- बिल न भरने पर नर्सिंग होम स्टाफ ने उठाया कदम डाक्टर का इनकार
- कार्रवाई के बजाय सीएमओ ने पुलिस के पाले में डाली गेंद, फीस पर भी जतायी लाचारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: डिलीवरी कराने के बाद नर्सिंग होम का बिल न भरने पर प्रसूता को बंधक बना लिया। प्रसूता का मरा हुआ बच्चा लेकर उसकी मां दो दिन तक इधर-उधर भटकती रही।
हालांकि मामले में नर्सिंग होम संचालक ने एक सिरे से तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है। वहीं, दूसरी ओर सीएमओ ने इस मामले में कार्रवाई की जिम्मेदारी पुलिस पर डाल दी है।
पीपली खेड़ा निवासी मुबारिक खान ई-रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करता है। उसके पांच बच्चे हैं। मंगलवार को उसने पत्नी गुलशन को डिलीवरी के लिए लिसाड़ीगेट के हापुड़ रोड स्थित जौहर नर्सिंग होम में भर्ती कराया था।
मुबारिक ने बताया कि डिलीवरी में पैदा हुआ नवजात बेहद कमजोर था। उसको मशीन में रखने की जरूरत थी। वो चाहता था कि यही पर उसके बच्चे को मशीन में रखा जाए, लेकिन उसको अर्जुन हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। वहां बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
मरे हुए नवजात को मुबारिक की सास सलमा वहां से लेकर चली गयी। दो दिन तक उसको लेकर इधर-उधर भटकती रही। बुधवार को मरे हुए नवजात को लेकर कमिश्नरी पहुंच गयी, वहां हंगामा खड़ा कर दिया।
इसको लेकर जब सीएमओ डा. राजकुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यदि किसी को बंधक बनाया गया है तो मुक्त कराने का काम स्वास्थ्य विभाग का नहीं बल्कि पुलिस का है। कोई डाक्टर कितनी फीस ले रहा है, इस पर भी स्वास्थ्य विभाग का अख्त्यार नहीं है।
हालांकि बाद में जब मामला मीडिया में तूल पकड़ लिया तो सीएमओ ने एक टीम भिजवाए जाने की बात कही। वहीं, दूसरी ओर नर्सिंग होम संचालक डा. नौशाद ने प्रसूता को बंधक बनाए जाने के आरोप एक सिरे से खारिज कर दिए।
उन्होंने बताया कि डिलीवरी के बाद जितना समय प्रसूता की सुरक्षा व स्वास्थ्य के मद्देनजर जरूरी है, उतनी ही देर उसको रोका गया। यदि उसे तत्काल घर जाने की इजाजत दे दी जाती तो खतरनाक हो सकता था।
इस सारे फसाद की जड़ बिल का भुगतान न करना है। काउंटर पर बैठने वाली स्टाफ ने बिल जमा कराए जाने को कहा था। जिससे वह भड़क गयी।
ये कहना है अस्पताल संचालक का
अस्पताल संचालक डा. नौशाद ने बंधक बनाए जाने के आरोप को गलत बताया। बिल न देने की वजह से परिजनों द्वारा झूठे आरोप लगाकर हंगामा किया है।
ये कहना है सीएमओ का
सीएमओ डा. राजकुमार का कहना है कि यदि किसी को बंधक बनाया गया है तो उसको छुड़ाने का काम पुलिस का है। स्वास्थ्य विभाग का नहीं।