Wednesday, January 22, 2025
- Advertisement -

शहादत, आत्महत्या पर अटका रहा मामला

  • सात घंटे बाद सम्मान से किया अंतिम संस्कार सीएम को भेजा पांच सूत्रीय मांग पत्र

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: झारखंड के रांची में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से हुई छुछाई निवासी सैनिक की मौत प्रकरण में शनिवार को नया मोड़ आ गया। पार्थिव शरीर लेने थाना पहुंचे परिजनों, ग्रामीणों और सैन्य अधिकारियों के बीच मामला शहादत और आत्महत्या को लेकर फंस गया।

परिजनों ने पहले पार्थिव शरीर ताबूत में नही होने पर आपत्ति जताई फिर आत्महत्या से इनकार करते हुए मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच, मृतक को शहीद का दर्जा सहित पांच मांग पूर्ण होने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही। पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने पर तो हंगामें के आसार बन गए। निवर्तमान व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी मौके पर पहुंचे। सात घंटे बाद तहसीलदार के गांव पहुंचने पर सम्मान के साथ सैनिक का अंतिम संस्कार किया गया।

किठौर का छुछाई गांव निवासी सोमपाल (38) पुत्र ब्रह्मसिंह रांची झारखंड में सीआरपीएफ बिशनपुर-बनारी 158 पिकेट में सिपाही के पद पर तैनात थे। गुरुवार रात अपनी ही बैरिक में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से उसकी मौत हो गई।

सैन्य अधिकारियों ने रात में ही परिजनों को घटना से अवगत कराया। शुक्रवार दोपहर को सैनिक का पार्थिव शरीर लेकर एक हेड कांस्टेबल दिल्ली के लिए रवाना हुआ। जिसके बाद दिल्ली से सीआरपीएफ की प्लाटून शव लेकर शनिवार तड़के करीब 2:30 बजे किठौर थाना पहुंची। 3:00 बजे सैनिक के परिजन व ग्रामीण भी थाना पहुंच गए। यहां सैनिक का पार्थिव शरीर बिना ताबूत देख उनका पारा चढ़ गया।

उन्होंने बेटे को शहीदों की तरह ताबूत में नहीं लाने पर आपत्ति जताई तो मौजूद सीआरपीएफ इंस्पेक्टर ने अधिकारियों के हवाले से सैनिक को शहीद का दर्जा नहीं दिए जाने की जानकारी दी। इस पर बात बढ़ी और दिन निकलने के साथ थाने पर ग्रामींणों की भीड़ एकत्र होने लगी। स्थिति को भांपते हुए इंस्पेक्टर किठौर ने ग्राम प्रधान गुड्डू समेत गणमान्य लोगों को समझाया। जिसके बाद पार्थिव शरीर गांव लाया गया।

07 36 e1614479370933

शहादत का दर्जा न मिलने पर आक्रोश

पार्थिव शरीर घर पहुंचने पर ग्रामींणों को जैसे ही पता चला कि सोमपाल को शहीद का दर्जा नही दिया गया है। उनमें आक्रोश फैल गया। ग्राम प्रधान समेत तमाम ग्रामींणों का कहना था कि सोमपाल हंसमुख, मिलनसार और कुशल व्यावहार प्रवृति का था। वह आत्महत्या नहीं कर सकता। सैन्य अधिकारियों द्वारा कही जा रही सुसाइड की बात बिल्कुल गलत है।

ग्रामीणों ने सैनिक की मौत की निष्पक्ष जांच, मृतक को शहीद का दर्जा, परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ डीएम या किसी सक्षम अधिकारी को मौके पर बुलाने की मांग की। उन्होंने दो टूक कहा कि मांग पूरी होने के आश्वासन के बाद ही सैनिक का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

09 36

सात घंटे पार्थिव शरीर को देखकर तड़पते रहे परिजन

सैनिक का पार्थिव शरीर सुबह 8:00 बजे घर लाया गया। ग्राम प्रधान और अन्य प्रबुद्ध लोगों ने तभी से जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को फोन घनघनाने शुरु कर दिए। जिसके बाद पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर गांव पहुंचे। दोनों जनप्रतिनिधियों ने डीएम के. बालाजी, एसडीएम कमलेश कुमार को फोन कर मौके पर पहुंचने को कहा।

स्थिति बिगड़ने की आशंका का हवाला भी दिया, लेकिन अधिकारियों ने किसान महापंचायत और खास मीटिंग की बात कहकर तहसीलदार अजय कुमार उपाध्याय और सीओ ब्रजेश सिंह को मौके पर भेजा। जिस पर दोनों जन प्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन से नाराजगी जताई। यथा संभव आर्थिक मदद, पीड़ित परिवार को पेंशन और एक सदस्य को नौकरी के आश्वासन के बाद दोपहर शाम करीब 3:00 बजे सम्मान के साथ सैनिक का उनके खेत में अंतिम संस्कार किया गया।

11 33

परिजनों ने उठाए सवाल

सीमा प्रधान और कुलविंदर के समक्ष परिजनों ने बेटे की मौत पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी ड्यूटी के दौरान सोमपाल पर हथियार नहीं था, दूसरे साथी के हथियार से गोली लगी है। अगर यह हकीकत है तो साथी ने उसे हथियार क्यों दिया। सच्चाई का खुलासा होना चाहिए। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक दिनेश खटीक के गांव न पहुंचने पर भी नाराजगी जताई। सैनिक वेलफेयर फंड से मिली 50 हजार की रकम को उन्होंने नाकाफी बताया।

परिजनों को विश्वास नहीं कि उनका बेटा आत्म हत्या कर लेगा
गयूर अली खां  |

किठौर: संदिग्ध हालात में गोली लगने पर जिंदगी की जंग हारे सैनिक सोमपाल के परिजनों को सदमा भी है और अचंभा भी। सदमा यह है कि बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचते ही लाडले सैनिक बेटे की मौत से न सिर्फ उनका परिवार टूटा बल्कि बेटे पर आत्महत्या का दंश भी लग गया। गम के अथाह सागर में डूबी बूढ़ी आंखे बेबसी से पार्थिव शरीर को टकटकी लगाए देखती रहीं। अचंभा यह है कि उनके हंसमुख, और व्यवहार कुशल बेटे ने आत्महत्या क्यों कर ली? अगर वास्तव में उसने आत्महत्या की है तो वह कौन सी विकट परिस्थिति थीं। जिनका सोमपाल सैनिक होते हुए भी सामना नही कर पाया। पति की अचानक मौत से पत्नी नीतू और बच्चों अक्षित और आयुषी का रो-रोकर बुरा हाल है। सोमपाल की बहनें बबलेश व ममता भी बेहाल हैं। मौत से चंद मिनट पहले सोमपाल से बात कर चुके उसके जीजा नीरज और बेटी आयुषी ने बताया कि बातचीत में ऐसा बिल्कुल नही लग रहा था कि पापा अवसाद में हैं। 23 दिन पूर्व ड्यूटी पर जाते समय पिता और मां से जल्द लौटने का जो वायदा कर गए थे वही फोन पर बेटी से भी दोहराया। बकौल आयुषी उसके पापा ने पहले परिवार की कुशलक्षेम पूछी फिर बताया कि जल्द ही उनका प्रमोशन होने वाला है। इसके लिए उन्हें डेढ़ महीने के प्रशिक्षण पर जाना होगा। प्रमोशन के साथ ही तबादला भी हो जाएगा। तबादले के लिए उन्होंने नोएडा सहित पांच सीआरपीएफ सेंटर च्वाइस किए है। कहा कि मुझे विश्वास है कि च्वाइस में नोएडा मिल जाएगा। फिर मैं जल्दी-जल्दी घर आया करुंगा। बेटे अक्षित ने सिसकते हुए कहा कि उसके पापा वायदे के बहुत पक्के थे। ग्रामीणों ने बताया कि भाइयों में छोटा होने की वजह से सोमपाल परिवार का लाडला था। माता पिता का कहना था कि जल्द लौटने का वायदा कर गया था। लेकिन यह पता नही था कि अगले महीने ही किसी मनहूस घड़ी में बेजान होकर लौटेगा।

 

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

सर्दियों में अस्थमा रोगी रखें खास ख्यालअनूप मिश्रा

सर्दियों में वैसे तो बहुत सी मौसमी बीमारियां हमारे...

बिना दर्द का माइग्रेन

सीतेश कुमार द्विवेदी अधिकतर लोग माइग्रेन का तात्पर्य तेज सिर...
spot_imgspot_img