Friday, June 27, 2025
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रतालू की खेती कैसें करें

KHETIBADI


मुख्यत: अफ्रीका में उगाई जाने वाली यह फसल पोषण तत्वों से भरपूर है। आंशिक दृष्टि से भी किसानों के लिये इसकी खेती लाभकारी है।

भूमि तथा जलवायु

यह उष्ण जलवायु की फसल हैं। उपजाऊ दोमट भूमि जिसमें पानी नहीं भरता हो इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती हैं। क्षारीय भूमि इसके लिये उपयुक्त नहीं हैं।

उपयुक्त किस्में

रंग के आधार पर इसकी दो फसलें प्रचलित हैं-सफेद तथा लाल।

खेत की तैयारी तथा बुवाई

खेत की गहरी जुताई करके क्यारियों में 50 सेन्टीमीटर की दूरी पर डोलियाँ बना लेनी चाहिये। इन डोलियों पर 30 सेन्टीमीटर की दूरी पर रतालू की बुवाई करें। 50 ग्राम तक के टुकड़े 0.2 प्रतिशत मैन्कोजेब के घोल में 5 मिनट तक उपचारित करके बुवाई के काम में लिये जाते हैं।

प्रति हेक्टेयर 20 से 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती हैं। रतालू के ऊपरी भाग के टुकड़े सबसे अच्छी उपज देते हैं। इसे अप्रैल से जून तक बोया जाता हैं।

खाद व उर्वरक

खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 60 किलो फास्फोरस तथा 100 किलो पोटाश डोलियां बनाने से पहले जमीन में दें। इसके अलावा 50 किलो नत्रजन दो समान भागों में करके फसल लगाने के 2 एवं 3 माह बाद पौधे के चारों ओर डाल दें।

सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई

प्रथम सिंचाई बुवाई के तुरन्त बाद करें। फसल को कुल 15 से 25 सिंचाईयों की आवश्यकता होती हैं। डोलियों पर गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ानी चाहिये। आवश्यकतानुसार निराई भी करते रहे।

खुदाई एवं उपज

फसल 8 से 9 माह में तैयार हो जाती हैं। रतालू के प्रत्येक पौधे को खोदकर निकाला जाता हैं। उपज 250 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती हैं।


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