Wednesday, January 22, 2025
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…जब वक्त पड़ा तो उस मां के पांव दबाना हम भूल गए

  • आनलाइन कवि गोष्ठी से जुड़े कई कवि, बिजनौरी काव्य मंच ने की गोष्ठी आयोजित

जनवाणी ब्यूरो |

नजीबाबाद: राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर के जन्म दिवस पर व हिन्दी पखवाड़ा पर बिजनौरी काव्य मंच की ओर से आन लाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

बिजनौरी काव्य मंच ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के जन्मोत्सव पर आयोजित एक शाम-कवियों के नाम का आयोजन किया। इस मौके पर प्रदीप डेजी ने कहा कि अपने आंसू पीते पीते हम प्यास बुझाना भूल गए, थोड़े से बस क्या बड़े हुए हम वक्त पुराना भूल गए।

जिस मां के हाथों की रोटी खा खा कर के हम बड़े हुए, जब वक्त पड़ा तो उस मां के हम पांव दबाना भूल गए। सत्येंद्र गुप्ता ने कहा कि मैं चीनी मिट्टी का प्याला तुम चाय मीठी मीठी सी, हर सुबह सवेरे मेरे खालीपन को तुम भर जाती हो, बचपन गया जवानी गई उम्र भी जाने को है लेकिन जिन्दगी अब भी मुझे आजमाने को है।

कुमार शिवेंद्र ने कहा कि बेटी का सम्मान करो, बेटियों पे मान करो। जन्म ले जो बेटी बोलो, लक्ष्मी घर आई है।। बेटा बेटी भेद भाव, करते क्यों आज यहां। बेटी से ही सृष्टि सदा, आगे बढ़ पाई है। राजकुमार वर्मा राजन ने कहा कि दिनकर जी प्रणाम तुम्हें है, सबकी दी हैं आंखें खोल। पुण्यवेदी पर शीश चढ़ाने, वालो की तुमने जय बोल।

नीमा शर्मा हंसमुख ने कहा कि अपने रिश्तो को तुम यूं संभाला करो, नाजुक हैं इनको निभाया करो। गोष्ठी में राजेश गुप्ता ने भी भाग लिया। राकेश जाखेटिया ने कहा कि मां बाप, बहन भाई, परिवार खानदान, या मित्र-मंडली, यही हमारी पैतृक संपत्ति है जिसका कोई बंटवारा नहीं।

मंच प्रमुख प्रदीप डेजी एवं युवा सहयोगी कुमार शिवेंद्र कौशिक के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में आनलाइन उपस्थित मुख्य अतिथि पूर्व विधायक डाक्टर इंद्रदेव सिंह तथा विशिष्ट अतिथि दिल्ली से जुड़े जयप्रकाश अग्रवाल पूर्व सांसद, अवधेश अग्रवाल भूतपूर्व सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर वेयरहाउस कारपोरेशन आफ इंडिया, कृषि वैज्ञानिक मदन मोहन माहेश्वरी के अलावा जिले से भी कवि शामिल रहे।

डाक्टर इंद्रदेव ने अपने विस्तृत विचार रखें। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि हम सबको अधिक से अधिक बोलचाल में हिंदी भाषा का उपयोग ससम्मान करना चाहिए तथा गौरवान्वित होना चाहिए। मंच के प्रेरणा स्रोत राकेश जाखेटिया ने कार्यक्रम राष्ट्रकवि रामधारी दिनकर को समर्पित किया।

उन्होंने कहा कि दिनकर जी की लेखनी एवं विचारों को पदम भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं भारतीय ज्ञानपीठ अवार्ड आदि अनेक सम्मान मिले और उनकी स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया। वे काफी लंबे समय राज्य सभा के सदस्य रहे।

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