Thursday, January 9, 2025
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कूड़ा निस्तारण प्लांट की जांच को भाजपा पार्षदों का हंगामा

  • पार्षदों ने प्लांट न चलने से कूड़ा का पहाड़ ऊंचा होने पर जताई चिंता
  • अफसरों पर साढ़े तीन करोड़ की मशीन लगाकर घोटाला करने का आरोप

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लोहिया नगर के डंपिंग यार्ड में लगे कूड़ा निस्तारण प्लांट की जांच कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को भाजपा के पार्षदों ने नगर निगम में हंगामा किया। उन्होंने अपर नगर आयुक्त का घेराव किया। उन्होंने प्लांट न चलने से कूड़ा का पहाड़ तेजी से ऊंचा होने को लेकर चिंता जताई। पार्षदों ने निगम के अधिकारियों पर साढ़े तीन करोड़ का नया प्लांट लगाकर एक और घोटाला करने का आरोप लगाया। अपर नगरायुक्त ने पार्षदों को प्लांट की जांच कराने और रोजाना कितना कूड़ा उठ रहा उसकी अपने कांटे से तौल कराकर मॉनिटरिंग करने का भरोसा दिलाया।

दरअसल वर्षाें से हापुड़ रोड पर लोहिया नगर के डंपिंग ग्राउंड में नगर निगम की ओर से महानगर से निकलने वाला कूड़ा डाला जा रहा है। यहां कूड़े का पहाड़ तेजी से ऊंचा होता जा रहा है। यहां अब 12 लाख टन कूड़ा पड़ा है। कूड़े के निस्तारण के लिए 600 टीपीडी का एक प्लांट लगा है, जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रहा है। कूड़े के पहाड़ से लोहिया नगर के साथ-साथ जाहिदपुर, अल्लीपुर, काजीपुर आदि आसपास के कई गांवों में भूजल दूषित हो रहा है, साथ ही वहां की आबोहवा भी प्रदूषित हो रही है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि वहां लोग कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

कुछ लोग तो मौत की आगोश में समा चुके हैं। कूड़ा निस्तारित न होने का मामला एनजीटी में चल रहा है। इसको लेकर प्रदूषण विभाग ने नगर निगम पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। नगर निगम की बोर्ड बैठक में कूड़ा निस्तारण प्लांट न चलाए जाने को लेकर पार्षदों ने हंगामा किया था, जबकि अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार ने कूड़ा निस्तारण प्लांट चलने का दावा किया था। शुक्रवार को भाजपा के पार्षद अनुज वशिष्ठ, पंकज गोयल, संदीप रेवड़ी, पूनम गुप्ता, दिग्विजय चौहान, सुनीता प्रजापति, अनिल वर्मा आदि ने लोहिया नगर डंपिंग यार्ड पर पहुंचकर कूड़ा निस्तारण प्लांट की जांच की।

वहां प्लांट बंद पाया गया। उक्त पार्षदों ने शाम को नगर निगम पहुंचकर हंगामा किया। उन्होंने अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार का घेराव किया। अपर नगरायुक्त ने पार्षदों को बताया कि प्लांट कम क्षमता है, इससे कई वर्ष में भी वहां पड़ा कूड़ा निस्तरित नहीं होगा, इसलिए नगर निगम ने वहां साढ़े तीन करोड़ का एक और कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की योजना बनाई है। इसपर पार्षद भड़क गए। उन्होंने कहा कि नगर निगम के अधिकारी जो प्लांट लगा है,

उसे चलाने को तैयार नहीं है, लेकिन नए प्लांट की खरीदारी करके एक और घोटाला करने की फिराग में हैं। वह यह होने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि पहले जो प्लांट लगा है, उसकी जांच की जाए कि प्लांट से रोजाना कितना कूड़ा निस्तारित हो रहा है। अपर नगरायुक्त ने भरोसा दिलाया कि डंपिंग यार्ड में एक धर्म कांटा लगाकर रोजाना निस्तारित कूड़े की तौल कराकर उसकी मानिटरिंग की जाएगी।

फाइलों में बंद कर डाली वेंडिंग जोन योजना

मेरठ: नगर निगम ने शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए फड़ और ठेली वालों के एक स्थान पर खड़ा होने के लिीए वेंडिंग जोन योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना को फाइलों में बंद कर डाला। इससे शहर को जाम से निजात दिलाने की कवायद पर ब्रेक लग गया। महानगर में जाम की समस्या गंभीर बनती जा रही है। शीघ्र महानगर में मेट्रो और रेपिड ट्रेन का संचालन शुरू हो जाएगा। ऐसे में महानगर में ट्रैफिक और बढ़ जाएगा। क्योंकि गांवों, कस्बों और आसपास के जिलों से लोग यहां आकर मेट्रो और नमो भारत का सफर करेंगे।

इससे शहर में जाम की समस्या और बढ़ जाएगी। महानगर में जाम की एक प्रमुख वजह बाजारों और मेन चौराहों पर फड़ और ठेलियों का जमावड़ा लगे रहना भी है। नगर निगम ने महानगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए वेंडिंग जोन योजना बनाई थी। इस योजना के तहत फड़ और ठेली वालों को किसी निर्धारित स्थान पर छोटी-छोटी दुकानें बनाकर किराये पर देने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार और चीफ इंजीनियनर निर्माण अनुभाग देवेन्द्र कुमार ने सहायक नगर आयुक्त, इंजीनियर और लेखपाल की टीम के साथ महानगर में विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया था।

इस भ्रमण में अधिकारियों ने सूरजकुंड के पास, गंगानगर में ग्लोबल सिटी के पास और दिल्ली रोड पर मेवला फ्लाईओवर के नीचे की भूमि पर वेंडर जोन बनाने का प्रस्ताव तैयार करके उच्चाधिकारियों को दिया। उक्त तीनों जगह नगर निगम की अपनी संपत्ति हैं। इसलिए जगह के अधिग्रहण की कोई समस्या इन भूमि पर नहीं है। इस दौरान यह भी देखा गया कि उक्त स्थानों पर पब्लिक की आवाजाही कैसी है। लोग वहां से गुजरते भी हैं या नहीं। उक्त स्थान लोगों की आवाजाही को लेकर उपयुक्त पाए गए। अधिकारियों ने उक्त तीनों स्थानों पर छोटी-छोटी दुकानें बनाकर फड़ और ठेली वालों को आवंटित करके उनसे किराया वसूलने का प्रावधान इस योजना के तहत रखा गया।

मेवला फ्लाईओवर के नीचे 40 दुकानें, गंगानगर में 80 दुकानें बनाने, सूरजकुंड के पास 50 दुकानें बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। इस योजना पर करीब 55 लाख रुपये खर्च अनुमानित रखा गया था। उक्त प्रस्ताव तैयार करके नगरायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसके बाद न तो उक्त प्रस्ताव को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में रखा गया और न ही बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को रखा गया। अधिकारियों की उदासीनता के चलते यहां वेंडिंग जोन योजना पास होने से पहले ही दम तोड़ गई।

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