- 27 साल बाद मौनी अमावस्या पर बन रहा ग्रहों का लाभप्रद संयोग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन नदी में स्रान करने मात्र से ही जीवन के सभी पाप मिट जाते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन सभी देवी-देवता गंगा नदी में वास करते हैं, जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है।
इस वजह से ही प्रयागराज में त्रिवेणी के संगम तट पर लोग स्रान कर महापुण्य करने से नहीं चूकते हैं, लेकिन इस बार भी चारों तरफ कोरोना का कहर है। अगर आप चाहें तो घर पर भी नियमपूर्वक स्रान-दान और व्रत करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। स्रान के समय भगवान का ध्यान करना चाहिए।
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के आचार्य मनीष स्वामी का कहना है कि इस दिन पितृ पूजा का भी विशेष महत्व होता है। गाय, कुत्ता व कौआ का संबंध पितरों से माना गया है। इन तीनों के लिए भोजन निकालना चाहिए अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देवता हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध और धूप दान किया जाता है।
वहीं अमावस्या पर सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और किसी शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में जल भरकर अभिषेक करें। ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इस दिन हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
क्या है मौनी अमावस्या?
मौनी अर्थात् मौन। इस अमावस्या के दिन मौन रहकर व्रत और पूजन किया जाता है। मौन रहकर भगवद् भक्ति करने से मनुष्य की आंतरिक ऊ र्जा में वृद्धि होती है। सत्कर्मो का उदय होता है और अंतरुकरण का शुद्धिकरण होता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म हुआ था इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए पवित्र नदियों में स्रान करने के विशेष महत्व है।
4 घंटे 4 मिनट रहेगा अति पुण्यदायी महोदय योग
1 फरवरी को प्रात: 7 बजकर 11 मिनट से लेकर प्रात: 11 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि श्रवण नक्षत्र और व्यतिपात योग का संयोग होने से महोदय नाम का योग बन रहा है। यह योग कुल 4 घंटे 4 मिनट रहेगा। यह योग अति पुण्यदायक होता है। इस योग में किसी तीर्थस्थल पवित्र नदियों में जाकर स्रान करना, पूजा अर्चना, दान-पुण्य करना एक करोड़ सूर्यग्रहण के समय किए गए दान के समान शुभ फल देता है। शास्त्रों का वचन है कि महोदय योग में सभी नदियों व सरोवर का जल गंगाजल के समान होता है।
बनेगा ग्रहो का लाभप्रद संयोग
ज्योतिष के अनुसार इस बार मौनी अमावस्या पर ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। अमावस्या पर धनु राशि में सूर्य, मंगल और शुक्र का गोचर होगा। मकर राशि में चंद्रमा, शनि और सूर्य देव संचरण करेंगे। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक 27 साल बाद मौनी अमावस्या पर मकर राशि में शनि देव और सूर्य देव गोचर करेंगे। अब ऐसा संयोग 27 वर्ष बाद आएगा साथ ही दो राशियों में तीन-तीन ग्रहों का संचरण अत्यंत लाभकारी है। मौन रखकर पवित्र नदी में स्रान करने वाले जातकों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
कोरोना एवं रोग बीमारी का स्तर सुधरेगा
शुक्र के मार्गी और बुध के उदित व मार्गी होने पर मौसम में बदलाव आने लगेगा। तेज सर्दी से राहत मिलनी शुरू होगी। कोरोना एवं रोग बीमारी का स्तर सुधरेगा दैनिक मरीजों के संख्या घटेगी स्वास्थ्य मरीजों का प्रतिशत भी बढ़ेगा कृर्षि और व्यापार की स्थिति भी धीरे-धीरे बेहतर होती जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान और कृषि उपकरणों की बिक्री भी बढ़ेगी।
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त
अमावस्या आरंभ 31 जनवरी सोमवार को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से।
अमावस्या समाप्त 1 फरवरी मंगलवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर।