Saturday, January 11, 2025
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सर्वोच्च अदालत आज पहुंचे उद्धव ठाकरे, सुप्रीम कोर्ट ने कल बुलाया

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग के फैसले के विरूद्ध उद्धव ठाकरे गुट ने आज सोमवार को सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है। उद्धव ठाकरे के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में याचिका प्रस्तुत करते हुए सुनवाई की मांग की, जिस पर सुप्रीम अदालत अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि आपने अपनी अर्जी को जल्द सुनवाई की मांग के लिए(मेंशनिंग लिस्ट) में शामिल नहीं किया है। बिना लिस्ट में शामिल किए कोई तारीख अदालत की ओर से नहीं दी जा सकती। आप पहले जरूरी औपचारिकता पूरी करके कल यानि मंगलवार को आइए।

भारतीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ आवंटित कर दिया है।

शिवसेना और उसके चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ को लेकर उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच जारी विवाद का 17 फरवरी को उस वक्त अंत हो गया था, जब निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था।

इधर उद्धव गुट से पहले ही एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर कर दी थी। इस याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुहार लगा सकता है। ऐसे में इस मामले में कोई भी फैसला सुनाने से पहले शीर्ष अदालत उनका पक्ष भी सुने।

माना जा रहा था कि ​पार्टी और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद शिंदे गुट शिवसेना मुख्यालय पर भी अपना दावा ठोकेगा, क्योंकि वह ठाकरे परिवार की निजी संपत्ति न होकर पार्टी की संपत्ति है। लेकिन, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्हें शिवसेना भवन नहीं चाहिए।

शिवसेना की शाखाओं को पार्टी का आधार और रीढ़ माना जाता है, जब तक शाखाएं हैं, ठाकरे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में कभी भी वापसी कर सकती है। ऐसे में पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिंदे गुट की नजर अब इसी पर है। वह धीरे-धीरे, चरणबद्ध तरीके से शाखाओं पर कब्जा कर सकती है।

शिवसेना का हेडक्वार्टर दादर स्थित ‘शिवसेना भवन’ है। अनुमान के मुताबिक इसका बाजार मूल्य करीब 300 करोड़ रुपये है। विधानभवन स्थित कार्यालय और प्रदेश कार्यालय ‘शिवालय’ को लेकर भी सवाल उठे हैं कि इस पर किसका कब्जा होगा।

शिवसेना भवन शिवाई ट्रस्ट का है, जिसके अध्यक्ष लीलाधर डाके हैं और ठाकरे के करीबी हैं। इसलिए शिवसेना भवन पर उद्धव ठाकरे का कब्जा बरकरार रहने की संभावना है, लेकिन विधानभवन कार्यालय और ‘शिवालय’ समेत बीएमसी कार्यालय पर शिंदे गुट अपा दावा ठोक सकता है।

बीते साल 29 जून को महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार उस वक्त गिर गई थी, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत कर दिया था। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद 30 जून को शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।

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