Thursday, January 16, 2025
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सूप व शेरपुर गांव के विद्यालयों में चलाई जा रही हैं जूनियर की कक्षाएं

  • कोरोना के बढ़ते प्रकोप का जरा भी विद्यालय संचालकों में नहीं है खौफ
  • सरकार की गाइड लाइन का नहीं किया जा रहा है पालन, सेनीटाइज कक्षाओं की नहीं है कोई व्यवस्था

जनवाणी संवाददाता |

बड़ौत: कोरोना का प्रभाव एक बार फिर से बढ़ना शुरू हो गया है। इस कोरोना काल के बीच सख्त दिशा निदेर्शों के साथ 21 सितंबर से स्कूल खोलने के आदेश जारी कर दिए गए थे। लेकिन कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए ही कालेजखोले गए थे। इन नियमों को धत्ता बताते हुए कई प्राइवेट विद्यालयों ने बच्चों का जीवन दांव पर रखकर जूनियर व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन शुरु कर रखा है।

छपरौली ब्लाक के सूप गांव स्थित एसबीआर व शेरपुर लुहारा के द्रोण पब्लिक स्कूलों में कक्षा 7 कक्षा 8 तक के बच्चों को बुलाकर पढ़ाई कराई जा रही है। विद्यालय संचालकों की ओर से बच्चों में कोरोना बीमारी के बढ़ने की जरा भी चिंता नहीं है। बच्चों में किसी तरह के कोविड नियमों का पालन तक नहीं कराया जा रहा है। इससे शिक्षा अधिकारी व जिले के उच्चाधिकारी पूरी तरह से आंख बंद किये बैठे है।

बड़ौत व छपरौली ब्लाक में ऐसे अनेक निजी स्कूल है जहां पर बच्चों का जीवन दांव पर लगा पढ़ाई कराई जा रही है। दरअसल, कोविड-19 के चलते कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई को सख्त नियमों के साथ करने के निर्देश जारी किए गए थे। जबकि इससे नीचे की कक्षा के बच्चों को घर से ही ऑनलाइन क्लास करने के निर्देश तय किये गए थे।

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इसके बावजूद निजी स्कूलों में कक्षा 7 व कक्षा 8 के बच्चों को स्कूल में ही बुला पढ़ाई कराई जा रही है। कक्षाओं को न तो सेनेटाइज कराया जा रहा है और न ही तय की गई दूरी के हिसाब से बच्चों को कक्षाओं में बैठाया जा रहा है। स्कूल संचालक यह कहकर पीछा छुड़ा रहे है कि ऑनलाइन क्लास में जो समस्या आ रही है। उसे दूर करने के लिए छोटे बच्चे भी स्कूल आते हैं। जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।

जूनियर कक्षाओं के बच्चे स्कूल खुलने से समय ही स्कूल आते है और सीनियर बच्चों के साथ छुट्टी होने पर घर को लौटते है। ना तो इन छोटे बच्चों के अभिभावकों को बढ़ते कोरोना की कोई चिंता है और ना ही इस ओर शिक्षाधिकारी कोई सुध ले रहे है। सूप गांव स्थित बासौली मार्ग पर एसबीआर इंटर कालेज में कुछ यही देखने को मिला। यहां हाइस्कूल व इंटरमीडिएट के छात्रों को खुले में पढ़ाया जा रहा था।

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जबकि जूनियर हाईस्कूल के छात्रों को कमरों के अंदर रखकर पढ़ाया जा रहा था। वह भी बिना मास्क व सोशल डिस्टेंस का पालन कराए। बच्चे एक दूसरे से सटकर बैठे हुए थे। कमरों में कहीं भी सेनीटाइजर का प्रबंध नहीं था। शायद ही कमरों में सेनीटाइजर का कभी छिड़काव कराया गया हो।

सूप के एसबीआर के प्रबंधक रिछपाल सिंह ने पूछने पर बताया कि हम क्या करें? विद्यालय खोला गया है तो खर्च भी चलाना पड़ेगा। घर में रहकर बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। कालेज में फीस नहीं आ रही है। शिक्षकों को उनका मानदेय व अन्य दूसरे खर्च भी कालेज के हैं। लॉकडाउन ने सबकुछ नाश कर दिया।

बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।  वहीं द्रोण पब्लिक स्कूल शेरपुर लुहारा के प्रबंधक सुधीर ने बताया कि  उनके विद्यालय में कोई लॉकडाउन का नियम नहीं तोड़ा है। कक्षा नौवीं से उपर की कक्षाएं ही चलाई जा रही हैं। पूछने पर बताया कि गाइडलाइन का पूरा पालन कराया जा रहा है।

कक्षा आठ के बच्चों की कक्षा कालेज में चलाने पर  ने बताया कि कक्षा नहीं चलाई थी। बच्चे किसी विषय की समस्या पूछने आ जाते हैं। एक साथ बैग लेकर आने के बारे में बताया कि बैग लेकर ही अपनी बात पूछने आएंगे। खाली क्यों आएंगे? वहीं कई बच्चों ने पूछने पर खुद को जूनियर कक्षा में पढ़ने के लिए आना बताया। साथ ही उन्होंने प्रतिदिन कक्षा में पढ़ने आना बताया।

‘‘यदि कोई विद्यालय प्रोटोकॉल का उलंघन करता पाया जाता है तो उसकी मान्यता को निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। उसके खिलाफ कोराना महामारी अधिनियम में भी कार्रवाई होगी। वह अधीनस्थ अधिकारियों को भेजकर जांच कराएंगे।’’                       -राघवेन्द्र सिंह बीएसए बागपत

इन नियमों का पालन करना जरूरी 

  • क्लास में स्टूडेंट्स के बीच 6 फीट की दूरी जरूरी होगी। एक कमरे में 30 या 35 बच्चे होंगे।
  • क्लासरूम के दरवाजे-खिड़कियां खुली रहेंगी और एसी नहीं चलाए जा सकेंगे।
  • बच्चे ऑड-ईवन के आधार पर बुलाए जाएंगे, लेकिन होम असाइनमेंट प्रतिदिन देना होगा।
  • बच्चे सीट न बदलें, इसके लिए डेस्क पर नाम लिखा होगा। रोज वहीं बैठना होगा।
  • कक्षाएं शुरू होने के बाद हर 15 दिन में बच्चे की प्रोग्रेस को लेकर पेरेंट्स से बात करनी होगी।
  • कमरे रोजाना सैनिटाइज हों, ये सुनिश्चित करना प्रबंधन का काम होगा. मॉर्निंग असेंबली और एनुअल फंक्शन जैसा कोई आयोजन नहीं होगा।
  • स्कूल में प्रवेश से पहले छात्रों और स्टाफ की स्क्रीनिंग होगी। स्कूल के बाहर खाने-पीने के स्टॉल नहीं लगाए जाएंगे।
  • बच्चों के लिए कॉपी, पेन, पेंसिल या खाना शेयर करने की मनाही होगी. बच्चों को अपना पानी साथ लाना होगा।
    हर बच्चे के लिए मास्क पहनना जरूरी होगी. स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल न रखने पर बच्चे के पेरेंट्स को सूचित किया जाएगा।

ये बातें भी रखनी होगी ध्यान

  • चिकित्सा, सुरक्षा या सफाई संबंधी कामों से जुड़े पेरेंट्स को इसकी सूचना पहले ही स्कूल को देनी होगी।
  • उन्हीं अभिभावकों को शिक्षकों से मिलने की अनुमति होगी, जो फोन पर संपर्क करने की स्थिति में नहीं होंगे।
  • पेरेंट्स-टीचर्स मीटिंग नहीं होगी। ट्रांसपोर्ट को लेकर जल्द ही गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।
  • जहां तक हॉस्टल की बात है तो वहां भ छह-छह फीट की दूरी पर बेड लगाने होंगे।
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