पाइन एप्पल बर्ड भी बिकने के लिए मेरठ में आ रही है। ये बेजुबान पक्षियों की सौदेबाजी चोरी-छिपे चल रही हैं। जिम्मेदार अफसर कार्रवाई तो छोड़िए दुकानों पर चेकिंग तक नहीं करते। इन दिनों विदेशी पक्षियों को बेचने का अवैध कारोबार शहर में धड़ल्ले से चल रहा है। थापर नगर समेत कुछ स्थानों पर विदेशी पक्षी धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। एक्वेरियम और चिड़िया दाना के नाम पर यह कारोबार फल-फूल रहा है। दुकानों पर खुलेआम बाहर तक पिंजरा में विदेशी पक्षियों को डिस्प्ले में रखा जाता है। इस अवैध कारोबार की पड़ताल ‘जनवाणी’ टीम ने की तो पता चला कि विदेशी पक्षी चोरी छुपे बिक रहे हैं, जिनको बंगलादेश से कोलकाता के रास्ते लाया जाता है। वह भी बिना किसी अनुमति के। हालांकि वन विभाग के अधिकारी इससे पल्ला झाड़ते हैं।
- वन विभाग का दखल नहीं, पक्षी प्रेमियों की चांदी, पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भले ही सोतीगंज चोरी की गाड़ियों के लिये बदनाम हो, लेकिन सोतीगंज के बगल में स्थित थापरनगर में तेजी से चिड़िया बाजार बढ़ रहा है। कहने को यह बाजार पूरी तरह से अवैध है, लेकिन पक्षियों की नई-नई वैरायटी जरूर देखने को मिल जाएगी। वन विभाग का कहना है कि चिड़िया बाजार उनकी परिधि में तभी आएगा, जब इसमें जंगली पक्षी बिकेंगे। हालांकि पशु क्रूरता अधिनियम का इस बाजार में खुल कर उल्लंघन हो रहा है।
थापरनगर के पक्षी बाजार में होली के बाद रौनक रहती है। उन दिनों इस बाजार में पहाड़ी तोतों की बहार आई रहती है। ये तोते एक हजार रुपये से लेकर दो हजार रुपये में बिकते हैं। इन तोतों की खासियत यह है कि ये तोते बोलने में उस्ताद होते हैं। इनके खरीदार भी काफी होते हैं। थापरनगर में पक्षी बेचने वाले करीब एक दर्जन खानदानी लोग है।
इनके मुताबिक पहाड़ों में जाकर ये लो तोतों के बच्चे उठा लाते हैं और उनको पालकर बड़ा करके बेचते हैं। इसके अलावा गौरय्यों की प्रजातियां, लव बर्डस, मैना, कबूतर, खरगोश आदि भी आराम से बिकते हुए मिल जाएंगे। बाजार के बुजुर्ग पक्षी विक्रेता सोहन लाल ने बताया कि वो खुद की ब्रीड किए हुए पक्षी बेचते हैं। इस कारण उनको गैरकानूनी कहना गलत है।
हालांकि हर साल प्रशासन इस बाजार में छापेमारी करके पक्षियों को आजाद कराता हैं, लेकिन इस कार्रवाई से इस बाजार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। देश में 22 अवैध चिड़िया बाजार हैं। दूसरा बड़ा बाजार मेरठ जिले में है। अधिनियम के तहत कुछ ऐसे पशु-पक्षी है जिनकी बिक्री पर रोक लगी हुई। ऐसे पक्षी सोतीगंज के गुरुद्वारा रोड के बाजार में मिल सकते हैं।
बाजार में इन दिनों रंग बिरंगे पक्षियों की बहार आई हुई है। करीब एक दर्जन छोटे बड़े दुकानदार पक्षियों को बेच रहे हैं। एक पिंजरे में विभिन्न रंगों के पचासों पक्षी भरे दिख जाते हैं। जब प्रशासन पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई करता है तो पक्षी जब्त कर लिए जाते हैं, लेकिन सेटिंग के कारण फिर सबकुछ सामान्य हो जाता है। डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि लव बर्ड समेत कई ऐसी चिड़ियां है, जिनको बेचना प्रतिबंधित नहीं है।
बाजार को पूर्णतया बंद नहीं कराया जा सकता हैं, क्योंकि वो उस बाजार में ऐसे पशु-पक्षियों की खरीद-फरोख्त पर कोई रोक नहीं है। अगर कोई पक्षी जंगल से लाकर बेचा जा रहा है। उस पर वाइल्ड लाइफ एक्ट लग सकता हैं, लेकिन इस बाजार में दुकानदार खुद के ब्रीड किए हुए पक्षी बेच रहे हैं।
जीव जंतु को कैद करके रखना भारतीय वन अधिनियम 1972 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन थापरनगर में खुलेआम पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन किया जाता है, यहां के चिड़िया बाजार में एक छोटे पिजड़े में 10-10 पक्षियों को रखकर बेचा जा रहा है।