- सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बड़ी संख्या में हो रहे संक्रमित डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ
- सुरक्षा में चूक या फिर यूज किए जा रहे क्लीनिकली इक्यूपमेंट की क्वालिटी निम्न स्तर की
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: संक्रमितों की मौत पर तो हाय-तौबा मची हुई है, लेकिन जान जोखिम में डालकर कोरोना से जंग लड़ रहे वॉरियर्स पर लगातार हो रहे संक्रमण के हमले पर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं। पिछले एक माह में वॉरियर्स पर हुए कोरोना संक्रमण के हमलों की तेजी से बढ़ी संख्या ने सुरक्षा उपायों पर सवाल खडे कर दिए हैं।
एलएलआरएम मेडिकल समेत दो प्राइवेट मेडिकल जहां कोरोना आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। वहां बड़ी संख्या में डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमण की चपेट में आए हैं। इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में जहां कोरोना आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। वहां भी डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन इस बडेÞ मुद्दे पर कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं।
कोरोना के खिलाफ आकर मोर्चा ले रहे वॉरियर्स ही यदि सुरक्षित नहीं रहेंगे तो फिर जंग कैसे जीती जा सकेगी। इसको लेकर सिस्टम के रवैये पर तमाम डाक्टर्स व दूसरे सहायक कोरोना वॉरियर्स में भारी नाराजगी भी है। साथ ही सिस्टम से भी कोरोना वॉरियर्स को लेकर बरती जा रही लापरवाही पर चुप्पी को लेकर सवाल पूछा जा रहा है।
कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद यदि पूरे देश की बात की जाए तो अब तक कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ने वाले 400 डाक्टर्स की जान जा चुकी हैं। इससे ज्यादा आंकड़ा उन कोरोना वॉरियर्स का है जो आइसोलेशन वार्ड के हाईरिस्क जोन में संक्रमण से दो-दो हाथ कर रहे हैं।
मेरठ के संबंध मे यदि बात की जाए तो आशा त्यागी नाम की एक स्टाफ नर्स आॅन ड्यूटी जिंदगी की जंग हार चुकी है। जबकि संक्रमण की चपेट में आने वाले कोरोना वॉरियर्स की संख्या बेहद डराने वाली है। कोरोना वॉरियर्स पर संक्रमण के हमलों की यदि बात की जाए तो इसमें लापरवाही का सिलसिला शुरूआत से ही रहा।
सरकारी मेडिकल एलएलआरएम हो या फिर प्राइवेट सुभारती व एमएसवाई सरीखे प्राइवेट मेडिकल कालेज या फिर ऐसे ही दूसरे अस्पताल जहां संक्रमितों का इलाज चल रहा है। सुरक्षा व बचाव में कारगर साबित होने वाले उपकरण देने में आनाकानी या फिर हीलाहवाली बरती गयी। जिसका परिणाम बड़ी संख्या में वॉरियर्स का संक्रमित होना है।
ये कहती है गाइडलाइन
आईसीएमआर और विश्व स्वास्थ्य संगठन की यदि गाइडलाइन की बात की जाए तो आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमितों की देखभाल करने वाले मेडिकल स्टाफ के लिए अव्वल दर्ज की पीपीई किट, एन-19 मास्क ही नहीं बल्कि फेस शील्ड, हैंड कवर, अच्छी क्वालिटी के ग्लब्ज, शूज के अलावा उन्हें सप्ताह भर की ड्यूटी के बाद कम से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन यानि अज्ञातवास भी रखा जाए, लेकिन स्वास्थ्य संस्थान सरकारी हो या प्राइवेट इन गाइडलाइन को लेकर विभाग गंभीर नजर नहीं आया।
इतना ही नहीं विभाग को चलाने वालों ने इन तमाम कायदों वक्त के साथ अपनी सुविधानुसार लचीला तक करने का जोखिम मोल लिया। जिसकी सबसे बड़ी कीमत उन कोरोना वॉरियर्स ने उठायी जो कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं। वो लगातार हाईरिस्क में भर्ती मरीजों के संपर्क में आने से पूरी तरह से एक्सपोज होते चले गए।
बार-बार खुलती इंतजामों की पोल
कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा की यदि बात की जाए तो विभाग के इंतजामों की पोल खुलने का एक लंबा सिलसिला है जारी है। पीपीई किट के फुल प्रूफ होने को लेकर अक्सर कोरोना वारियर्स सवाल खडे करते हैं। हालात केवल सरकारी नहीं प्राइवेट में भी हैं। जहां तक एलएलआरएम मेडिकल का सवाल है तो वहां तो पीपीई किट व एन-19 मास्क को लेकर कई बार वॉरियर्स ही इंतजामों की पोल खोल चुके हैं।
इस संबंध में जनवाणी संवाददाता ने स्वास्थ्य विभाग के कई विशेषज्ञों से चर्चा की। सभी ने इस महत्वपूर्ण बिंदु को उठाने के लिए जनवाणी का थैंक्स किया। उन्होंने इस मुद्दे पर मेडिकल बिरादरी किस संकट से होकर गुजर रही है, उस व्यथा से भी रूबरू कराया।
सुरक्षा को लेकर सरकार लापरवाह
आईएमए के अध्यक्ष डा. नवीन शर्मा कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर हैं। उन्होंने बताया उन्होंने सरकार से प्राइवेट कोरोना वॉरियर्स को बीमा कवर दिए जाने का कई बार आग्रह किया, लेकिन सरकार ने जो रिप्लाई दिया वह आपत्तिजनक है। बजाय बीमा कवर देने के सरकार का रवैया कोरोना संक्रमितों के इलाज से दूर रहने की हिदायत देने सरीखा है।
वॉरियर्स को बचाकर ही जीती जा सकती है जंग
आईएमए के स्टेट सेक्रेटरी वरिष्ठ चिकित्सक डा. शिशिर जैन का कहना है कि विभाग की ओर से संक्रमितों के इलाज में लगे मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के इंतजाम फुल प्रूफ नहीं हैं। उनमें तमाम खामियां हैं। विदेशों का उदाहरण देते हुए डा. शिशिर जैन ने बताया कि वॉरियर्स को बचाकर ही जंग जीती जा सकती है।
कमियों पर लगातार नजर
मेडिकल कालेज अस्पताल के प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार का कहना है कि कोरोना आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी करने वाले डाक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। जो भी खामियां सामने आती हैं उनको दूर भी किया जाता है। कुछ चीजें सरकार व सिस्टम चलाने वाले तय करते हैं।