नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। माघ मास शुरू होते ही सनातन धर्म में त्योहारों की लाइन शुरू हो जाती है। जहां बीते दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया है। वहीं, अब संकष्टी चतुर्थी का पर्व आने वाला है। यह सकट चौथ व्रत के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इस दिन गणेश भगवान की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन माघ मास की तिल चौथ का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कब है संकष्टी चतुर्थी 2025?
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा।
ऐसे में 17 जनवरी को सकट चौथ का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तिल और गुड़ का विशेष उपयोग किया जाता है, जो इसे स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टि से और भी पवित्र बनाता है।
क्या है इस दिन का महत्व?
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने से न केवल शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन में आने वाली हर बाधा को दूर करने में सहायक होता है। इस दिन गणेशजी और चंद्रदेव की उपासना से संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। घर में सुख-शांति का आगमन होता है। बच्चों के जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रदेव को जल देने से संतान को किसी भी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और तिल व गुड़ से बनी सामग्री का उपयोग करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने वाले भक्तों को भगवान गणेश की कृपा से धन, वैभव और सफलता प्राप्त होती है।
पूजा विधि
- इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें।
- भगवान गणेश को दुर्वा, फूल, शमी पत्र ,चंदन और तिल से बने लड्डू अर्पित करें। पूजा के दौरान दीपक जलाएं और भगवान गणेश के मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
- पूजा के बाद गणेश आरती करें और तिल व गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं।
- संध्या के समय चंद्रमा को देखकर जल से अर्घ्य अर्पित करें और भगवान गणेश से अपने परिवार के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
- चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें और प्रसाद ग्रहण करें।
इन मंत्रों करें जाप
शिक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए
- विद्यार्थी इस दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जप करके प्रखर बुद्धि और उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
- वहीं संकट और कार्यों में बाधाओं को दूर करने के लिए ‘ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात’ का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।