- महंगी दवाओं को लेकर सपा विधायक की शिकायत पर सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश
- न्यूटिमा जा रहे हैं तो बाउंसरों से रहे जरा बच के
- दवाई के नाम पर यदि ठगी का किया विरोध तो फिर खैर नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गढ़ रोड स्थित न्यूटिमा में यदि इलाज के लिए जा रहे हैं और वहां लिखी जाने वाले महंगी दवाओं का विरोध किया तो फिर जरा बाउंसरों से सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि जिसने भी न्यूटिमा की महंगी दवाओं का विरोध किया उस पर स्टाफ व बाउंसर टूट पडेÞ। दरअसल न्यूटिमा में मरीजों को महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसको लेकर सरधना विधायक अतुल प्रधान की शिकायत का संज्ञान लेकर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं।
इस मामले को उठाए जाने के चलते ही सरधना विधायक के साथ न्यूटिमा प्रबंधन ने तनातनी कर दी। लेकिन इस मामलें में अब प्रशासनिक जांच में अस्पताल प्रशासन की करगुजारियों का पदार्फाश हो गया। अस्पताल में मरीजों के साथ खराब व्यवहार और महंगी दवाइयां खरीदने पर मजबूर करने का मामला उजागर हो चुका है।
सपा और ‘आप’ आम आदमी के साथ
न्यूटिमा अस्पताल के खिलाफ समाजवादी और आम आदमी पार्टी ने मोर्चा खोल रखा है । समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान पर न्यूटिमा अस्पताल में हंगामा करने पर एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें पहले अतुल प्रधान को आरोप मुक्त किया गया और फिर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई। इसी मुददे पर जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष सीमा प्रधान ने पुलिस प्रशासन के खेल को बेपर्दा करते हुए विधायक के आमरण अनशन की चेतावनी दी।
आप का दावा अवैध है न्यूटिमा
वहीं आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है अस्पताल को अवैध रूप से बनाया गया है। पार्किंग के स्थान पर बेसमेंट को कर करके अस्पताल बना दिया गया है। वहीं शहर में इतने बड़े अस्पताल के अवैध निर्माण पर अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं । मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी अभिषेक पांडे की माने तो अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है।
अगर सही जवाब नहीं आया तो कार्रवाई की जाएगी। न्यूटिमा अस्पताल के पक्ष में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी कूद पड़ा। लेकिन प्रशासनिक जांच रिपोर्ट आने के बाद पैरवी करने वालों के मुंह बंद हो गए। अब देखना यह होगा की ऊंची पहुंच और रसूक रखने वाले अस्पताल के डॉक्टर पर रिपोर्ट के आधार पर कारवाई कब तक होगी।
दवाओं की कोडिंग क्या
साथ ही उन्हें कोडिंग के जरिए दवा लिख कर दी जा रही थी। जो केवल अस्पताल में बने दवा स्टोर से ही मिलती है। यानी अगर कोई बाहर से दवा खरीदना चाहे तो बाउंसर उसके साथ बदसलूकी भी करते है ।
हाईटेक या लूट खसोट का ठिकाना
चिकित्सीय सुविधाओं के लिए इस अस्पताल को मेरठ का सबसे हाईटेक अस्पताल माना जाता है। बड़े इलाजों की बात करें तो आम आदमी न्यूटिमा अस्पताल पर भरोसा जताता है। लेकिन इस अस्पताल में खुली लूट मच रही है। लाखों के बिल के जरिए मरीज और तीमारदारों की जेब पर खुली लूट की जा रही है। इस मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से की गई। जिस पर बृजेश पाठक ने प्रशासनिक जांच के निर्देश जारी कर दिए। अब प्रशासनिक जांच हुई तो अस्पताल प्रशासन की करगुजारियां उजागर हो गई।
सीएमओ ने बाउंसर रखना बताया गलत
सीएमओ अखिलेश मोहन ने कहा, अस्पताल में बाउंसर रखना गैरकानूनी है। साथ ही मरीज और उनके तीमारदारों को अस्पताल में बने स्टोर से दवाई लेने पर मजबूर करने पर भी लीगल एक्शन बनता है। जब बयान मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखिलेश मोहन का है। जबकि प्रशासनिक जांच में स्पष्ट हो गया कि न्यूटिमा अस्पताल में मरीज और तीमारदारों के साथ बाउंसर गलत व्यवहार कर रहे थे।