- पीलीभीत में भी रामकथा में भागवत पीठ शुकतीर्थ की हुई चर्चा
- कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री ने शुकतीर्थ का बताया इतिहास
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: जनपद के शुकतीर्थ में स्थित भागवत पीठ के कथाव्यास न केवल जनपद में बल्कि देश के विभिन्न कोनो-कोनों में जाकर भागवत कथा सुना रहे हैं। इतना नही नहीं वह भागवत कथा के दौरान शुकतीर्थ का इतिहास भी बताते हैं कि किस तरह इस पावन धरती पर शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को सर्वप्रथम कथा सुनाई थी और उसके बाद इस धरती पर कैसे लोग धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
अभी हाल ही में पीलीभीत जनपद के देवस्थान, बिलसंडा में गणेश चतुर्थी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित राम कथा सुंदर कांड, लंका दहन और राम राज्य अभिषेक की कथा के मार्मिक वर्णन किया गया। यहां पर भागवत पीठ शुकतीर्थ के कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री ने ना केवल भागवत कथा सुनाई, बल्कि यहां पधारे लोगों को अपना परिचय देते हुए बताया कि वह ऐसे स्थान शुकतीर्थ से भागवत कथा सुनाने आये हैं।
जहां पर महामुनि श्री शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सर्व प्रथम भागवत कथा सुनाई थी। भागवत पीठ का जीर्णोंद्धार पूज्य पाद अनंत श्री, पद्मभूषण, पद्मश्री से विभूषित शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याणदेव जी महाराज ने किया। वर्तमान में जिसका संचालन दिव्य विभूति पूज्य गुरदेव स्वामी ओमानंद जी महाराज कर रहे। ऐसे महान संतों की भूमि से आप सभी के सामने राम गुण गाने आया हूं।
उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने ग्रंथ श्रेष्ठ राम चरित मानस की रचना कर बहुत बड़े परमार्थ का कार्य किया। यह ग्रंथ सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। राम चरित मानस सर्वश्रेष्ठ तथा सभी ग्रंथों का मुकुट है। यह राम जी का शब्दमयी श्री विग्रह है, जिसमें जीवन की प्रत्येक समस्या का निदान छिपा है।
राम जगत के आधार हैं तथा राम चरित्र मानवता के सच्चे पथ प्रदर्शक हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने रावण सहित सभी राक्षसों का उद्धार कर किया और 14 वर्ष बाद वन से वापस लौटे और राजगद्दी को सुशोभित किया। राक्षस प्रवृतियों को समाप्त करके ही राम राज्य की स्थापना हो सकती है।