Saturday, July 27, 2024
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राज्यसभा सीटों को लेकर बन रही रणनीति, निशाने पर लोकसभा चुनाव, कहीं उम्मीदवार बिगाड़ न दें खेल, ऐसे होता है राज्यसभा चुनाव

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। इसी बीच कई राज्यों में राज्यसभा चुनाव की घोषणा ने नेताओं की नींद चुरा ली है। सबसे बड़ी चुनौती भाजपा यानि एनडीए और इंडिया गठबंधन को है। दोनों ही गठबंधन के नेताओं में होड़ मची है कि कैसे एक दूसरे को धोबी पछाड़ दे सकें।

लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में खाली होने वालीं पांच राज्यसभा सीटों को लेकर अधिसूचना जारी हो गई है। इन सीटों को लेकर भाजपा-कांग्रेस में तेजी से लॉबिंग शुरू हो गई है।

पांच सीटों में से अभी चार भाजपा और एक कांग्रेस के पास है। विधानसभा में दोनों दलों के सदस्यों की संख्या के आधार पर भी चार सीटें फिर से भाजपा और एक कांग्रेस को मिलनी तय है। इन सीटों के लिए चुनाव मार्च में होंगे। दोनों दल अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार का चयन करेंगे।

राज्यसभा में प्रदेश की 11 सीटों में से तीन कांग्रेस और आठ भाजपा के पास हैं। लोकसभा चुनाव को देखते हुए दोनों दल ऐसे उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं, जिनसे पार्टी को चुनाव में लाभ मिले। उधर, इस बात की भी पूरी कोशिश है कि प्रत्याशी चयन के बाद कोई जनप्रतिनिधि या वर्ग नाराज नहीं होने पाए।

इस कारण सबसे अधिक जोर जातिगत और फिर क्षेत्रीय समीकरणों पर रहेगा। भाजपा से जुड़े सूत्र कहते हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव में पराजित या फिर नाराज नेताओं को भी मौका दे सकती है। साथ ही एक या दो सीटों पर नया चेहरा सामने ला सकती है। इसके पहले भी पार्टी ने ऐसे ही चेहरे राज्यसभा में भेजे हैं।

भाजपा राज्यसभा के कुछ सदस्यों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम चल रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए भी उम्मीदवार चुना जाएगा। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा सीटों के लिए दिल्ली दरबार से ही नाम फाइनल किए जाएंगे। पहले की तरह पार्टी दो सीटों पर क्षेत्रीय और दो सीटों पर बाहरी नेता को राज्यसभा भेज सकती है।

पांच सीटों में एक सीट कांग्रेस को मिलना करीब-करीब तय है। ऐसे में एक सीट के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने युवा नेतृत्व को अवसर दिया है, उससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यसभा के लिए भी पार्टी युवा सदस्य को भेज सकती है।

इनमें प्रमुख रूप से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम चर्चा में है। ये दोनों नेता ओबीसी वर्ग से आते हैं। पटवारी इस बार राऊ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। वहीं, यह भी अटकलें हैं कि जीतू पटवारी इंदौर या फिर मालवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। फिलहाल अरुण यादव के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है।

मध्यप्रदेश से राज्यसभा में सदस्य भेजने के लिए कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी) विभाग के सम्मेलन में इस सीट पर एससी वर्ग के उम्मीदवार को भेजने की मांग उठी। विभाग के राष्ट्रीय संयोजक हेमंत नरवरे ने कहा कि भाजपा ने एससी वर्ग की सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा में भेजा।

कांग्रेस को भी एससी नेतृत्व विकसित करने के लिए अगले चुनाव में राज्यसभा के लिए एससी उम्मीदवार को आगे लाना चाहिए। इस वर्ग में प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और विजयलक्ष्मी साधौ दावेदार हैं।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के सामने बेहतर उम्मीदवार का चयन बड़ी समस्या है, क्योंकि वर्तमान राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल पिछड़ा वर्ग से आते हैं और कांग्रेस को पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को ही मैदान में उतारने का दबाव है। कांग्रेस पिछड़े वर्ग से ऐसे व्यक्ति को मौका देना चाहेगी, जिसकी पूरे राज्य में पहचान हो और उसका अपना जनाधार भी हो। ऐसा हो पाएगा, यह संभव नहीं है, क्योंकि कांग्रेस के भीतर की राजनीति में ताकतवर नेता नहीं चाहते कि कोई पिछड़े वर्ग का प्रभावशाली चेहरा सामने आए।

राज्य में राज्यसभा की जो सीटें रिक्त हो रही हैं, उन पर वर्तमान में सांसद भाजपा के अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी हैं, जो राज्य के ही हैं। जबकि, राज्य के बाहर से धर्मेंद्र प्रधान और एल मुरूगन सदस्य हैं। वहीं, कांग्रेस से राजमणि पटेल हैं। मप्र विधानसभा में कुल 230 सदस्य हैं।

पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं। निर्धारित फॉर्मूले के अनुसार 39 विधायक एक सदस्य को चुनेंगे। भाजपा के पास 163 विधायक हैं। इस हिसाब से चार सीटें उसे निर्विरोध मिल जाएंगी। कांग्रेस के पास 66 विधायक हैं, यानी उसे एक सीट मिलने की संभावना है।

ऐसे होता है राज्यसभा का चुनाव

भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राज्यसभा की 56 सीटों पर चुनाव तारीखों का ऐलान कर दिया है। बता दें कि 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा। वहीं, नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी होगी और मतदान सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगा।

जानकारी के लिए बता दें कि 13 राज्यों के 50 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त होने वाला है, जबकि दो राज्यों के शेष छह सदस्य 3 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। बता दें कि राज्य सभा के सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।

इन 15 राज्यों में होने हैं चुनाव

जिन राज्यों में राज्यसभा चुनाव होने हैं उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, ओडिशा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। बता दें कि राज्य सभा के एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं।

क्या है मतदान की प्रक्रिया?

वोटिंग प्रोसेस में, हर एक विधायक के मतपत्र में चुने जाने वाले उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट होती हैं। विधायक उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी प्राथमिकताएं अंकित करके वोट करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार पहले दौर में वोटों का आवश्यक कोटा हासिल कर लेता है, तो उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

अगर नहीं, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और उनके वोट विधायकों द्वारा बताई गई प्राथमिकताओं के आधार पर बचे हुए उम्मीदवारों को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक सभी रिक्तियां भर नहीं जाती।

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