- मीटर की रीडिंग में अंतर आया, मीटर को उतार कर भेज दिया गया लैब
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अधिशासी अभियंता विद्युत नगरीय वितरण खंड द्वितीय में बैठने वाले अफसरों के लिए शहर के आदर्शनगर इलाके से एक उपभोक्ता का मीटर उतार ले जाना गले की फांस बन गया है। इस मामले में बिजली अफसर बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। आरोप है कि उपभोक्ता की गैरमौजूदगी में मीटर उतरवा लिया गया। दरअसल, इससे पहले उपभोक्ता के यहां चेकमीटर लगाया गया। चेकमीटर और उपभोक्ता के यहां लगे मीटर की रीडिंग में अंतर आया। मीटर को उतार कर लैब भेज दिया गया। बस यही पर बिजली स्टॉफ ने आफत मोल ले ली।
उपभोक्ता की ओर से उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल ने बताया कि साढेÞ सात किलोवाट लोड का मीटर उपभोक्ता के घर के बाहर लगा है। यह करीब 15 साल पुराना है। नियमानुसार एमआरआई की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जांच के लिए मीटर को लैब में भेज दिए जाने के बाद अगले दिन उपभोक्ता को बुलाया गया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि नहीं आए तो फिर नोटिस भेजा जाएगा। अगले दिन उपभोक्ता नियत समय पर जा पहुंचे। आरोप है कि उनसे मामले को सेटल करने के नाम पर पचास हजार की डिमांड की गयी।
लोकेश अग्रवाल ने बताया कि उपभोक्ता ने यह रकम देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि जब उनके स्तर से कोई फॉल्ट ही नहीं किया गया है तो वह किस काम के लिए इतनी बड़ी रकम दें। बात नहीं बनी तो 8 जून को छेड़खानी की रिपोर्ट बना दी और 9 जून को एसेसमेंट भी बना दिया गया। साथ ही उपभोक्ता से पैसा जमा करने को कहा गया। अब इस मामले में उपभोक्ता ने आरटीआई के तहत पूछ लिया है कि मीटर जब उतारा गया तो उन्हें पूर्व में इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई, नियमानुसार उपभोक्ता की मौजूदगी में वीडियो ग्राफी के बाद मीटर उतारा जाना चाहिए।
उन्होंने लैब की टेस्टिंग रिपोर्ट मांग ली। इसके अलावा 22 मार्च से 8 अप्रैल तक की लैब के डिस्पेच रजिस्टर की सत्यापित प्रतिलिपि व मीटर के अंदर की संरचना के डाइग्राम की सत्यापित छायाप्रति भी एक्सईएन विपिन कुमार को भेजे पत्र में मांग ली। बताया गया है कि इस आश्य का पत्र लेकर जब पोस्टमैन पहुंचा तो गलत एड्रस बताकर उसको लौटा दिया। बाद में उपभोक्ता दस्ती यह पत्र लेकर पहुंचा तो रिसीव करने को तैयार नहीं हुए। जब चीफ धीरज सिन्हा को मामले से अवगत कराया तब कहीं जाकर रिसीव दी गई।