- 47.31 करोड़ की लागत से सेतु निगम को बनानी है बच्चा पार्क से तहसील सदर तक सड़क
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बच्चा पार्क से तहसील सदर तक एलिवेटेड रोड बनाने की योजना सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे करके बनाए गए 75 अवैध निर्माणों के आगे दम तोड़ गई। अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पाया। इसके चलते 47.31 करोड़ की योजना फाइल में कैद होकर रह गई। दरअसल, बच्चा पार्क से सदर तहसील की ओर रोजाना हजारों लोग दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया और बसों से जाते हैं। बच्चा पार्क से सदर तहसील चौराहे तक जाने के लिए सीधा रास्ता नहीं है।
लोगों को फिल्मिस्तान सिनेमा, खैरनगर चौराहा, छतरी वाले पीर तिराहा, जली कोठी होते हुए जाना पड़ता है या लोगों को थापर नगर से बंसल सिनेमा तिराहे से भैंसाली बस अड्डे के सामने से होकर जाना पड़ता है। बच्चा पार्क से खैरनगर चौराहा और उक्त चौराहे से लेकर तहसील चौराहे तक तथा रोडवेज के आगे जाम की समस्या गंभीर बनी रहती है। जाम लगने पर लोगों को तहसील पहुंचने में आधा घंटे से लेकर एक घंटा तक लग जाता है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजेपई ने बच्चा पार्क से तहसील सदर तक जहां नाला निकल रहा है,
वहां नाले को पाटकर और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटवाकर एलिवेटेड रोड बनवाने का आग्रह नगर विकास मंत्री से आग्रह किया था। शासन से उक्त प्रोजेक्ट को पास कर इसके निर्माण की जिम्मेदारी सेतु निगम को दी थी। 700 मीटर लंबे उक्त रोड 47.31 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाना है। गत 11 जुलाई को तत्कालीन नगरायुक्त अमित पाल शर्मा ने बच्चा पार्क से तहसील सदर तक 700 मीटर की इस रास्ते में करीब 250 मीटर के क्षेत्र में सरकारी भूमि पर 75 अवैध कब्जे करके, दुकानें, मकान व गोदाम बने हुए पाए।
तत्कालीन नगरायुक्त ने सेतु निगम के अधिकारियों को बताया था कि उक्त योजना की शुरुआत से पहले वहां से अतिक्रमण हटवाना जरूरी है। तत्कालीन नगरायुक्त ने यह भी बताया था कि तत्कालीन डीएम अनिल धींगड़ा ने पूर्व में भी भू राजस्व की टीम को अतिक्रमण हटवाने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन प्रशासन आज तक अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर सरकारी भूमि को अवैध कब्जे से मुक्ति नहीं दिला पाया। उधर, सेतु निगम ने भी अतिक्रमण का बहाना बनाकर उक्त एलिवेटेड रोड की योजना को फाइल बंद कर दिया। उक्त फाइल महीनों से धूल खा रही है।
अवैध कब्जे की सूचना किसी ने नहीं दी: तहसीलदार
तहसीलदार शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि तहसील के पीछे सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे करके किए गए अवैध निर्माण की सूचना न तो नगर निगम ने उन्हें दी और न ही सेतु निगम ने दी। अब जानकारी में आया है, मामले की जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।