Thursday, June 12, 2025
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बिना टेंडर छूटे ही चल रहा विज्ञापन का ठेका

  • नगर निगम नहीं छोड़ पाया यूनिपोल विज्ञापन का ठेका
  • नगरायुक्त के न होने से रुकी पड़ी थी प्रक्रिया
  • यूनिपोल बिना ठेका छोड़े ही खूब छप रहे विज्ञापन, नगरायुक्त आये तो जगी आस

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: इस बार यूनिपोल पर विज्ञापन का ठेका अप्रैल माह में छोड़ा जाना था, लेकिन दो माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन यूनिपोल विज्ञापन का ठेका नहीं छोड़ा जा सका है जिससे निगम को कभी काफी हद तक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

यहां निगम की ओर से टेंडर प्रक्रिया को आॅनलाइन किया गया था, लेकिन किसी ने भी टेंडर अप्लाई नहीं किया, जिससे समस्या बनी। नगरायुक्त का ट्रांसफर होने के बाद यह प्रक्रिया बीच में ही रुक गई और अब तक ऐसे ही विज्ञापन छपते रहे। अब नगरायुक्त पद पर नये नगरायुक्त आएं हैं तो उम्मीद है कि नये सिरे से इसके विज्ञापन की प्रक्रिया को शुरू कराया जाएगा।

धीरे-धीरे स्मार्ट सिटी का रूप ले रहे शहर को स्मार्ट बनाने के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं। इनमें से ही एक कार्य यूनिपोल विज्ञापन का भी था। शहर में तीन श्रेणियों में होर्डिंग के विज्ञापन लिये जाते हैं इनमें ए, बी और सी श्रेणी शामिल होती है। पहले ठेकेदार को यहां होर्डिंग के विज्ञापन का ठेका लेने के लिये रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता था, लेकिन तत्कालीन नगरायुक्त मनीष बंसल ने इस प्रक्रिया को बदलते हुए इस बार आॅनलाइन ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की पहल की थी।

जिससे निगम की आय बढ़ सके और बड़ी कंपनियां इसमें शामिल हों। इसमें नई शर्तों पर निगम की ओर से ठेके के सात अलग-अलग टेंडर जारी किये गये। 24 अप्रैल तक टेंडर भरकर डाले जाने थे और 28 अप्रैल को इस पर नतीजे आने थे, लेकिन नगर निगम में होर्डिंग विज्ञापन का कार्य देख रहे क्लर्क वैभव ने बताया कि इस नई प्रक्रिया के आधार पर एक भी कंपनी ने टेंडर नहीं डाला, जिस कारण कार्य बीच में ही अटक गया है।

उन्होंने बताया कि एक श्रेणी और बी श्रेणी के लिये एक एक टेंडर था और पांच टेंडर सी श्रेणी के लिये। इसमें जमानत राशि पांच लाख रुपये रखी गई थी। तीनों श्रेणियों में हैसियत प्रमाण पत्र 50 लाख का होना था। ठेकेदार का वार्षिक टर्न ओवर एक करोड़ होना चाहिए था। विज्ञापन के लिये एक श्रेणी में पांच स्थान चिह्नित हैं और बी श्रेणी में सात स्थान।

सी श्रेणी में निगम के सभी 90 वार्डों को पांच समूह में बांटा गया है। वार्डों के वे स्थान जो ए और बी श्रेणी में शामिल थे, वो इसमें शामिल नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि अप्रैल माह के बाद अब जून माह शुरू हो चुका है, लेकिन यह टेंडर नहीं हो पाया है।

दो माह से ऐसे ही चल रहा ठेका, निगम को नुकसान

पिछले दो माह से टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। न तो कोई टेंडर आया और न ही रजिस्ट्रेशन वाली प्रक्रिया शुरू हो सकी। अब निगम इसका टेंडर नहीं छोड़ पाया और जिसके कारण निगम को काफी हद तक राजस्व की हानि भी हो रही है। उधर अवैध रूप से यूनिपोल पर विज्ञापन छापने वालों की मौज आई हुई है यहां कई जगहों पर फर्जी तरीके से विज्ञापन भी छाप दिये गये थे।

जिससे निगम को भी नुकसान हो रहा है। अब यहां नगरायुक्त के आने के बाद से उम्मीद जगी है कि जल्द ही विज्ञापन का ठेका छोड़ा जायेगा और परेशानी दूर हा सकेगी। वैभव ने बताया कि पहले की बात करें तो पहले ठेकेदारों की ओर से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के आधार पर ही यह ठेका छोड़ा जाता था, लेकिन इस साल प्रक्रिया को बदल दिया गया। अब फिर से एक बार प्रक्रिया शुरू होनी है। जिसके लिये नये नगरायुक्त ही निर्धारित करेंगे कि टेंडर प्रक्रिया ई-टेंडर के जरिये होगी या रजिस्ट्रेशन के जरिये।

ये होंगी नये टेंडर में शर्तें

बांस बल्ली, गोल पोल, दो पोल गर्डर पर लगे विज्ञापन पट अवैध माने जायेंग। केवल एक ही यूनिपोल पर विज्ञापन लगाया जायेगा। दुकानों के बाहर सड़क पटरी पर किसी भी प्रकार का विज्ञापन बोर्ड लगाना प्रतिबंधित होगा, ठेकेदार को जो स्थान दिया जायेगा केवल वहीं विज्ञापन लगा सकेगा, बिना अनुमति लगे विज्ञापन न हटाये जाने पर ठेकेदार से ही उस विज्ञापन का शुल्क वसूला जायेगा और जुर्माना भी।

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