- गंगनहर की दाहिनी पटरी पर सड़क निर्माण के लिए हजारों पेड़ काटने पर लिया संज्ञान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गंगनहर की दाहिनी पटरी पर सड़क निर्माण और चौड़ीकरण के लिए गाजियाबाद से हरिद्वार के रुड़की तक हो रही पेड़ों की कटाई पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगाते हुए भारतीय सर्वेक्षण विभाग को कटे हुए पेड़ों की सेटेलाइट फोटो दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इन दिनों लोक निर्माण विभाग की ओर से गंगनहर के दाहिनी ओर रोड बनाने की प्रक्रिया के अंतर्गत पटरी के चौड़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है। जिसके लिए गाजियाबाद जिले में मुरादनगर से मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी तक गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में 1.12 लाख पेड़ों को चिंहित किया गया, जिनमें से हजारों की संख्या में पेड़ों का कटान कराया जा चुका है।
इस बीच एनजीटी में एक पर्यावरणविद् की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई। यहां मिल रही जानकारी के अनुसार एनजीटी ने इसका संज्ञान लेते हुए अग्रिम आदेश तक पेड़ों का कटान रोकने और सेटेलाइट इमेज उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए गए हैं। एनजीटी ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग को आदेश दिया है कि वो इस पूरी कार्रवाई की सेटेलाइट इमेज दाखिल करें। गौरतलब है कि इस मुद्दे को लेकर बीते दिनों सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने आयुक्त से शिकायत करते हुए वन विभाग के कार्यालय में विरोध प्रदर्शन भी किया है। जिसके बाद वन विभाग के अफसरों ने आरोपों की जांच की। जांच में सामने आया कि पेड़ों के कटान के लिए 20 मीटर चौड़ाई में अनुमति ली गई थी, लेकिन बाद में 15 मीटर चौड़ाई क्षेत्र में पटरी पर खड़े पेड़ों के कटान पर सहमति बनी।
वन विभाग की टीम ने जब मौके पर जांच की तो पता चला कि ये पेड़ 15 की बजाय 25 से 27 मीटर तक की चौड़ाई में काटे गए हैं। इधर, पर्यावरणविद् राजेंद्र त्यागी, विक्रांत तोंगड़ और सतेंद्र सिंह ने इस मामले की शिकायत एनजीटी दिल्ली में की। अधिवक्ता आशीष वशिष्ठ की ओर से ट्रिब्यूनल को बताया गया कि पेड़ों के कटने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलवायु आपदा होना तय है, इसी के साथ-साथ नहर के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है। फिलहाल एनजीटी ने इस मामले में पेड़ों का कटान रोकने और सेटेलाइट इमेज प्रस्तुत करने को कहा है। वहीं, दूसरी ओर वन रेंजर सरधना कुलदीप सिंह ने एनजीटी की ओर से कोई आदेश दिए जाने के मामले में अनभिज्ञता जताई है।