जनवाणी ब्यूरो
शामली: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के तीन टुकड़े कर सम्पूर्ण वितरण का निजीकरण करने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का एक सितंबर से चल रहा धरना-प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को उन्होंने एक ज्ञापन विधायक तेजेंद्र निर्वाल के आवास पर पहुंचकर उनके प्रतिनिधि को सौंपा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के जिला संयोजक उदय प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों में तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता व कार्यालय सहायक समेत कर्मचारी एक सितंबर से शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं लेकिन प्रबंधन का हठवादी व दमनात्मक रवैया बना हुआ है।
ज्ञापन में उन्होंने वितरण निगम का निजीकरण किसी प्रकार नहीं होने की मांग की। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी अधिक राजस्व वाले वाणिज्यक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी जो नोएडा व आगरा में हो रहा है।
इसलिए निजीकरण का प्रस्ताव रद्द होना चाहिए। अभी तक किसानों व गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने व 500 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को पावर कॉरपोरेशन सब्सीडाइज्ड बिजली देता है। प्रदेश में बिजली की लागत का औसत 7.90 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने के बाद 9.50 प्रति यूनिट से कम पर बिजली नहीं मिलेगी। इसलिए निजीकरण आम जनता के हित में नहीं है।
ज्ञापन देने वालों में अवर अभियंता भानु प्रताप कुशवाहा, अजय शर्मा, सिकंदर यादव, जुगेंद्र सैनी, ब्रजमोहन, शिवकुमार, विजय शंकर कुशवाहा आदि मौजूद रहे।