरी है।
अधीशासी अभियंता तकनीक डीके शर्मा का कहना है कि विभाग के सभी बिजलीघरों पर लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए 70 टन तक लोहे की रॉड जमीन के अंदर दबाई जाती है। वहीं अधीक्षण अभियंता जेके गुप्ता बताते हैं कि विभाग की ओर से खंबों तक लगाए जाने वाले उपकरणों की सुरक्षा के लिए अर्थिंग की जाती है।
इससे आगे उपभोक्ता की खुद की जिम्मेदारी हो जाती है। उनका कहना है कि मुंबई समेत कई स्थानों पर आज भी जिस स्थान पर अर्थिंग की रिपोर्ट नहीं मिलती, वहां बिजली के कनेक्शन नहीं दिए जाते। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आम उपभोक्ताओं को अर्थ के महत्व को समझना चाहिए, और अपने परिवार के साथ-साथ उपकरणों की सुरक्षा के लिए अर्थिंग जरूर कराना चाहिए।
इसके लिए पूरे फिटिंग में अर्थ का तार लगाकर उसको जमीन में तीन मीटर की गहराई तक उतारे गए स्टील के रॉड से कनेक्ट कर देना चाहिए। साथ ही उपकरणों में लगने वाले प्लग के सबसे ऊपर लगे मोटे वाली पिन से कनेक्ट कर देना चाहिए। इससे करंट लीक होकर किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने की आशंका समाप्त हो जाती है। हालांकि इस बीच बाजार में बिजली के करंट से सुरक्षा के नाम पर विभिन्न उपकरण बाजार में उतारे जा चुके हैं,
लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि एमसीबी जैसे उपकरण करंट की क्षमता से संचालित होते हैं। उनकी क्षमता से अधिक करंट प्रवाहित या खपत होने की स्थिति में एमसीबी गिर जाती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं होता, कि किसी प्राणी को करंट लगने या उपकरण की सुरक्षा करने की स्थिति में ये कारगर साबित होंगे।